विरोध के बीच डॉनल्ड ट्रंप का ऐलान, यरुशलम इजरायल की राजधानी
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि अमरीका यरूशलम को इसराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देता है.
साथ ही उन्होंने अमरीकी दूतावास को तेल अवीव से यरूशलम लाने को मंजूरी दे दी.
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि इस क़दम का लंबे समय से इंतज़ार था और इससे मध्य पूर्व में शांति प्रक्रिया तेज़ होगी और टिकाऊ समझौते का मार्ग प्रशस्त होगा.
ट्रंप की इस घोषणा से पहले फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के एक प्रवक्ता ने चेतावनी दी थी कि इस क़दम के ख़तरनाक परिणाम हो सकते हैं.
ट्रंप का भाषण
ट्रंप में अपने भाषण में कहा कि 'अतीत में असफल नीतियों को दोहराने से हम अपनी समस्याएं हल नहीं कर सकते.'
उन्होंने कहा, "आज मेरी घोषणा इसराइल और फ़लस्तीनी क्षेत्र के बीच विवाद के प्रति एक नए नज़रिए की शुरुआत है."
उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि वो यरूशलम को इसराइल की राजधानी का दर्जा देंगे.
उन्होंने कहा कि यरूशलम को इसराइल की राजधानी की मान्यता देने में देरी की नीति ने शांति स्थापित करने की ओर कुछ भी हासिल नहीं किया है.
फ़लस्तीनी पक्ष
इस बीच फ़लस्तीनियों ने कहा है कि ऐसा करना मौत को गले लगाने जैसा है.
जबकि इसराइल ने अन्य देशों से भी अमरीका का अनुसरण करने की अपील की है.
लेकिन इसराइल समर्थक एक उदारवादी एडवोकेसी ग्रुप के मुखिया जे स्ट्रीट ने ट्रंप के फैसले की सोशल मीडिया पर निंदा की है.
उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है, "एक ख़तरनाक और जल्दबाज़ी वाले फैसले में ट्रंप ने यरूशलम को इसराइल की राजधानी के रूप में मान्यता दे दी है."
गज़ा पट्टी के दक्षिणी हिस्से में फ़लस्तीनियों ने ट्रंप, इसराइली प्रधानमंत्री की तस्वीरें जला कर विरोध प्रदर्शन किया है.
कोफ़ी अन्नान ने की आलोचना
नेल्सन मंडेला द्वारा गठित पूर्व नेताओं वाले एल्डर्स ग्रुप ने कहा है कि अमरीकी फ़ैसला मध्यपूर्व में शांति प्रयासों के लिए गंभीर ख़तरा पैदा करता है.
संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफ़ी अन्नान ने लिखा है, "अमरीकी राष्ट्रपति के फ़ैसले पर आज मुझे गहरा दुख हुआ है. उन्होंने लंबे समय से चले आ रहे रुख को पलट दिया और यरूशलम पर अंतरराष्ट्रीय सहमति को तोड़ दिया है."
उन्होंने लिखा है, "मैं उम्मीद करता हूं फ़लस्तीनी और अरब देश संयम बरतेंगे और अमरीका के सहयोगी देश, अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से वॉशिंगटन की नीति को प्रभावित करने के लिए जो कुछ कर सकते हों, सब करेंगे."
उन्होंने सभी पक्षों को एहतियात बरतने की हिदायत दी, "सभी पक्षों को उन सभी तनाव बढ़ाने वाली चीज़ों से बचना होगा जिससे हिंसा भड़कने की संभावना हो."
इसराइल ने क्या कहा
इसराइली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने इसे एक ऐतिहासिक दिन बताया है.
उन्होंने कहा, "यरूशलम 70 साल से इसराइल की राजधानी रहा है. तीन शताब्दियों से ये हमारी उम्मीदों, हमारे सपनों और प्रार्थनाओं का केंद्र रहा है. यरूशलम 3000 सालों से यहूदी लोगों की राजधानी रहा है."
प्रधानमंत्री ने कहा, "ये वही जगह है जहां हमारे पवित्र धर्म स्थल रहे, हमारे राजाओं ने शासन किया और हमारे पैगम्बरों ने उपदेश दिए."
उन्होंने कहा, "धरती के हर कोने से हमारे लोग उदास होकर यरूशलम लौटे ताकि इसके पवित्र पत्थरों को छू सकें, यहां की खाली सड़कों पर चल सकें. इसलिए शहर के शानदार इतिहास के बारे में इस ऐतिहासिक पल पर बोलना दुर्लभ बात है."
ट्रंप ने और क्या क्या कहा
ट्रंप में अपने भाषण में कहा, "दो दशकों तक छूट दिए जाते रहने के बाद भी हम इसराइल और फ़लस्तीन के बीच शांति समझौते के क़रीब नहीं पहुंच पाए हैं. ये मानना नादानी होगी कि उसी फ़ॉर्मूले को दोहराना कोई अलग या बेहतर नतीजे देगा."
ट्रंप ने कहा, "इस फैसले का मतलब ये नहीं है कि हमने शांति समझौते के प्रति कड़ी प्रतिबद्धता से खुद को अलग कर लिया है."
