पूर्वांचल के माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की जेल में गोली मारकर हत्या

उत्तर प्रदेश की बागपत जिला जेल में अंडरवर्ल्ड डॉन प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। इस वारदात के बाद जेल प्रशासन से लेकर लखनऊ तक अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हत्याकांड की न्यायिक जांच का आदेश दिया है। वहीं, एडीजी जेल चंद्रप्रकाश ने चार जेलकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है। बागपत जेल में ही बंद गैंगस्टर सुनील राठी के शूटरों पर वारदात का शक है। वहीं, हत्या की तफ्तीश के लिए बागपत जेल में एक जांच टीम भी पहुंच चुकी है।

जेलर समेत 4 सस्पेंड, न्यायिक जांच का आदेश:
इस बीच जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले में जुडिशल इंक्वॉयरी के भी आदेश दे दिए गए हैं। मुन्ना बजरंगी की पत्नी ने पहले ही जेल में हत्या की आशंका जाहिर की थी। ऐसे में जेल के अंदर ही सनसनीखेज तरीके से हत्या होने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस घटना की न्यायिक जांच का आदेश देते हुए कहा, 'मैंने न्यायिक जांच के साथ ही जेलर को सस्पेंड करने के आदेश दिए हैं। जेल के अंदर इस तरह की वारदात होना गंभीर मसला है। हम इस मामले की गहराई से जांच कराएंगे और जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।'
सुनील राठी गैंग का हाथ
मुन्ना बजरंगी की हत्या के पीछे वेस्ट यूपी और उत्तराखंड में सक्रिय सुनील राठी गैंग के शूटरों का हाथ बताया जा रहा है। इस बीच मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह परिवारवालों के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलने वाली हैं। रंगदारी से जुड़े एक केस के सिलसिले में मुन्ना बजरंगी की सोमवार को बागपत कोर्ट में पेशी होनी थी।
रविवार को ही झांसी से किया गया था शिफ्ट
रविवार रात को ही मुन्ना बजरंगी को झांसी जेल से बागपत जेल ट्रांसफर किया गया था। सोमवार को बागपत में रेलवे से जुड़े एक मामले में सुनवाई थी। इसी सिलसिले में रविवार की रात 9 बजे ही मुन्ना बजरंगी को बागपत जेल में शिफ्ट किया गया था।
पूर्वांचल के बड़े अपराधियों में गिनती
मुन्ना बजरंगी की गिनती पूर्वांचल के कुख्यात अपराधियों में होती है। कई बड़ी आपराधिक वारदातों में बजरंगी का नाम सामने आया था। मुन्ना बजरंगी के परिजनों ने पहले ही आशंका जताई थी कि बागपत जेल में उनकी हत्या हो सकती है। 29 जून को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने कहा था कि जेल में उनके पति की जान को खतरा है।
परिवार ने जताई थी हत्या की आशंका
उन्होंने हत्या की साजिश का आरोप लगाते हुए यूपी प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता की थी। इस दौरान उनके साथ मुन्ना बजरंगी के वकील विकास श्रीवास्तव भी मौजूद थे। सीमा सिंह ने अपने पति मुन्ना बजरंगी को यूपी स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और पुलिस के उच्चाधिकारियों द्वारा फर्जी एनकाउंटर में मारे जाने की साजिश रचने का आरोप लगाया था।
कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों का बगैर नाम लिए सीमा सिंह ने कहा था कि साजिश रचकर कई बार उनके पति को जेल में ही जान से मारने का प्रयास किया जा चुका है। इस संबंध में सीमा सिंह ने पुलिस के कई बड़े अधिकारियों के खिलाफ न्यायालय में भी शिकायत की थी।

