प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थान : सरकार ने बनाई टैक्स गाइडलाइंस, जियो इंस्टीट्यूट को मिलेगा फायदा
महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को ग्रीनफील्ड एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स, जिन्हें सरकार ने ‘इंस्टीट्यूट ऑफ एमीनेंस’ का दर्जा दिया है, उनके लिए निर्माण एरिया और राजकोषीय सहूलियतें देने का ऐलान किया है। ऐसा करने वाला महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है। बता दें कि बीती 9 जुलाई को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश के 6 इंस्टीट्यूट्स को इंस्टीट्यूट ऑफ एमीनेंस का दर्जा देने का ऐलान किया था। इंस्टीट्यूट ऑफ एमीनेंस का दर्जा पाने वाले संस्थानों में IISc-बेंगलुरु, IIT-दिल्ली, IIT-बॉम्बे, बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, मनीपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन और रिलायंस फाउंडेशन का जियो इंस्टीट्यूट शामिल है। खास बात ये है कि बाकी इंस्टीट्यूट जहां पहले से ही बड़े नाम हैं, वहीं जियो इंस्टीट्यूट अभी तक बनकर तैयार भी नहीं हुआ है। जियो इंस्टीट्यूट सभी संस्थानों में इकलौता ऐसा संस्थान है, जो कि ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट है। यह संस्थान मुंबई के मेट्रोपोलिटिन क्षेत्र करजत तालुका में 800 एकड़ के एरिया में बनाया जा रहा है।
जियो इंस्टीट्यूट में जहां अभी निर्माण कार्य शुरु भी नहीं हुआ है, वहीं सरकार ने इस पर एक कंडीशन लगा दी है कि यह साल 2021 से ऑपरेशनल हो जाना चाहिए। अब मंगलवार को महाराष्ट्र की कैबिनेट ने अपनी टैक्स गाइडलाइन में कुछ बदलाव करने का फैसला किया है। महाराष्ट्र कैबिनेट ने राज्य की सेमी-अर्बन बेल्ट में बिल्डिंग निर्माण में कई सहूलियतें और टैक्स में छूट का ऐलान किया है। जिसका सीधा फायदा जियो इंस्टीट्यूट को मिलेगा। इसके साथ ही सरकार ने हरित इलाके में ऊंची बिल्डिंग के निर्माण को भी मंजूरी दे दी है। नए नियमों के तहत इंटीग्रेटिड टाउनशिप में अब प्लॉट के कुल क्षेत्रफल पर कुल फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) बराबर होगा। FSI का मतलब होता है फ्लोर का कुल एरिया, जिससे इस बात का पता चलता है कि एक प्लॉट पर कितने एरिया में कंस्ट्रक्शन किया जा सकता है।
इसके साथ ही महाराष्ट्र कैबिनेट ने इस बात को भी मंजूरी दे दी है कि कृषि जमीन पर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट को निर्माण की इजाजत दी जा सकती है। इसके लिए एग्रीकल्चर लैंड एक्ट, 1967 में बदलाव किए गए हैं। इस एक्ट के मुताबिक एग्रीकल्चर जमीन को सिर्फ कोई किसान ही खरीद सकता है। इसके साथ ही महाराष्ट्र सरकार इंस्टीट्यूट के डेवलेपमेंट के लिए डेवलेपमेंट चार्ज में 50 प्रतिशत की छूट भी देगी। यूजीसी के निवेदन पर महाराष्ट्र सरकार ने इंस्टीट्यूट ऑफ एमीनेंस को स्टाम्प ड्यूटी में भी छूट देने का फैसला किया है। हालांकि ऐसी खबर है कि राजस्व विभाग ने इसका कड़ा विरोध किया है। महाराष्ट्र सरकार के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ये सब बदलाव राज्य में विश्वस्तरीय एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स के निर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किए गए हैं। सरकार ऐसे प्रोजेक्ट को अपना समर्थन देना चाहती है।
जियो इंस्टीट्यूट में जहां अभी निर्माण कार्य शुरु भी नहीं हुआ है, वहीं सरकार ने इस पर एक कंडीशन लगा दी है कि यह साल 2021 से ऑपरेशनल हो जाना चाहिए। अब मंगलवार को महाराष्ट्र की कैबिनेट ने अपनी टैक्स गाइडलाइन में कुछ बदलाव करने का फैसला किया है। महाराष्ट्र कैबिनेट ने राज्य की सेमी-अर्बन बेल्ट में बिल्डिंग निर्माण में कई सहूलियतें और टैक्स में छूट का ऐलान किया है। जिसका सीधा फायदा जियो इंस्टीट्यूट को मिलेगा। इसके साथ ही सरकार ने हरित इलाके में ऊंची बिल्डिंग के निर्माण को भी मंजूरी दे दी है। नए नियमों के तहत इंटीग्रेटिड टाउनशिप में अब प्लॉट के कुल क्षेत्रफल पर कुल फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) बराबर होगा। FSI का मतलब होता है फ्लोर का कुल एरिया, जिससे इस बात का पता चलता है कि एक प्लॉट पर कितने एरिया में कंस्ट्रक्शन किया जा सकता है।
इसके साथ ही महाराष्ट्र कैबिनेट ने इस बात को भी मंजूरी दे दी है कि कृषि जमीन पर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट को निर्माण की इजाजत दी जा सकती है। इसके लिए एग्रीकल्चर लैंड एक्ट, 1967 में बदलाव किए गए हैं। इस एक्ट के मुताबिक एग्रीकल्चर जमीन को सिर्फ कोई किसान ही खरीद सकता है। इसके साथ ही महाराष्ट्र सरकार इंस्टीट्यूट के डेवलेपमेंट के लिए डेवलेपमेंट चार्ज में 50 प्रतिशत की छूट भी देगी। यूजीसी के निवेदन पर महाराष्ट्र सरकार ने इंस्टीट्यूट ऑफ एमीनेंस को स्टाम्प ड्यूटी में भी छूट देने का फैसला किया है। हालांकि ऐसी खबर है कि राजस्व विभाग ने इसका कड़ा विरोध किया है। महाराष्ट्र सरकार के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ये सब बदलाव राज्य में विश्वस्तरीय एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स के निर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किए गए हैं। सरकार ऐसे प्रोजेक्ट को अपना समर्थन देना चाहती है।