निर्भया गैंगरेप के दोषियों को फांसी, मां आशा देवी बोलीं- मेरा धर्म आज पूरा हुआ
2012 को हुए निर्भया गैंगरेप मामले के चारों अभियुक्तों को 20 मार्च को फांसी दे दी गई. फांसी के बाद निर्भया की मां ने इसे न्याय की जीत बताया.
समाचार एजेंसी ने बताया है कि दिल्ली के तिहाड़ जेल में सवेरे 5.30 बजे चारों को फांसी हुई.
बीबीसीहिन्दीडॉटओआरजी के सहयोगी पत्रकार के अनुसार ये पहली बार है जब तिहाड़ जेल में कड़ी सुरक्षा के बीच चार दोषियों को एक साथ फांसी दी गई.
फांसी के बाद तिहाड़ जेल के निदेशक संदीप गोयल ने चारों की जांच कर उन्हें मृत घोषित किया.
मुकेश, विनय, अक्षय और पवन ने जेल में क्या किया
जेल में रहने के दौरान अक्षय सिंह ने सबसे ज़्यादा मज़दूरी कमाई. वहीं, मुकेश सिंह ने काम न करने का विकल्प चुना. पवन गुप्ता ने मज़दूरी का काम किया
जेल के नियम न मानने के लिए सबसे ज़्यादा बार सज़ा विनय शर्मा की दी गई.
जेल में सात साल तीन महीने रहने के दौरान जेल में नियमों का पालन न करने के लिए विनय को 11 बार, पवन को आठ बार, मुकेश को तीन बार और अक्षय को एक बार सज़ा मिली.
जेल में अक्षय ने 69,000 रूपये , विनय ने 39,000 रूपये और पवन ने 29,000 रूपये कमाए.
फांसी के बाद किसने क्या कहा
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि आज एक उदाहरण कायम किया गया है लेकिन ये काम पहले भी किया जा सकता था.
उन्होंने कहा, "अब लोगों को पता चलेगा कि भले की सज़ा मिलने में देरी हो लेकिन उन्हें गुनाह करने पर सज़ा ज़रूर मिलेगी."
वदीं दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि "ये एक ऐतिहासिक दिन है. सात साल बाद निर्भया को न्याय मिला है. बलात्कार करने वालों के लिए इससे कड़ा संदेश जाएगाय"
एक साथ दी गई चारों को फांसी
तिहाड़ जेल के निदेशक संदीप गोयल ने बताया कि "सवेरे ठीक 5.30 बजे चारों को एक साथ फांसी दी गई."
समाचार एजेंसी पीटीआई ने जेल अधिकारियों ने के हवाले से बताया है कि "चारों को फांसी एक साथ दी गई."
निर्भया के परिवार ने कहा जारी रखेंगे लड़ाई
फांसी दिए जाने के बाद निर्भया के पिता बद्रीनाथ सिंह ने कहा, "देश में महिलाओं के लिए ऐसा क़ानून बने जिससे लोगों को लंबा इंतज़ार न करना पड़े."
निर्भया के मां आशा देवी ने न्यायपालिका का धन्यवाद करते हुए कहा, "मैं न्यायपालिका, मीडिया, राष्ट्रपति और आप सबका शुक्रिया अदा करती हूं. सात साल का संघर्ष आज अंजाम तक पहुंचा. आज का दिन हमारे बच्चियों और महिलाओँ के नाम है जब निर्भया को न्याय मिला."
"मेरी बच्ची अब नहीं आएगी लेकिन हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे ताकि भारत की महिलाएं अधिक सुरक्षित हों."
"आज फांसी होने के बाद मैंने अपनी बेटी की तस्वीर देखी और उससे कहा कि आख़िर तुम्हें इंसाफ़ मिल गया. मैं उसे बचा नहीं पाई, इसका दुख रहेगा लेकिन मुझे उस पर गर्व है. आज मां का मेरा धर्म पूरा हुआ."