20 साल, 40 हत्याएं और मुख्तार अंसारी के साथ ने मुन्ना बजरंगी को बनाया कुख्यात डॉनए, क नजर मुन्ना बजरंगी की हिस्ट्रीशीट पर:
असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के निवासी मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह है। 1967 में जिले के पूरेदयाल गांव में जन्मे मुन्ना बजरंगी ने पांचवीं के बाद पढ़ाई-लिखाई छोड़ दी। इस दौरान वह धीरे-धीरे जुर्म की दुनिया की ओर मुड़ता चला गया।
17 साल में पहला केस दर्ज
मुन्ना के अपराध की दलदल में फंसने की शुरुआत काफी छोटी उम्र में ही हो गई। 17 साल की उम्र में ही उसके खिलाफ जौनपुर के सुरेही थाने में पुलिस ने मारपीट और अवैध हथियार रखने के आरोप में पहला केस दर्ज किया।
1984 में पहली हत्या
80 के दशक में मुन्ना को जौनपुर के एक स्थानीय माफिया गजराज सिंह का संरक्षण मिल गया। 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक कारोबारी को मौत के घाट उतार दिया। गजराज के इशारे पर जौनपुर में बीजेपी नेता रामचंद्र सिंह के मर्डर में भी मुन्ना की ही नाम सामने आया। इसके बाद तो हत्याओं का मानो सिलसिला चल पड़ा।
90 के दशक में मुख्तार गैंग में शामिल
90 के दशक में मुन्ना बजरंगी ने पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी का दामन थामा। मुख्तार का गैंग मऊ से ऑपरेट हो रहा था लेकिन पूरे पूर्वांचल में जुर्म की दुनिया में मुख्तार की तूती बोल रही थी। मुख्तार ने इसी दौरान अपराध से सियासत का रुख किया। 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मुख्तार ने मऊ से विधानसभा का चुनाव जीता। इसके बाद मुन्ना का सरकारी ठेकों में दखल बढ़ता गया। इस दौरान वह लगातार मुख्तार अंसारी की सरपरस्ती में काम करता रहा।
कृष्णानंद राय हत्या में आरोपी
पूर्वांचल में इसी दौरान बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की सनसनीखेज हत्या हुई। उत्तर प्रदेश पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई इस मामले में मुन्ना बजरंगी का सुराग ढूंढ रही थी। उस पर सात लाख रुपये के इनाम का भी ऐलान हुआ। पुलिस से बचने के लिए वह लगातार ठिकाने बदल रहा था।
मुंबई में ली थी पनाह
यूपी पुलिस और एसटीएफ के बढ़ते दबाव के बीच मुन्ना के लिए यूपी और बिहार में टिकने में मुश्किल हो रही थी। सुरक्षित ठिकाने की तलाश में मुन्ना मुंबई पहुंच गया। इस दौरान वह लंबे अरसे तक वहीं रहा। मुंबई मेें रहते हुए अंडरवर्ल्ड से भी उसने अपने संबंध मजबूत कर लिए। धीरे-धीरे वह मुंबई से ही अपने गैंग को ऑपरेट करने लगा।
मुख्तार से संबंध हुए खराब
मुन्ना बजरंगी इस बीच एक महिला को गाजीपुर से बीजेपी का टिकट दिलवाना चाहता था। इस वजह से मुख्तार अंसारी के साथ उसके संबंध बुरे दौर में पहुंच गए। अब मुख्तार के लोग भी उसकी सहायता नहीं कर रहे थे। बीजेपी में बात नहीं बनने पर मुन्ना कथित रूप से कांग्रेस के एक कद्दावर नेता की शरण में चला गया। बताया जाता है कि कांग्रेस के यह नेता भी जौनपुर जिले से ही ताल्लुक रखते थे और मुंबई में रहते हुए सियासत में सक्रिय थे।
मुंबई के मलाड से हुई गिरफ्तारी
मुन्ना बजरंगी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा केस दर्ज हैं। 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड से गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद ऐसी भी चर्चाएं चलीं कि मुन्ना ने एनकाउंटर का डर होने के चलते खुद ही प्लानिंग के तहत अपनी गिरफ्तारी कराई थी।
दिल्ली पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजबीर सिंह की हत्या के मामले में पुलिस को मुन्ना बजरंगी का हाथ होने का शक था। इसके बाद से उसे अलग-अलग जेल में रखा जाता रहा। मुन्ना बजरंगी ने एक बार दावा किया था कि अपने 20 साल के आपराधिक जीवन में उसने हत्या की 40 वारदातों को अंजाम दिया है। रविवार रात को ही मुन्ना को एक पेशी के सिलसिले में यूपी की झांसी जेल से बागपत जेल शिफ्ट किया गया था। यहां उसकी सनसनीखेज तरीके से हत्या कर दी गई।

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