हरसिमरत कौर बादल ने कृषि बिल के ख़िलाफ़ मोदी कैबिनेट से इस्तीफ़ा दिया

 


शिरोमणि अकाली दल की नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कृषि विधेयक के ख़िलाफ़ केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया है.

उन्होंने ट्वीट किया है, "मैंने केंद्रीय मंत्री पद से किसान विरोधी अध्यादेशों और बिल के ख़िलाफ़ इस्तीफ़ा दे दिया है. किसानों की बेटी और बहन के रूप में उनके साथ खड़े होने पर गर्व है."

छोड़िए Twitter पोस्ट, 1

पोस्ट Twitter समाप्त, 1

उन्होंने प्रधानमंत्री को सौंपे अपने इस्तीफ़े में लिखा है कि कृषि उत्पाद की मार्केटिंग के मुद्दे पर किसानों की आशंकाओं को दूर किए बिना भारत सरकार ने बिल को लेकर आगे बढ़ने का फ़ैसला लिया है. शिरोमणि अकाली दल किसी भी ऐसे मुद्दे का हिस्सा नहीं हो सकती है जो किसानों के हितों के ख़िलाफ़ जाए. इसलिए केंद्रीय मंत्री के तौर पर अपनी सेवा जारी रखना मेरे लिए असभंव है.

इससे पहले समाचार एजेंसी पीटीआई ने सुखबीर सिंह बादल के लोकसभा में कहे बयान के हवाले से ख़बर दी थी कि हरसिमरत कौर बादल कृषि विधेयक के ख़िलाफ़ सरकार से इस्तीफ़ा दे सकती हैं. लेकिन अभी तक इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि अकाली दल सरकार को समर्थन जारी रखने वाली है या फिर सरकार से समर्थन वापस लेगी. 

नाटक का हिस्सा: कांग्रेस

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हरसिमरत कौर के इस्तीफ़े पर कहा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल को छोड़ने का हरसिमरत कौर का फ़ैसला शिरोमणि अकाली दल के लंबे समय से चले आ रहे नाटक का एक हिस्सा है. वो कृषि बिल पर केंद्र सरकार की ओर से पड़े थप्पड़ के बावजूद अब भी सतारूढ़ गठबंधन का हिस्सा बने हुए हैं.

शिरोमणि अकाली दल के सत्तारूढ़ गठबंधन के हिस्सा बने रहने पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि हरसिमरत कौर का इस्तीफ़ा पंजाब के किसानों को मूर्ख बनाने के ढोंगे के सिवा और कुछ नहीं. लेकिन वो किसानों के संगठन को बरगला नहीं पाएंगे. उन्होंने इसे देर से लिया गया छोटा फ़ैसला बताया है.

मोदी सरकार की सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल सरकार की ओर से पेश किए गए कृषि विधेयकों का विरोध कर रही है. उसने इस मामले में अपने सांसदों को इन विधेयकों के ख़िलाफ़ वोट करने को कहा है.

सरकार ने कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन विधेयक लोकसभा में सोमवार को पेश किया था.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के उत्पाद, व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक, किसानों (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक को लोकसभा में पेश किया, जो इससे संबंधित अध्यादेशों की जगह लेंगे.

उन्होंने सदन में इन विधेयकों को पेश करते हुए कहा कि इन विधेयकों की वजह से किसानों को लाभ होगा.

जबकि विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार की ओर से पेश ये विधेयक किसान विरोधी हैं.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मसले पर ट्वीट किया है, "किसान ही हैं जो ख़रीद खुदरा में और अपने उत्पाद की बिक्री थोक के भाव करते हैं. मोदी सरकार के तीन 'काले' अध्यादेश किसान-खेतिहर मज़दूर पर घातक प्रहार हैं ताकि न तो उन्हें MSP व हक़ मिलें और मजबूरी में किसान अपनी ज़मीन पूँजीपतियों को बेच दें. मोदी जी का एक और किसान-विरोधी षड्यंत्र."

छोड़िए Twitter पोस्ट, 2

पोस्ट Twitter समाप्त, 2

देश भर के किसान संगठन भी इसका विरोध कर रहे हैं.

उनका कहना है कि नए क़ानून के लागू होते ही कृषि क्षेत्र भी पूँजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुक़सान किसानों को होगा.

लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि कांग्रेस किसानों को कृषि संबंधी विधेयक के मामले में बरगला रही है और मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है.

छोड़िए Twitter पोस्ट, 3

पोस्ट Twitter समाप्त, 3

तीन नए विधेयकों में आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव के साथ-साथ ठेके पर खेती को बढ़ावा दिए जाने की बात कही गई है और साथ ही प्रस्ताव है कि राज्यों की कृषि उपज और पशुधन बाज़ार समितियों के लिए अब तक चल रहे क़ानून में भी संशोधन किया जाएगा.

किसानों का सबसे ज़्यादा विरोध तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में देखने को मिल रहा है.

Popular posts from this blog

सीबीएसई बोर्ड की 10वीं की परीक्षा रद्द, 12वीं की परीक्षा टाली गई

वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप: न्यूज़ीलैंड की दमदार जीत, फ़ाइनल में भारत को 8 विकेट से हराया