रिपोर्ट: गृह मंत्रालय ने ठुकराई थी सीआरपीएफ की हवाई यात्रा की मांग, 6 दिन पहले मिल चुकी थी हमले की भनक
पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने से देश में गुस्से और गम का माहौल है। अब एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है और पुलवामा आतंकी हमले में सुरक्षा के स्तर पर चूक हुई है।
दरअसल सीआरपीएफ के एक जवान ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर द क्विंट के साथ बातचीत में बताया कि सीआरपीएफ ने हमले से हफ्ते भर पहले ही गृह मंत्रालय से जवानों को हवाई मार्ग से श्रीनगर भेजने की मांग की थी, लेकिन गृह मंत्रालय ने इस मांग पर ध्यान नहीं दिया। खबर के अनुसार, श्रीनगर में तैनात सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस संबंध में सीआरपीएफ हेडक्वार्टर को लिखा था। जिसके बाद सीआरपीएफ ने यह मांग गृह मंत्रालय को भेज दी थी।
रिपोर्ट के अनुसार, सीआरपीएफ की तरफ से इससे पहले भी जवानों को हवाई मार्ग से लाने की मांग की गई थी, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया। सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द क्विंट के साथ बातचीत में बताया कि ‘बहुत से जवान बर्फबारी के कारण रास्ते बंद होने के चलते जम्मू में फंस गए थे। बीती 4 फरवरी को भी जवानों का एक काफिला निकला था। हालांकि सीआरपीएफ हेडक्वार्टर को पत्र लिखकर मांग की गई थी कि जवानों को हवाई मार्ग से ले जाया जाए, लेकिन कुछ नहीं हुआ और किसी ने हमारी मांग का जवाब तक देने की जहमत नहीं उठायी।’
खूफिया विभाग ने भी दी थी सूचनाः रिपोर्ट के अनुसार, 8 फरवरी को खूफिया विभाग ने भी सीआरपीएफ अधिकारियों को एक पत्र लिखकर आतंकी हमले के प्रति आगाह किया था। हालांकि खूफिया विभाग ने आईडी ब्लास्ट को लेकर सूचना दी थी और बाकी डिटेल्स नहीं दी थी। सीआरपीएफ के रिटायर्ड IGP वीपीएस पंवार का कहना है कि इस तरह के आतंकी हमले सुरक्षा व्यवस्था की असफलता को दिखाते हैं और ऐसा लगता है कि वरिष्ठ अधिकारियों ने खूफिया विभाग की सूचना पर पूरी तरह से ध्यान नहीं दिया। पंवार ने कहा कि सीआरपीएफ को बुलेट प्रूफ वाहन मुहैया कराए जाने चाहिए और साथ ही जवानों को हवाई मार्ग से पहुंचाने की व्यवस्था होनी चाहिए। खासकर तब जब बहुत सारे जवान सफर कर रहे हो।
सीआरपीएफ अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर काफिले में 300-400 से ज्यादा जवान नहीं होते हैं। एक साथ 78 वाहनों का काफिला एक तरह से आतंकियों के लिए आसान टारगेट था। इतनी बड़ी संख्या में जवानों को ट्रांसपोर्ट करना सही फैसला नहीं था। बता दें कि गुरुवार को सीआरपीएफ का 78 वाहनों का एक काफिला जम्मू से श्रीनगर के लिए निकला था। इस काफिले में 2500 के करीब जवान शामिल थे। पुलवामा के अवंतीपुरा के नजदीक एक विस्फोटकों से भरी कार काफिले की एक बस से टकरायी और भयंकर धमाके में वाहन के चीथड़े उड़ गए। इस हादसे में 40 जवान शहीद हो गए। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है।
दरअसल सीआरपीएफ के एक जवान ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर द क्विंट के साथ बातचीत में बताया कि सीआरपीएफ ने हमले से हफ्ते भर पहले ही गृह मंत्रालय से जवानों को हवाई मार्ग से श्रीनगर भेजने की मांग की थी, लेकिन गृह मंत्रालय ने इस मांग पर ध्यान नहीं दिया। खबर के अनुसार, श्रीनगर में तैनात सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस संबंध में सीआरपीएफ हेडक्वार्टर को लिखा था। जिसके बाद सीआरपीएफ ने यह मांग गृह मंत्रालय को भेज दी थी।
रिपोर्ट के अनुसार, सीआरपीएफ की तरफ से इससे पहले भी जवानों को हवाई मार्ग से लाने की मांग की गई थी, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया। सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द क्विंट के साथ बातचीत में बताया कि ‘बहुत से जवान बर्फबारी के कारण रास्ते बंद होने के चलते जम्मू में फंस गए थे। बीती 4 फरवरी को भी जवानों का एक काफिला निकला था। हालांकि सीआरपीएफ हेडक्वार्टर को पत्र लिखकर मांग की गई थी कि जवानों को हवाई मार्ग से ले जाया जाए, लेकिन कुछ नहीं हुआ और किसी ने हमारी मांग का जवाब तक देने की जहमत नहीं उठायी।’
खूफिया विभाग ने भी दी थी सूचनाः रिपोर्ट के अनुसार, 8 फरवरी को खूफिया विभाग ने भी सीआरपीएफ अधिकारियों को एक पत्र लिखकर आतंकी हमले के प्रति आगाह किया था। हालांकि खूफिया विभाग ने आईडी ब्लास्ट को लेकर सूचना दी थी और बाकी डिटेल्स नहीं दी थी। सीआरपीएफ के रिटायर्ड IGP वीपीएस पंवार का कहना है कि इस तरह के आतंकी हमले सुरक्षा व्यवस्था की असफलता को दिखाते हैं और ऐसा लगता है कि वरिष्ठ अधिकारियों ने खूफिया विभाग की सूचना पर पूरी तरह से ध्यान नहीं दिया। पंवार ने कहा कि सीआरपीएफ को बुलेट प्रूफ वाहन मुहैया कराए जाने चाहिए और साथ ही जवानों को हवाई मार्ग से पहुंचाने की व्यवस्था होनी चाहिए। खासकर तब जब बहुत सारे जवान सफर कर रहे हो।
सीआरपीएफ अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर काफिले में 300-400 से ज्यादा जवान नहीं होते हैं। एक साथ 78 वाहनों का काफिला एक तरह से आतंकियों के लिए आसान टारगेट था। इतनी बड़ी संख्या में जवानों को ट्रांसपोर्ट करना सही फैसला नहीं था। बता दें कि गुरुवार को सीआरपीएफ का 78 वाहनों का एक काफिला जम्मू से श्रीनगर के लिए निकला था। इस काफिले में 2500 के करीब जवान शामिल थे। पुलवामा के अवंतीपुरा के नजदीक एक विस्फोटकों से भरी कार काफिले की एक बस से टकरायी और भयंकर धमाके में वाहन के चीथड़े उड़ गए। इस हादसे में 40 जवान शहीद हो गए। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है।