खून की दलाली का खेलः बेटी की जान बचाने के लिए पिता ने ब्याज पर पैसा लेकर खरीदा ब्लड
कटिहार जिले के सबसे बड़े अस्पताल में ‘खून की दलाली’ का खेल चल रहा है. इस काले काम में अस्पताल के कर्मचारी भी लिप्त हैं. आलम यह है कि अस्पताल में मरीजों को पैसे देकर खून खरीदना पड़ रहा है. ताजा मामला एक मजबूर पिता का है, जिसको बेटी की जान बचाने के लिए तीन हजार रुपए में अस्पताल स्थित ब्लड बैंक से एक बोतल खून खरीदना पड़ा .
मामले की जानकारी लगते ही सिविल सर्जन ने जांच के आदेश दिया है.मामला जिले के बारसोई प्रखंड के सदर अस्पताल का है. खुलटू नुनिया ने गंभीर रूप से बीमार अपनी बेटी यशोदा को इस अस्पताल में भर्ती कराया. इलाज के दौरान मालूम पड़ा कि यशोदा के शरीर में खून की कमी है. यशोदा को खून चढ़ाना होगा. इसके बाद खुलटू ने खून के लिए अस्पतालकर्मियों से सम्पर्क किया. पीड़ित पिता के अनुसार पहले अस्पतालकर्मियों ने खून न होने के बात कही. दबाव डालने पर अस्पतालकर्मियों ने खून की व्यवस्था कराने के एवज में प्रित यूनिट तीन हजार रुपए की डिमांड कर डाली.नुनिया ने बताया कि इसके लिए वह ब्याज पर रुपएलेकर दोबारा अस्पताल पहुंचा. यशोदा को पैसे के बदौल तो खून तो मिल गया, लेकिन अब पीड़ित पिता के सामने ब्याज के रुपए पर्वत समान लग रहे हैं. वहीं, सिविल सर्जन डॉ मोहम्मद मुर्तज़ा अली ने जांच के आदेश दे दिए हैं. उनका कहना है कि यदि स्वस्थकर्मी की गलती साबित होती है कि उनके ऊपर कठोर कार्रवाई की जाएगी.
मामले की जानकारी लगते ही सिविल सर्जन ने जांच के आदेश दिया है.मामला जिले के बारसोई प्रखंड के सदर अस्पताल का है. खुलटू नुनिया ने गंभीर रूप से बीमार अपनी बेटी यशोदा को इस अस्पताल में भर्ती कराया. इलाज के दौरान मालूम पड़ा कि यशोदा के शरीर में खून की कमी है. यशोदा को खून चढ़ाना होगा. इसके बाद खुलटू ने खून के लिए अस्पतालकर्मियों से सम्पर्क किया. पीड़ित पिता के अनुसार पहले अस्पतालकर्मियों ने खून न होने के बात कही. दबाव डालने पर अस्पतालकर्मियों ने खून की व्यवस्था कराने के एवज में प्रित यूनिट तीन हजार रुपए की डिमांड कर डाली.नुनिया ने बताया कि इसके लिए वह ब्याज पर रुपएलेकर दोबारा अस्पताल पहुंचा. यशोदा को पैसे के बदौल तो खून तो मिल गया, लेकिन अब पीड़ित पिता के सामने ब्याज के रुपए पर्वत समान लग रहे हैं. वहीं, सिविल सर्जन डॉ मोहम्मद मुर्तज़ा अली ने जांच के आदेश दे दिए हैं. उनका कहना है कि यदि स्वस्थकर्मी की गलती साबित होती है कि उनके ऊपर कठोर कार्रवाई की जाएगी.