अनिल कुंबले ने टीम इंडिया के हेड कोच पद से दिया इस्तीफा
भारतीय टीम के हेड कोच अनिल कुंबले ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। चैंपियंस ट्रोफी की शुरुआत से पहले ही कैप्टन विराट कोहली और कोच कुंबले में मतभेद की खबरें सामने आई थीं। इसके बाद कोच और कैप्टन में सब कुछ सही न होने की बातें लगातार सामने आ रही थीं। हालांकि कोहली मीडिया के सामने मन-मुटाव की खबरों को नकारते रहे, लेकिन अब कुंबले के इस्तीफे के बाद यह माना जा रहा है कि उनकी पटरी कोच कुंबले के साथ नहीं बैठ रही थी। बता दें कि अनिल कुंबले को साल 2016 में भारतीय टीम का कोच बनाया गया था। एक साल के इस कार्यकाल में उनका रेकॉर्ड शानदार रहा है।
गौरतलब है कि मंगलवार को वेस्ट इंडीज दौरे के लिए रवाना हुई टीम के साथ कोच कुंबले नहीं गए थे। तभी से अटकलों का बाजार गर्म था। हालांकि कुंबले ने इसके पीछे आईसीसी के साथ बैठक का हवाला दिया था। साथ ही यह भी कहा था कि बाद में वह टीम जॉइन करेंगे। बता दें कि शनिवार को कप्तान कोहली ने सीएसी सदस्यों के साथ एक घंटे चली बैठक में किसी भी सूरत में अजस्ट करने से इनकार कर दिया था। ऐसे में यह लगभग साफ हो गया था कि कोच के साथ कप्तान का विवाद अब सुलझने नहीं वाला।
इस चैंपियंस ट्रोफी के साथ ही कोच के रूप में इस दिग्गज पूर्व खिलाड़ी का कार्यकाल समाप्त हो गया था। लेकिन नए कोच की नियुक्ति कुछ दिनों के लिए टलने के बाद उनका कार्यकाल वेस्ट इंडीज दौरे तक बढ़ाया गया था। कुंबले के शानदार कोचिंग परफॉर्मेंस को देखकर लग रहा था कि क्रिकेट अडवाइजरी कमिटी (सीएसी) उनके कार्यकाल को वर्ल्डकप 2019 तक के लिए आगे बढ़ाएगी। लेकिन कुंबले के इस्तीफे के बाद अब इन अटकलों पर विराम लग गया है। बता दें कि इस पूर्व कप्तान और भारत के सबसे कामयाब टेस्ट गेंदबाज को 23 जून 2016 को उन्हें एक साल के लिए भारतीय टीम का कोच नियुक्त किया गया था।
कुंबले और कोहली में मन-मुटाव की खबरें आने के बावजूद ऐसा लग रहा था कि कुंबले अपने शानदार कोचिंग रेकॉर्ड के चलते टीम इंडिया के कोच बने रहेंगे। बता दें कि कुंबले के कोचिंग कार्यकाल में भारत ने वेस्ट इंडीज, न्यू जीलैंड, इंग्लैंड, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज जीती और नंबर 1 पर अपनी पकड़ मजूबत की। इसके अलावा भारत ने न्यू जीलैंड और इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में भी जीत हासिल की। इतना ही नहीं उनके 1 साल के कार्यकाल के अंतिम टूर्नमेंट (चैंपियंस ट्रोफी) में भी टीम का रेकॉर्ड शानदार रहा। वह इस टूर्नमेंट के फाइनल में पाकिस्तान से हारकर उपविजेता बनी।
सीएसी के सदस्य सौरव गांगुली, सचिन तेंडुलकर और वीवीएस लक्ष्मण ने शनिवार को विराट के साथ मीटिंग कर कोच और कैप्टन के साथ समीकरण बैठाने की आखिरी कोशिश की थी। इस बैठक में बीसीसीआई सेक्रेटरी अमिताभ चौधरी भी शामिल थे। अब कुंबले के इस्तीफे के बाद यह साफ हो गया है कि विराट कोहली कुंबले के साथ मिलकर काम करने पर राजी नहीं हो पाए।
अनिल कुंबले के इस्तीफे से पहले टेलिग्राफ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, सीएसी सदस्यों के लिए यह बहुत ही पशोपेश की घड़ी थी। हालांकि उन्होंने कुंबले के साथ मिलकर उनका पक्ष जानने की भी बात कही थी। सीएसी में शामिल तीनों सीनियर खिलाड़ी लंबे समय तक कुंबले के साथ ड्रेसिंग रूम साझा कर चुके हैं। इसके अलावा कुंबले के इस शानदार रेकॉर्ड के बाद उन्हें टर्मिनेट करने का फैसला बेहद मुश्किल था।
कोच का चयन चैंपियंस ट्रोफी के दौरान ही होना था, लेकिन बीसीसीआई में कई मामलों पर चल रही उठापटक के चलते इसे आगे के लिए टाल दिया गया था। इस बीच वेस्टइंडीज दौरे तक अनिल कुंबले का कार्यकाल आगे बढ़ा दिया गया था। उल्लेखनीय है कि वेस्टइंडीज दौरे के लिए कोच कुंबले की फ्लाइट टिकट भी टीम इंडिया के बाकी सदस्यों के साथ ही थी, लेकिन वह टीम के साथ रवाना नहीं हुए।
आपको बता दें कि इससे पहले बीसीसीआई ने टीम इंडिया के कोच की नियुक्ति प्रक्रिया का हवाला देते हुए कोच के लिए नए आवेदन भी मंगाए थे। इसमें अनिल कुंबले को वर्तमान कोच रहने के नाते सीधे एंट्री मिलनी थी। वहीं, पूर्व बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग, ऑस्ट्रेलिया के टॉम मूडी के अलावा लालचंद राजपूत, डोडा गणेश और रिचर्ड पायबस के नाम भी इस रेस में शामिल हैं। अब यह देखना दिलचस्प रहेगा कि टीम इंडिया का नया कोच कौन नियुक्त होगा?
