जाने लगे लोग तो PM मोदी के माथे पर आया पसीना, कभी कहे बैठ जाओ, कभी जोड़ा हाथ
प्रधानमंत्री और वाराणसी के सांसद नरेद्र मोदी अपने 14वें दौरे पर सोमवार को बनारस आए। यहीं उन्होंने अपना 68वां जन्मदिन मनाया। अगले दिन यानी मंगलवार को वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के एम्फीथिएटर मैदान जनसभा को संबोधित करने पहुंचे। राजनीतिक हल्कों में माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के पहले की यह उनकी अंतिम सभा है।
भाजपा ने भी पीएम की इस सभा के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रखा था। सभा का समय पहले सुबह 10 बजे निर्धारित किया गया था, बाद में उसे 10.30 कर दिया गया। लेकिन प्रधानमंत्री अपने सहयोगियों संग सभा स्थल पर 11.04 बजे पहुंचे और 11.33 बजे भाषण देना शुरू किया । यूं तो उनका संबोधन 12.22 बजे तक चला। लेकिन यह पहला मौका था जब लोग उनके भाषण के बीच में उठ कर लोग जाने लगे। प्रधानमंत्री ने यूं तो करीब घंटे भर तक भाषण दिया लेकिन लगा ऐसा मानों लोगों ने उनका प्रारंभिक संबोधन और चार साल की उपलब्धियों की फेहरिस्त सुनने से इंकार सा कर दिया और महज 10 से 12 मिनट बादी पंडाल धीरे-धीरे खाली होने लगा। पहले पीछे बैठे लोगों का जत्था पंडाल से बाहर निकलने लगा। अति तो तब हो गई जब अग्रिम पंक्ति में बैठे लोग भी उठ कर जाने लगे। एक वक्त ऐसा भी आया जब भाषण के बीच में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बोलना पड़ा क्या, लोगों से अपील करनी पड़ी कि ''बैठ जाओ भैया'', यह वाक्य उन्होंने तीन बार दोहराया, लेकिन उसका कोई असर नहीं पड़ा। उसके बाद पीएम के चेहरे पर हताशा साफ नजर आई। शेष वक्त उन्होंने पानी पीते और रह-रह कर माथे का पसीन पोछते ही बिताया। बीच-बीच में हाथ भी जोड़ते रहे। यहां तक कि भाषण समाप्त करते वक्त कहा आप ही मेरे मालिक हैं, आप ही हाईकमान हैं। इसे लेकर वहां मौजूद लोग भी चकित थे कि आखिर ये हो क्या रहा है। लोगों आखिर अपने लोकप्रिय सांसद को सुनना क्यों नहीं चाहते।
प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान उठ कर जातीं कुछ महिलाओं और बीएचयू की छात्राओं से पत्रिका संवाददाता ने सवाल भी किया कि वो क्यों जा रही हैं तो लेकिन उन्होंने उत्तर देने की बजाया सवाल को टालना ही ज्यादा मुनासिब समझा। एक महिला ने कहा कि, ''जब सबै जात हौ त हम रुक के का करबै''। छात्राओं का एक समूह ऐसा मिला जिसने हंसते हुए टांट किया, ''बहुत भीड़ है।'' यह पहला मौका था जब पीएम का भाषण सुनना लोगों को गवारा नहीं था। इससे पहले की 13 सभाओं में ऐसा दृश्य कभी नहीं दिखा। अरे ज्यादा दिन नहीं हुए अभी जुलाई में ही पीएम मोदी राजातालाब में जनसभा को संबोधित करने आए थे, वहां उन्होंने पूरे तेवर के साथ 45 मिनट तक भाषणा दिया था। एक हजार करोड़ की योजनाओँ का शिलान्यास व लोकार्पण किया था। यह दीगर है कि जिन योजनाओं का लोकार्पण उन्होंने तब किया था उसमें से कई योजनाएं आज तक मूर्त रूप नहीं ले पाई हैं। हालांकि उन्होंने इस 14वें कार्यक्रम में भी उन योजनाओं का उल्लेख किया और बताया कि उन योजनाओं से बनारस ही नहीं पूर्वांचल के लाखों लोगों का भला हो रहा है। पीएम के इस बयान पर कुछ लोग हंसते भी नजर आए।
भाजपा ने भी पीएम की इस सभा के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रखा था। सभा का समय पहले सुबह 10 बजे निर्धारित किया गया था, बाद में उसे 10.30 कर दिया गया। लेकिन प्रधानमंत्री अपने सहयोगियों संग सभा स्थल पर 11.04 बजे पहुंचे और 11.33 बजे भाषण देना शुरू किया । यूं तो उनका संबोधन 12.22 बजे तक चला। लेकिन यह पहला मौका था जब लोग उनके भाषण के बीच में उठ कर लोग जाने लगे। प्रधानमंत्री ने यूं तो करीब घंटे भर तक भाषण दिया लेकिन लगा ऐसा मानों लोगों ने उनका प्रारंभिक संबोधन और चार साल की उपलब्धियों की फेहरिस्त सुनने से इंकार सा कर दिया और महज 10 