रॉयटर्स के मुताबिक भारत की बालाकोट स्ट्राइक फेल हुई! सैटेलाइट इमेज में क्या दिखा?
भारत ने बालाकोट में जैश-ए-मुहम्मद के जिस मदरसे पर हमला किया, वो अब भी सलामत खड़ा है. ये कहना है अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रॉयटर्स का. रॉयटर्स का दावा है कि मदरसे की ताज़ा तस्वीरों को देखकर उसपर हुई किसी हवाई बमबारी का स्पष्ट निशान नहीं मिलता.मदरसे की छत, दीवार या उसके आसपास की किसी चीज पर भी हवाई अटैक का कोई बड़ा या साफ निशान नज़र नहीं आता. रॉयटर्स ने लिखा है कि उन्होंने इस बारे में भारत के विदेश और रक्षा मंत्रालय को ईमेल करके सवाल भी किया. ताकि उनका स्टैंड पूछा जा सके. मगर भारत की तरफ से अभी तक कोई जवाब दिया नहीं गया है.
‘सैटेलाइट तस्वीरों में हमले का कोई निशान नहीं दिखता’रॉयटर्स ने सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों के आधार पर ये खबर दी है. रॉयटर्स के मुताबिक, ये जैश के उसी मदरसे की तस्वीरें हैं जिनके ऊपर इंडियन एयर फोर्स ने हमला किया. रॉयटर्स ने जो तस्वीर दिखाई है, उसमें जंगल के बीच एक इमारत नज़र आ रही है. रॉयटर्स का कहना है कि सैटेलाइट से ली गई ये तस्वीरें हाई-रेजॉल्यूशन की हैं. इसमें 28 इंच छोटे साइज वाले ब्योरे भी साफ नज़र आ रहे हैं. रॉयटर्स के मुताबिक, अप्रैल 2018 में भी इस जगह की तस्वीर ली गई थी. 4 मार्च, 2019 को ली गई फोटो और अप्रैल 2018 की उस फोटो में कोई बड़ा अंतर नहीं दिख रहा. एजेंसी के मुताबिक, 4 मार्च को ली गई तस्वीर में मदरसे की इमारत की छत में कोई छेद नहीं दिख रहा. न किसी दीवार को कोई नुकसान दिख रहा है. न ही मदरसे से सटे किसी पेड़ को कोई नुकसान हुआ नज़र आ रहा है.
पाकिस्तान ने भारत के दावों को खारिज़ किया था. पाकिस्तान का कहना कि भारत का ऑपरेशन नाकामयाब रहा. कि भारत ने खाली जंगल में अपने बम गिराए. रॉयटर्स का कहा है कि उसके पत्रकार दो बार बालाकोट गए थे. वहां उन्होंने आसपास के इलाके के लोगों से काफी बातचीत की. उनसे सवाल-जवाब किया. मगर भारत के हमले में कोई कैंप तबाह हुआ हो या कोई मारा गया हो, इस बात का कोई सबूत नहीं मिला. स्थानीय लोगों का कहना था कि उन्होंने तेज धमाकों की आवाज़ें सुनी थीं. मगर लगा कि जो बम गिराए गए, वो पेड़ों पर जाकर गिरे. जबा पहाड़ी की ढलान पर बम से बने चार क्रेटर दिखने की बात कही है रॉयटर्स ने. और कुछ पेड़ों को भी नुकसान दिखा. रॉयटर्स का कहना है कि इसके अलावा उसे कोई नुकसान नज़र नहीं आया. रॉयटर्स की स्टोरी का इशारा है कि शायद भारत ने जो ऑपरेशन प्लान किया था, वो कामयाब नहीं हो पाया. कि शायद भारत का निशाना मिस हुआ.