जाते-जाते बोले कुंबले, 'कोहली को मेरी स्टाइल पसंद नहीं थी'
भारत के महान लेग स्पिनर और पूर्व कप्तान अनिल कुंबले की टीम इंडिया के कोच के तौर पर बेहद सफल पारी का कड़वा अंत हुआ है। कप्तान विराट कोहली के साथ मतभेदों के चलते उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कुंबले ने मंगलवार देर रात ट्वीट कर अपने इस्तीफे की वजहों के बारे में बताया। कुंबले ने लिखा कि बीसीसीआई ने उन्हें एक दिन पहले ही यानी सोमवार को बताया कि कप्तान को उनकी शैली को लेकर कुछ दिक्कतें हैं और वह नहीं चाहते कि मैं हेड कोच के तौर पर टीम के साथ आगे भी जुड़ा रहूं। कुंबले ने साथ में यह भी लिखा कि वह बीसीसीआई से यह जानकर हैरान हुए।
कोच और कप्तान के बीच अहं के टकराव को खत्म करने की सारी कोशिशें बेकार गईं और आखिरकार जंबो ने इस्तीफा देना ही बेहतर समझा। वैसे तो इस कड़वे अंजाम की पटकथा उसी वक्त लिख गई थी जब विराट कोहली और अनिल कुंबले के रिश्तों में कड़वाहट की शुरुआत हुई। इंग्लैंड में चैंपियन्स ट्रोफी से इतर बीसीसीआई की सीएसी, जिसमें सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और सौरव गांगुली शामिल हैं, ने कुंबले और कोहली के बीच मतभेद दूर करने के लिए उनके साथ बैठक भी की थी लेकिन कोच और कप्तान के बीच सुलह की सारी कोशिशें आखिरकार नाकाम ही रहीं। पूरी चैंपियन्स ट्रोफी के दौरान अभ्यास सत्र में कुंबले और कोहली के बीच बमुश्किल बातचीत हुई। इस दौरान कुंबले को अधिकतर गेंदबाजों को अभ्यास कराते हुए देखा गया।
चैंपियंस ट्रोफी के बाद कुंबले का एक साल का कार्यकाल पूरा हो रहा था लेकिन बीसीसीआई ने अगले कोच की चयन प्रक्रिया में कुंबले को सीधा प्रवेश दिया था और माना जा रहा था कि अगर वह इच्छुक रहे तो उन्हें लगातार दूसरा कार्यकाल मिल सकता है। कुंबले और कोहली के बीच मतभेद की एक बड़ी वजह कुंबले का अनुशासन के प्रति सख्त रवैया भी माना जा रहा है। कुंबले अनुशासनप्रिय और सख्त प्रशासक हैं। वहीं, कोहली को लगा कि कोच अपनी मनमानी कर रहे हैं और अपने फैसले एकतरफा थोपने की कोशिश कर रहे हैं। इस्तीफा देने के बाद खुद कुंबले ने भी मंगलवार को कहा कि उन्हें बीसीसीआई से हाल में पता चला कि विराट कोहली को उनके काम करने का स्टाइल पसंद नहीं था।
दोनों के बीच रिश्तों में खटास की शुरुआत इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई सीरीज के दौरान कंडिशनिंग कैंप को लेकर मतभेद से हुई। अनिल कुंबले और उनका कोचिंग स्टाफ इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई टेस्ट सीरीज के बाद कंडिशनिंग कैंप आयोजित करना चाहता था। टीम टेस्ट सीरीज खेलने के बाद 15 दिन के बाद फिर से एकजुट हो रही थी। इस पर विराट कोहली ने इस प्रस्ताव को यह कहकर खारिज कर दिया कि खिलाड़ी पहले ही व्यस्त सेशन के कारण थके हुए हैं और ऐसे में उन्हें वनडे और T20 सीरीज से पहले कंडिशनिंग कैंप की कोई जरूरत नहीं है।