फांसी से पहले जेल में क्या हुई तैयारियां
इससे पहले दिल्ली के तिहाड़ जेल के बाहर कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की गई थी. जेल के सामने लोगों की भीड़ भी इकट्ठा हो गई थी जिस कारण जेल के गेट बंद कर दिए गए.
फांसी देने के लिए जल्लाद फांसी के कुछ मिनट पहले पहुंचा तिहाड़ की जेल नम्बर 3 में पहुंचाय यहीं पर जहां चारों को फांसी लगाई जानी थी.
तिहाड़ जेल के अधिकारियों फांसी से ठीक पहले चारों की मेडिकल जांच की. समाचार एजेंसी एएनआई वो उन्होंने बताया कि मुकेश सिंह, विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता की मेडिकल जांच पूरी हो गई है और चारों स्वस्थ्य पाए गए हैं.
जेल अधिकारियों ने बताया कि जब तक फांसी नहीं होती तब तक जेल अब लॉक डॉउन रहेगा और जेल के लोग इकट्ठा न हों इसलिए आसपास की सुरक्षा भी बढ़ाई जाएगी.
फांसी के घंटों सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई
फांसी से कुछ ही घंटों पहले गुरुवार देर रात निर्भया गैंगरेप मामले के दोषियों ने फांसी पर रोक लगाने के लिए पहले दिल्ली हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया.
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों ने ही फांसी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और दोषियों की याचिका को ख़ारिज कर दिया.
हाईकोर्ट से निराशा हाथ लगने के बाद वकील एपी सिंह एक दोषी पवन गुप्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट गए थे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार से फांसी पर रोक लगाने के मामले पर तुरंत सुनवाई करने की मांग की थी.
इसके बाद जस्टिस आर. भानुमति की अध्यक्षता में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस ए.एस. बोपन्ना की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की. जिस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी सुप्रीम कोर्ट के कोर्टरूम में मौजूद थे.
दोषियों के वकील एपी सिंह ने तर्क रखा कि पवन गुप्ता अपराध के समय नाबालिग़ था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने एपी सिंह से कहा कि वो फ़ैसले की समीक्षा के लिए कह रहे हैं जबकि नाबालिग़ वाले तर्क को निचली अदालत, दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी ख़ारिज कर चुका है.
सुप्रीम कोर्ट ने एपी सिंह से कहा कि वो उन आधार पर तर्क कर रहे हैं जिस पर पहले ही बहस हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके पास राष्ट्रपति के दया याचिका निरस्त करने के फ़ैसले की समीक्षा करने का अधिकार बेहद सीमित है.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पवन गुप्ता की याचिका को ख़ारिज कर दिया.
अंत में एपी सिंह ने कहा कि उन्हें पता है कि दोषियों को 20 मार्च को फांसी होगी लेकिन उन्हें दो से तीन दिन का वक़्त दिया जाना चाहिए ताकि वो अपना बयान दर्ज कर सकें जो दोषियों के लिए अच्छा होगा. इसके अलावा एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से पवन गुप्ता और अक्षय सिंह को 5-10 मिनट के लिए अपने परिवार से मिलने की अनुमति मांगी थी.
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जेल नियम के अनुसार इसकी अनुमति नहीं है और ये दोनों के लिए बहुद दुखदायी होगा.
उधर, फ़ैसला आने के बाद निर्भया के माता-पिता संतुष्ट नज़र आए. सुप्रीम कोर्ट परिसर से बाहर निकलते हुए निर्भया की मां आशा देवी ने विक्टरी साइन बनाया.
उन्होंने कहा कि वो समाज, मीडिया, लड़कियों का धन्यवाद करना चाहती हैं, यह न्याय की जीत है और आज का सूरज देश की बच्चियों के नाम, निर्भया के नाम है.