‘सैटेलाइट तस्वीरों में हमले का कोई निशान नहीं दिखता’रॉयटर्स ने सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों के आधार पर ये खबर दी है. रॉयटर्स के मुताबिक, ये जैश के उसी मदरसे की तस्वीरें हैं जिनके ऊपर इंडियन एयर फोर्स ने हमला किया. रॉयटर्स ने जो तस्वीर दिखाई है, उसमें जंगल के बीच एक इमारत नज़र आ रही है. रॉयटर्स का कहना है कि सैटेलाइट से ली गई ये तस्वीरें हाई-रेजॉल्यूशन की हैं. इसमें 28 इंच छोटे साइज वाले ब्योरे भी साफ नज़र आ रहे हैं. रॉयटर्स के मुताबिक, अप्रैल 2018 में भी इस जगह की तस्वीर ली गई थी. 4 मार्च, 2019 को ली गई फोटो और अप्रैल 2018 की उस फोटो में कोई बड़ा अंतर नहीं दिख रहा. एजेंसी के मुताबिक, 4 मार्च को ली गई तस्वीर में मदरसे की इमारत की छत में कोई छेद नहीं दिख रहा. न किसी दीवार को कोई नुकसान दिख रहा है. न ही मदरसे से सटे किसी पेड़ को कोई नुकसान हुआ नज़र आ रहा है.
ये तस्वीरें आई कहां से हैं?ये तस्वीर दी हैं प्लेनेट लैब्स ने. ये सैन फ्रांसिस्को स्थित एक प्राइवेट सैटेलाइट ऑपरेटर है. ये फोटो 4 मार्च को ली गई बताई जा रही है. इसमें जैश के उस मदरसे की कम से कम छह इमारतें दिख रही हैं. 4 मार्च, यानी भारतीय वायु सेना के किए हमले के छह दिन बाद. भारत ने 25 और 26 फरवरी की दरमियानी रात को अटैक किया था. अटैक का टारगेट यही मदरसा था. भारत का कहना है कि इस अटैक की वजह से वहां काफी नुकसान हुआ. 26 फरवरी को भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा था-
हमारे किए हमले में जैश-ए-मुहम्मद के कई सारे आतंकवादी, ट्रेनर, सीनियर कमांडर्स और जिहादी मारे गए.
भारत के दावों पर सवाल उठाया गया है
रॉयटर्स का कहना है कि सैटेलाइट की इन तस्वीरों ने नरेंद्र मोदी सरकार के किए दावों पर और शक पैदा कर दिया है. भारत का स्टैंड है कि 26 फरवरी को मुंह-अंधेरे इंडियन एयर फोर्स के विमानों ने खैबर-पख्तूनख्वा स्थित जैश के इस मदरसे पर अटैक किया. ये मदरसा जबा टॉप पर बना हुआ है. भारत का कहना है कि हमारे हमले का टारगेट ही ये मदरसा था. और इस अटैक में मदरसे को और वहां रहने वाले आतंकियों को जान-माल का काफी नुकसान हुआ है.
एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?
रॉयटर्स ने मिडलबरी इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनैशनल स्टडीज़ के ईस्ट एशिया नॉनप्रॉलिफेरेशन प्रॉजेक्ट के डायरेक्टर जेफरी लूइस से भी बात की. जेफरी के पास सैटेलाइट तस्वीरों की समीक्षा का 15 साल का अनुभव है. जेफरी के मुताबिक, मदरसे की सैटेलाइट तस्वीरों को देखकर किसी भी तरह की बमबारी से हुए किसी नुकसान का सबूत नहीं मिलता. जेफरी ने प्लेनेट लैब्स की ली गई इस लोकेशन की तीन और हाई-रेजॉल्यूशन तस्वीरों को भी देखा.
‘इस तरह के हमले से तो काफी नुकसान हुआ दिखना चाहिए था’रॉयटर्स ने लिखा है कि भारत सरकार ने अब तक ये नहीं बताया कि बालाकोट अटैक में कौन से हथियार इस्तेमाल किए गए. सरकारी सूत्रों ने रॉयटर्स को करीब एक हफ़्ते पहले ये बताया था कि 12 मिराज 2000 जेट विमानों का इस्तेमाल किया गया. इनमें 1,000 किलो के बम अटैक के लिए ले जाए गए थे. एक रक्षा अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि इजरायल के बनाए SPICE 2000 ग्लाइड बम का इस्तेमाल किया गया बालाकोट अटैक में. रॉयटर्स का कहना है कि इस तरह के बम से अगर हमला किया जाए, तो काफी नुकसान पहुंचता है टारगेट को. कंक्रीट के बने शेल्टर्स जैसे मजबूत ठिकाने भी बर्बाद किए जा सकते हैं इन बमों से.