चैंपियंस ट्रोफी के बाद कुंबले का एक साल का कार्यकाल पूरा हो रहा था लेकिन बीसीसीआई ने अगले कोच की चयन प्रक्रिया में कुंबले को सीधा प्रवेश दिया था और माना जा रहा था कि अगर वह इच्छुक रहे तो उन्हें लगातार दूसरा कार्यकाल मिल सकता है। कुंबले और कोहली के बीच मतभेद की एक बड़ी वजह कुंबले का अनुशासन के प्रति सख्त रवैया भी माना जा रहा है। कुंबले अनुशासनप्रिय और सख्त प्रशासक हैं। वहीं, कोहली को लगा कि कोच अपनी मनमानी कर रहे हैं और अपने फैसले एकतरफा थोपने की कोशिश कर रहे हैं। इस्तीफा देने के बाद खुद कुंबले ने भी मंगलवार को कहा कि उन्हें बीसीसीआई से हाल में पता चला कि विराट कोहली को उनके काम करने का स्टाइल पसंद नहीं था।
दोनों के बीच रिश्तों में खटास की शुरुआत इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई सीरीज के दौरान कंडिशनिंग कैंप को लेकर मतभेद से हुई। अनिल कुंबले और उनका कोचिंग स्टाफ इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई टेस्ट सीरीज के बाद कंडिशनिंग कैंप आयोजित करना चाहता था। टीम टेस्ट सीरीज खेलने के बाद 15 दिन के बाद फिर से एकजुट हो रही थी। इस पर विराट कोहली ने इस प्रस्ताव को यह कहकर खारिज कर दिया कि खिलाड़ी पहले ही व्यस्त सेशन के कारण थके हुए हैं और ऐसे में उन्हें वनडे और T20 सीरीज से पहले कंडिशनिंग कैंप की कोई जरूरत नहीं है।
इसके बाद दोनों के बीच चाइनामैन बोलर कुलदीप यादव को लेकर भी तल्खी बढ़ी। अनिल कुंबले ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए रांची टेस्ट में कुलदीप को खिलाना चाहते थे, लेकिन विराट ने उनकी यह बात नहीं मानी। इसके बाद धर्मशाला टेस्ट में चोटिल विराट की जगह जब कुलदीप को प्लेइंग इलेवन में शामिल किया गया, तो विराट इस फैसले से संतुष्ट नहीं थे।
पूर्व भारतीय स्पिनर बिशन सिंह बेदी ने कुंबले के इस्तीफे को भारतीय क्रिकेट के लिए नुकसानदायक बताया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'जिसने भी भारत के महान खिलाड़ी अनिल कुंबले के खिलाफ विद्रोह किया उसे बाहर कर देना चाहिए। निश्चित तौर पर इससे भारतीय क्रिकेट को नुकसान हुआ है।' वहीं, पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा ने कहा कि स्थिति से बेहतर तरीके से निबटा जा सकता था।
पूर्व भारतीय स्पिनर बिशन सिंह बेदी ने कुंबले के इस्तीफे को भारतीय क्रिकेट के लिए नुकसानदायक बताया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'जिसने भी भारत के महान खिलाड़ी अनिल कुंबले के खिलाफ विद्रोह किया उसे बाहर कर देना चाहिए। निश्चित तौर पर इससे भारतीय क्रिकेट को नुकसान हुआ है।' वहीं, पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा ने कहा कि स्थिति से बेहतर तरीके से निबटा जा सकता था।
टीम इंडिया ने कुंबले के कोच रहते हुए अच्छा प्रदर्शन किया। उसने वेस्ट इंडीज के खिलाफ उसकी सरजमीं पर 2-0 से श्रृंखला जीती और उसके बाद न्यू जीलैंड (3-0) , इंग्लैंड (4-0), बांग्लादेश (1-0) और ऑस्ट्रेलिया (2-1) को घरेलू श्रृंखला में हराया। टीम ने इस 46 वर्षीय पूर्व कप्तान के कार्यकाल के दौरान 8 वनडे जीते और 5 गंवाए।