प्रवीण तोगड़िया ने कहा, कोर्ट से ही राम मंदिर बनाना था तो ''सौगंध राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे.'' क्यों कहा बीजेपी ने!

अयोध्या में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद ज़मीन के दशकों पुराने विवाद में सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई ने शनिवार को फ़ैसला सुनाया है.
जहां बाबरी मस्जिद के गुंबद थे, वो विवादित ज़मीन अब हिंदू पक्ष को मिलेगी. साथ ही सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पाँच एकड़ ज़मीन उपयुक्त जगह पर दी जाएगी.
40 दिनों तक चली सुनवाई के बाद शनिवार को इस दशकों पुराने मामले में पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से अपना फ़ैसला दिया.
भारत के ज़्यादातर राजनीतिक दलों ने इस फ़ैसले का स्वागत किया है और लोगों से शांति और भाईचारे की अपील की है.
विश्व हिंदू परिषद के दूसरे नेता प्रवीण तोगड़िया राम मंदिर आंदोलन के वक़्त काफ़ी सक्रिय रहे थे. अशोक सिंहल के बाद विश्व हिंदू परिषद की कमान उन्हें ही सौंपी गई थी. हालांकि हाल ही में वीएचपी से अलग होकर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद नाम का संगठन बनाया.
अयोध्या मामले पर फ़ैसला आने के बाद बीबीसी गुजराती के लिए भार्गव पारिख ने प्रवीण तोगड़िया से बात की. पढ़िए प्रवीण तोगड़िया का सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले पर उनका क्या कहना है.
हिन्दुओं का वहीं, भव्य मंदिर का 450 वर्षों का संघर्ष का सपना आज चरितार्थ हो रहा है. साढ़े चार सालों में चार लाख लोगों के बलिदान, लाखों कारसेवक, राम भक्तों का अपने परिवार, करियर की कुर्बानी आज चरितार्थ हो रही है. मैं सर्वोच्च न्ययालय के निर्णय का स्वागत करता हूं.
केन्द्र सरकार को ट्रस्ट बनाना है. मैं आशा करता हूं कि ट्रस्ट बनाते समय उनको राम मंदिर बनाने के लिए मारे गए और अपना घर बार, करियर तक छोड़ देने वालों की याद भी मंदिर के साथ जोड़ना चाहिए ताकि हिन्दुओं का यह गौरवमयी संघर्ष आने वाली ​पीढ़ियों को याद रहे.
आंदोलन की क्या ज़रूरत?
आज मुझे दुख हो रहा ​है कि आंदोलन करके इतने लोग क्यों मरे? एक ही मां के दो बेटे कोठारी बंधु, गोधरा के रेलवे स्टेशन पर 59 लोग क्यों मरे, क्योंकि उन्होंने आंदोलन किया था. यदि कोर्ट से ही राम मंदिर बनाना था तो अच्छा वकील नियुक्त करना चाहिए था. तो आंदोलन क्यों किया? क्योंकि 1984 से आरएसएस-भाजपा ने कहा कि यह कांग्रेस की सरकार है. हमें सोमनाथ के बाद संसद में क़ानून से राम मंदिर बनाना है, कांग्रेस की सरकार मंदिर नहीं बनाती. आंदोलन करो, सरकार हटाओ, हमारी सरकार लाओ.
''सौगंध राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे.'' यह कहकर लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली. आंदोलन इसलिए किया कि राम मंदिर बनाना था और राम मंदिर कैसे बने. भाजपा की सरकार आएगी, संसद में क़ानून बनाकर राम मंदिर बनेगा. 2014 में पूर्ण बहुमत की सरकार आयी तब तीन तलाक़ का क़ानून बना लेकिन राम मंदिर का क़ानून नहीं बना. राम मंदिर तो सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से बना.
मेरे मन में भी दुख हो रहा है कि राम मंदिर के नाम पर सत्ता के लिए लोगों के बेटों को मरवा दिया. यदि यह हुआ है तो यह पाप है और भगवान पाप का दंड देंगे.
छह दिसंबर 1992
छह दिसंबर के दिन बाबरी ढांचा गिरा. अगर बाबरी ढांचा नहीं गिरता तो क्या आज राम मंदिर बनता? राम मंदिर के लिए बाबरी ढांचा ढहाना था लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जो कहते थे कि जब तक बाबरी ढांचा खड़ा है तब त​क उसे दिखाकर वोट मिलेगा. यह ढह गया तो वोट नहीं मिलेगा.