‘सैटेलाइट तस्वीरों में इमारत को नुकसान नहीं दिख रहा’जेम्स मार्टिन सेंटर फॉर नॉनप्रोलिफेरेशन स्टडीज के एक और सीनियर रिसर्चर से बात की रॉयटर्स ने. उनका कहना है कि जिस तरह के हथियारों का इस्तेमाल बालाकोट में किए जाने की बात कही जा रही है, उससे मदरसे की इमारत में काफी नुकसान हुआ नज़र आता. विशेषज्ञ का कहना है-
‘बालाकोट में अटैक वाले इलाके में भी नुकसान नहीं दिखा’अगर हमला सफल रहा और इस हमले में जिस तरह के हथियारों का इस्तेमाल किए जाने की बात हो रही है, उससे मदरसे की इमारत में नुकसान दिखना चाहिए था. मगर सैटेलाइट तस्वीरों में ऐसा कुछ दिखा नहीं.
पाकिस्तान ने भारत के दावों को खारिज़ किया था. पाकिस्तान का कहना कि भारत का ऑपरेशन नाकामयाब रहा. कि भारत ने खाली जंगल में अपने बम गिराए. रॉयटर्स का कहा है कि उसके पत्रकार दो बार बालाकोट गए थे. वहां उन्होंने आसपास के इलाके के लोगों से काफी बातचीत की. उनसे सवाल-जवाब किया. मगर भारत के हमले में कोई कैंप तबाह हुआ हो या कोई मारा गया हो, इस बात का कोई सबूत नहीं मिला. स्थानीय लोगों का कहना था कि उन्होंने तेज धमाकों की आवाज़ें सुनी थीं. मगर लगा कि जो बम गिराए गए, वो पेड़ों पर जाकर गिरे. जबा पहाड़ी की ढलान पर बम से बने चार क्रेटर दिखने की बात कही है रॉयटर्स ने. और कुछ पेड़ों को भी नुकसान दिखा. रॉयटर्स का कहना है कि इसके अलावा उसे कोई नुकसान नज़र नहीं आया. रॉयटर्स की स्टोरी का इशारा है कि शायद भारत ने जो ऑपरेशन प्लान किया था, वो कामयाब नहीं हो पाया. कि शायद भारत का निशाना मिस हुआ.
लोकसभा चुनाव के बारे में क्या लिखा है रॉयटर्स ने?रॉयटर्स ने अपनी इस स्टोरी में भारत में होने वाले लोकसभा चुनावों का भी ज़िक्र किया है. उसका टेक ये है कि 14 फरवरी को पुलवामा में CRPF के काफिले पर जो हमला हुआ, उसके बाद आक्रामक रवैया अपनाने से बीजेपी को फायदा मिलेगा. इसमें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के उस बयान का ज़िक्र है, जिसमें उन्होंने कहा था कि बालाकोट अटैक में 250 आतंकी मारे गए.
रॉयटर्स ने अपनी इस खबर में भारत के स्टैंड पर शुबहा जताया है. ये भी लिखा गया है कि भारत ने हमले की बात कही, उसमें काफी नुकसान होने की भी बात बताई, मगर इसका कोई सबूत नहीं दिया. रॉयटर्स का ये भी कहना है कि अगर पाकिस्तान सच बोल रहा है कि भारत के किए हमले में कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ, तो सवाल उठता है कि क्या भारत का ऑपरेशन फेल हो गया? और क्या मोदी सरकार जान-बूझकर जनता को गलत जानकारी दे रही है?