राहुल गांधी बोले- भारत का प्रधानमंत्री चोर है, यह साबित हो गया, अब तो सफाई दें
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल विमान सौदे में ‘आॅफसेट साझेदार’ के संदर्भ में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के कथित बयान को लेकर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि मोदी सफाई दें, क्योंकि एक दूसरे देश के पूर्व राष्ट्रपति ने उन्हें ”चोर” कहा है। राहुल ने संवाददाताओं से कहा, ”फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर अनिल अंबानी की कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया गया। एक तरह से वो कह रहे हैं कि भारत के प्रधानमंत्री चोर हैं।” उन्होंने कहा, ”पहली बार है कि किसी दूसरे देश के पूर्व राष्ट्रपति ने हमारे प्रधानमंत्री को चोर कहा। भ्रष्टाचारी कहा है। यह भ्रष्टाचार, रक्षा और हमारे जवानों के भविष्य का मामला है। प्रधानमंत्री पूरी तरह चुप हैं। वह एक शब्द नहीं बोले।”
कांग्रेस प्रमुख ने कहा, ”भारत के प्रधानमंत्री को सफाई देनी चाहिये। समझ नहीं आ रहा है कि वह क्यों नहीं बोल रहे हैं।” उन्होंने कहा, “देश का चौकीदार का चोर है। पूरी तरह से भ्रष्टाचार का मामला है।” दरअसल, कांग्रेस और राहुल पिछले कई महीनों से यह आरोप लगाते आ रहे हैं कि मोदी सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसाल्ट से 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद का जो सौदा किया है, उसका मूल्य पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में विमानों की दर को लेकर बनी सहमति की तुलना में बहुत अधिक है। इससे सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। पार्टी ने यह भी दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौदे को बदलवाया जिससे एचएएल से ठेका लेकर रिलायंस डिफेंस को दिया गया।
बता दें कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने दावा किया था कि भारत सरकार ने राफेल सौदे के लिए एक निजी कंपनी का नाम सुझाया था। ओलांद ने कहा था, “हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। भारत सरकार ने यह नाम (रिलायंस डिफेंस) सुझाया था और दसॉल्ट ने अंबानी से बात की थी।” राफेल विमानों के निमार्ता दसॉल्ट एविएशन ने शुक्रवार रात अपने बयान में कहा कि दसॉल्ट एविएशन ने भारत के रिलायंस ग्रुप के साथ साझीदारी करने का फैसला किया था। यह दसॉल्ट एविएशन का फैसला था। फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की घोषणा 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी और 2016 में सौदे पर हस्ताक्षर हुआ था।
कांग्रेस प्रमुख ने कहा, ”भारत के प्रधानमंत्री को सफाई देनी चाहिये। समझ नहीं आ रहा है कि वह क्यों नहीं बोल रहे हैं।” उन्होंने कहा, “देश का चौकीदार का चोर है। पूरी तरह से भ्रष्टाचार का मामला है।” दरअसल, कांग्रेस और राहुल पिछले कई महीनों से यह आरोप लगाते आ रहे हैं कि मोदी सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसाल्ट से 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद का जो सौदा किया है, उसका मूल्य पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में विमानों की दर को लेकर बनी सहमति की तुलना में बहुत अधिक है। इससे सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। पार्टी ने यह भी दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौदे को बदलवाया जिससे एचएएल से ठेका लेकर रिलायंस डिफेंस को दिया गया।
बता दें कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने दावा किया था कि भारत सरकार ने राफेल सौदे के लिए एक निजी कंपनी का नाम सुझाया था। ओलांद ने कहा था, “हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। भारत सरकार ने यह नाम (रिलायंस डिफेंस) सुझाया था और दसॉल्ट ने अंबानी से बात की थी।” राफेल विमानों के निमार्ता दसॉल्ट एविएशन ने शुक्रवार रात अपने बयान में कहा कि दसॉल्ट एविएशन ने भारत के रिलायंस ग्रुप के साथ साझीदारी करने का फैसला किया था। यह दसॉल्ट एविएशन का फैसला था। फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की घोषणा 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी और 2016 में सौदे पर हस्ताक्षर हुआ था।