वर्मा मामले में दो सप्ताह में सीवीसी जांच पूरी हो: SC

सीबीआई चीफ़ आलोक वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने सीवीसी को दो सप्ताह में जांच पूरी करने की बात कही है.


सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने रिटायर्ड जस्टिस एके पटनायक के नेतृत्व में जांच कराने की बात कही है. उन्होंने ये भी साफ़ कहा है कि एक्टिंग डायरेक्टर के तौर पर नागेश्वर राव को केवल रूटीन काम देखने को कहा गया है.
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इस सुनवाई के बारे में बताया, "अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव ने जो भी फ़ैसले लिए सब बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट के सामने सरकार को रखना होगा."
सीवीसी के वकील तुषार मेहता ने कोर्ट से तीन हफ़्ते का वक्त मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि नागेश्वर राव अंतरिम निदेशक बने रहेंगे लेकिन वे कोई भी नीतिगत फ़ैसला नहीं लेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले में केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है. कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच के फ़ैसले सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को दिए जाएं.
इस पूरे मामले की अगली सुनवाई अब 12 नवंबर को होगी.
हालांकि आलोक वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से फौरी राहत नहीं मिली है, उन्होंने केंद्र सरकार के उस फ़ैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें सरकार ने जबरन छुट्टी पर भेजा दिया था.
देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में नंबर एक और नंबर दो अधिकारी के बीच झगड़े के बाद सरकार ने ये फ़ैसला लिया था.
इससे पहले सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ रिश्वतखोरी का मामला दर्ज किया था, जिसके बाद सारा विवाद पैदा हुआ.
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ़ की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की.
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन ने रखा.

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