लोग मुसलमानों के लिए बाबरी ढांचा नहीं बचाना चाहते थे बल्कि वोट के लिए उसमें लगे थे. लेकिन छह दिसंबर की सुबह लाखों कारसेवकों ने बाबरी ढांचा गिरा दिया. लेकिन एक व्यक्ति कल्याण सिंह थे जिन्होंने अपनी सरकार भी क़ुर्बान कर दी. आज वही व्यक्ति कल्याण सिंह अकेले बैठे हैं और उन पर केस भी चलता है. इस​लिए कोई सत्ता के लिए बाबरी बचाना चाहता था और कल्याण सिंह राम के लिए अपनी सरकार भी क़ुर्बान कर रहे थे.
2018 में फिर क्यों अयोध्या गए थे?
2014 में सरकार आई तो वादा पूरा करने के लिए बार-बार हमारी बैठक हुई. कहा था कि हमारी सरकार आएगी, सोमनाथ की भांति क़ानून बनेगा. बार-बार बैठक हुई क़ानून नहीं बना और बाद में जब हमें कहा गया कि आप यह बातें छोड़ दो तो मैंने उनको छोड़ दिया.
छोड़ने के बाद मैं उनके तथाक​थित अनुशासन से मुक्त हो गया. 21 अक्टूबर को मैं हज़ारों लोगों को लेकर लखनऊ से अयोध्या पहुंचा. अयोध्या की गलियों में 1992 के बाद पहली बार सिर्फ़ राम भक्त ही दिखाई देते थे, वहां राम भक्तों की ओर से बनी सरकार ने हमारा खाना फेंकवा दिया.
आश्रमों में रहने की व्यवस्था थी, वहां आश्रमों में दबाव डालकर घुसने नहीं दिया. लोग सरयू के तट पर सोए. वहां के समाचार पत्र, टीवी ने कवरेज किया. तब दुख हो रहा था कि राम भक्तों ने जिसकी सरकार बनाई तो वो किसी की कुर्सी नहीं मांग रहे थे. वे तो अयोध्या में राम मंदिर मांग रहे थे और उसका खाना ​फेंकवाने का काम.... 90 में मुलायम सिंह ने गोलियां चलावाई थीं, यहां तो खाना फेंकवा दिया. इसलिए मेरे भाई कोई राम मंदिर बनाना चाहता था, कोई बाबरी मस्जिद बचाना चाहता था ताकि वोट और सत्ता मिले.
कोई राम मंदिर बनाने के लिए अयोध्या कूच कर रहा था और कोई उनको खाना नहीं दे रहा था. कोई राम के नाम पर सत्ता के आधार पर आंदोलन करवा कर लोगों को मरवा रहा था. इसके बीच राम मंदिर की यात्रा चलती रही. लोगों के दिलों में इच्छा थी. आख़िर कोर्ट ने निर्णय दे दिया. 450 सालों का संघर्ष विजय में तब्दील हुआ लेकिन सोमनाथ की तरह मंदिर बनता तो उससे ज़्यादा आनंद होता. ये तो वकीलों के संघर्ष का परिणाम है.
1989 में अनियमितताओं को लेकर लगा आरोप
1989 में मैं केन्द्रीय नेतृत्व में नहीं था तब गुजरात का चीफ़ था. इसलिए पैसा-धन जो एकत्र हो रहा था वो दिल्ली वालों के हाथ में था. उनसे पूछा कि क्या हुआ? मेरे पास 88 से 98 तक का कोई हिसाब नहीं है. 1998 के बाद से यह सब हिसाब मेरे पास था और सब ठीक था.
मैं हर रोज़ पांच-छह ऑपरेशन करने वाला, कैंसर अस्पताल से निकला हुआ कैंसर सर्जन हूं. उस समय में ​हिन्दुत्व के किसी मूवमेंट में नहीं था. बाकी जैसे डॉक्टर होते हैं, धार्मिक, श्रद्धावान था. परिस्थिति​ से धीरे-धीरे जुड़ते-जुड़ते पहले गुजरात का हिन्दू लीडर और बाद में देश और दुनिया का हिन्दू लीडर बना.
फिर 1998 में अपना अस्पताल खोला और फिर दो साल बाद अपना घर परिवार, सारी संपत्ति छोड़ दी. इसके बाद ना मेरे पास संपत्ति है, ना रहने का घर है और न एक रुपया है. मेरे पास तीन बैग हैं, एक कपड़े का, एक पुस्तकों का और एक भगवान का.
जिस तरह भारत विभाजन के समय हुआ उस तरह देश का​ हिन्दू फिर से असुरक्षित ना बने, कोई गांव, कोई गलियां असुरक्षित ना बनें और हिन्दू समाज विशेष समृद्ध बनें, जहां कोई भूखा ना हो, बिना शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार के ना हो, यह संकल्प लेकर मैं 1998 में सब कुछ छोड़कर निकला. इसके लिए मैं काम कर रहा हूं और आगे बढ़ रहा हूं.

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