से 12 मिनट बादी पंडाल धीरे-धीरे खाली होने लगा। पहले पीछे बैठे लोगों का जत्था पंडाल से बाहर निकलने लगा। अति तो तब हो गई जब अग्रिम पंक्ति में बैठे लोग भी उठ कर जाने लगे। एक वक्त ऐसा भी आया जब भाषण के बीच में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बोलना पड़ा क्या, लोगों से अपील करनी पड़ी कि ''बैठ जाओ भैया'', यह वाक्य उन्होंने तीन बार दोहराया, लेकिन उसका कोई असर नहीं पड़ा। उसके बाद पीएम के चेहरे पर हताशा साफ नजर आई। शेष वक्त उन्होंने पानी पीते और रह-रह कर माथे का पसीन पोछते ही बिताया। बीच-बीच में हाथ भी जोड़ते रहे। यहां तक कि भाषण समाप्त करते वक्त कहा आप ही मेरे मालिक हैं, आप ही हाईकमान हैं। इसे लेकर वहां मौजूद लोग भी चकित थे कि आखिर ये हो क्या रहा है। लोगों आखिर अपने लोकप्रिय सांसद को सुनना क्यों नहीं चाहते।
प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान उठ कर जातीं कुछ महिलाओं और बीएचयू की छात्राओं से पत्रिका संवाददाता ने सवाल भी किया कि वो क्यों जा रही हैं तो लेकिन उन्होंने उत्तर देने की बजाया सवाल को टालना ही ज्यादा मुनासिब समझा। एक महिला ने कहा कि, ''जब सबै जात हौ त हम रुक के का करबै''। छात्राओं का एक समूह ऐसा मिला जिसने हंसते हुए टांट किया, ''बहुत भीड़ है।'' यह पहला मौका था जब पीएम का भाषण सुनना लोगों को गवारा नहीं था। इससे पहले की 13 सभाओं में ऐसा दृश्य कभी नहीं दिखा। अरे ज्यादा दिन नहीं हुए अभी जुलाई में ही पीएम मोदी राजातालाब में जनसभा को संबोधित करने आए थे, वहां उन्होंने पूरे तेवर के साथ 45 मिनट तक भाषणा दिया था। एक हजार करोड़ की योजनाओँ का शिलान्यास व लोकार्पण किया था। यह दीगर है कि जिन योजनाओं का लोकार्पण उन्होंने तब किया था उसमें से कई योजनाएं आज तक मूर्त रूप नहीं ले पाई हैं। हालांकि उन्होंने इस 14वें कार्यक्रम में भी उन योजनाओं का उल्लेख किया और बताया कि उन योजनाओं से बनारस ही नहीं पूर्वांचल के लाखों लोगों का भला हो रहा है। पीएम के इस बयान पर कुछ लोग हंसते भी नजर आए।
बता दें कि अप्रैल-मई 2014 से लेकर 18 सितंबर 2018 के बीच में नरेंद्र मोदी जब भी बनारस आए लोगों ने पलक पावड़ों पर बिठाया। अपार जनसमूह जुटता रहा उन्हें सुनने के लिए। वह भी भारी भीड़ देख उत्साहित हो कर ओजस्वी भाषण देते रहे। लेकिन आज उनकी बॉडी लैंगवेज भी बता रही थी कि कहीं कुछ तो ठीक नहीं है। बता दें कि इस सभा को लेकर भाजपा नेताओं का दावा था कि बीएचयू के एम्फीथिएटर मैदान पर 50 हजार की भीड़ जुटाई जाएगी। अब गिनती तो नहीं हो सकी भीड़ की पर सुबह से ही पंडाल खाली रहा, धीरे-धीरे लोग आते रहे। आने वालों में भी ग्रामीण महिलाओं और विश्वविद्यालय के छात्रावासों में रहने वाली छात्राओं की तादाद ज्यादा रही। लेकिन जब वे महिलाएं और छात्राएं ही जाने लगीं वह भी पीएम के भाषण के बीच तो स्थानीय नेताओं ने भी किनारा कस लिया।
वैसे अपने करीब घंटे भर के भाषण में पीएम ने अपने संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए केंद सरकार द्वारा पिछले चार सालों में लागू योजनाओं की फेहरिस्त पेश की। एक-एक का उल्लेख करते हुए उससे होने वाले लाभ का गुणगान किया। चाहे वह आईपीडीएस के तहत बिजली के तारों को भूमिगत करने का मसला हो, उज्ज्वला योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को गैस कनेक्शन देने का मसला हो, ट्रेड फेसिलिटी सेंटर का मसला हो, कैंसर अस्पताल का मसला हो, बीएचयू को एम्स का दर्जा देने का मसला हो, राजातालाब में कार्गो सेंटर का मसला हो। सभी योजनाओं को गिनाया पर वह एक तरफ अपनी उपलब्धियां गिनाते रहे। चार साल का हिसाब देने की बात करते रहे। काशी की जनता को अपना मालिक और हाईकमान बताते रहे उधर जनता का कुर्सी छोड़ पंडाल से बाहर जाने का सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। आजिज आ कर पीएम को अपना भाषण बंद कर देना पड़ा। ऐसा लगा।