रात में दिल्ली हाईकोर्ट में क्या हुआ
इससे पहले देर रात ही तीन दोषियों की ओर से वकील एपी सिंह दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे थे. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि याचिका में फांसी रोकने का कोई आधार नहीं दिया गया था और न ही कोई इंडेक्स, मेमो या कोई एफ़िडेविट इसमें शामिल था.
हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फ़ैसला बरक़रार रखा था जिसके तहत दोषियों को शुक्रवार की सुबह 5.30 बजे फांसी दी जानी है.
दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस मनमोहन और जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने सुनवाई के दौरान कई बार कड़ी टिप्पणियां कीं.
बेंच ने कहा कि दोषी एक ही याचिका बार-बार लगा रहे हैं. बेंच ने दोषियों के वकील एपी सिंह से कहा, "आपको समझना चाहिए कि फ़ैसला हो चुका है और इस मामले को अंतिम रूप दिया जा चुका है."
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, हाईकोर्ट ने दोषियों के वकील से पूछा कि उन्होंने दया याचिका में देरी क्यों की अगर उनके पास कोई ठोस क़ानूनी तर्क है तो वो उन्हें बताएं.
साथ ही कोर्ट ने कहा कि कोई सिस्टम के साथ खिलवाड़ कर रहा है, ऐसा लगता है कि इसमें कोई साज़िश है जो दया याचिका दायर करने में ढाई साल की देरी की गई. बेंच ने दोषियों के वकील से कहा कि उन्होंने कोई भी ऐसा क़ानूनी तर्क नहीं दिया जिससे फांसी को टाला जा सकता है.
वहीं, एक अन्य दोषी अक्षय सिंह की पत्नी द्वारा दायर की गई तलाक की याचिका पर भी दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी की.
कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर कह चुका है कि इससे फांसी का कोई संबंध नहीं है.
दोषियों के वकील ने हाईकोर्ट में क्या कहा
निर्भया गैंगरेप मामले के तीन दोषियों की ओर से पेश हुए वकील एपी सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट से एक या दो दिन की मोहलत मांगी.
दोषियों ने ट्रायल कोर्ट के जज धर्मेंद्र राणा के फ़ैसले को चुनौती दी थी क्योंकि उन्होंने डेथ वॉरंट को रद्द करने से मना कर दिया था और पांच मार्च के डेथ वॉरंट पर साइन किया था जिसके तहत अगली सुबह को फांसी होनी थी.
इसके अलावा जस्टिस मनमोहन ने दोषियों के वकील को बिना मेमो या एफ़िडेविट के आने पर लताड़ लगाई. इस पर वकील एपी सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण फ़ोटोकॉपी करा पाना संभव नहीं है. दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद एपी सिंह ने पत्रकारों से कहा था कि वो फ़ैसले की कॉपी मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
वहीं, निर्भया की मां आशा देवी ने कहा था कि दोषियों को बहुत वक़्त दिया जा चुका है उनकी याचिका हाईकोर्ट से रद्द हो चुकी है और अब वो सुप्रीम कोर्ट जा रही हैं, वहां से भी उनकी याचिका रद्द होगी और दोषियों को आज सुबह फांसी होगी.
सुबह 5.30 बजे होगी फांसी
दिसंबर 2012 के निर्भया कांड में दोषी साबित हुए मुकेश सिंह, विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता को फांसी दिए जाने में अब मात्र कुछ घंटों का वक़्त बचा है.
फांसी टालने के लिए लगातार दया याचिकाएँ दायर करने वाले इन चारों के डेथ वॉरंट अब तक कम से कम तीन बार टाले जा चुके हैं.
इसी हफ़्ते मुकेश सिंह की ओर से दिल्ली की एक अदालत में लगाई गई एक आख़िरी याचिका के ख़ारिज होने के साथ अब दोषियों के सामने फांसी टालने के सारे क़ानूनी उपाय लगभग समाप्त हो चुके थे.
हालांकि, तीन दोषियों ने देर रात दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. चारों दोषियों को 20 मार्च की सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दी जानी है.