उन्होंने कहा, "हम ऐसा समझौता चाहते हैं जो इसराइल और फ़लस्तीन दोनों के लिए बेहतर हो. हम इसकी अंतिम स्थिति पर कोई रुख़ नहीं अख़्तियार कर रहे हैं, चाहे वो यरूशलम में इसराइल की सीमा का मामला हो या विवादित सीमा पर प्रस्तावों का मामला हो."
उन्होंने कहा कि ये सवाल संबंधित पक्षों के ऊपर निर्भर करता है, अमरीका दोनों पक्षों को स्वीकार्य शांति समझौते में मदद करने के प्रति गहरी आस्था रखता है.
यरूशलम को इसराइल की राजधानी के रूप में मान्यता दिए जाने के अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के फैसले की काफ़ी आलोचना हो रही है.
मुस्लिम जगत के नेताओं और व्यापक अंतरराष्ट्रीय जगत ने इसकी तीख़ी आलोचना की है और इसके कारण संभावित हिंसा और खूनखराबे की चेतावनी दी है.
ट्रंप ने अमरीकी दूतावास को तेल अवीव से यरूशलम ले जाने को भी मंजूरी दे दी है, इसके साथ ही यरूशमल को इसराइल की राजधानी की आधिकारिक मान्यता देने वाला वो पहला देश बन गया है.
फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने इस फैसले को 'एक दशक तक मध्यस्थ की भूमिका निभाने के बाद, शांति समझौते में अपनी भूमिका से अमरीका को पीछे हटने वाला' बताया है.
उन्होंने कहा कि शांति प्रयासों को जानबूझकर कमज़ोर करने का 'कदम निंदनीय और अस्वीकार्य' है.
उन्होंने दोहराया कि यरूशलम फलस्तीन राज्य की अखंड राजधानी है.
फ़लस्तीन के एक अन्य ग्रुप हमास के मुखिया इस्माइल हानिया ने कहा, "हमारे फ़लस्तीनी लोग इस साजिश को सफ़ल नहीं होने देंगे और उनके पास अपनी ज़मीन और पवित्र स्थलों को बचाने के विकल्प खुले हैं."
इसराइली प्रधानमंत्री ने ट्रंप की घोषणा को 'ऐतिहासिक' क़रार दिया है. उन्होंने ट्रंप के फैसले को 'साहसिक' बताया है.
इसराइली प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में इसे 'शांति को बढ़ा हुआ कदम' बताया.
मुस्लिम जगत की प्रतिक्रिया
तुर्की के विदेश मंत्री ने कहा कि 'ये फ़ैसला ग़ैरज़िम्मेदाराना है.'
उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि 'ये फ़ैसला अंतरराष्ट्रीय क़ानून और संयुक्त राष्ट्र के इस बारे में पारित किए गए प्रस्तावों के ख़िलाफ़ है.'
सऊदी अरब की मीडिया के अनुसार किंग सलमान ने फ़ोन पर ट्रंप से कहा, "अंतिम समझौते से पहले यरूशलम की स्थिति के बारे में तय करना शांति प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाएगा और इलाक़े में तनाव बढ़ाएगा."
मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़तह अल सीसी ने भी चेताया है, "मध्यपूर्व में शांति की उम्मीद को कमज़ोर करने वाले किसी भी कदम से इलाक़े में स्थिति और जटिल होगी."
अरब लीग ने इसे 'ख़तरनाक' कदम बताया है और कहा है कि इसके नतीजे पूरे इलाक़े को प्रभावित करेंगे और शांति वार्ता में अमरीका की आगे की भूमिका पर सवाल खड़े करेंगे.
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली ख़ामनेई ने कहा, "यरूशलम को यहूदी राज की राजधानी घोषित करना हताशा भरा कदम है. फलस्तीन के मुद्दे पर उनके हाथ बंधे हैं और वे अपने लक्ष्य में सफल नहीं होंगे."
इस बीच जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला ने इस फैसले से उपजी जटिलता से निपने के लिए संयुक्त प्रयास करने की अपील की है.
अंतरराष्ट्रीय जगत की प्रतिक्रिया
पोप फ़्रांसिस ने कहा है, "हाल के दिनों में जो हालात पैदा हुए हैं उन पर मैं अपनी चिंता को दबा नहीं सकता. दूसरी तरफ़ मैं सभी से अपील करता हूं कि संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के अनुरूप वो यथास्थिति का सम्मान करें."
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंतोनियो गुटेरेस ने कहा कि 'ट्रंप का बयान इसराइल और फ़लस्तीन के बीच शांति की संभावनाओं को बर्बाद कर देगा.'
उन्होंने कहा, "यरूशलम की अंतिम स्थिति को, संबंधित दोनों पक्षों की आपसी बातचीत के बाद तय की जानी चाहिए."
यूरोपीय संघ ने कहा है कि 'दो राष्ट्र के हल की ओर अर्थपूर्ण शांति प्रक्रिया को बहाल किया जाए और बातचीत के मार्फ़त एक रास्ता तलाशा जाए.'
फ़्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने कहा कि 'ट्रंप का फैसला अफसोसजनक' है.
उन्होंने 'किसी भी क़ीमत पर हिंसा को रोकने की कोशिश' करने की अपील की है.
चीन और रूस ने चिंता जताते हुए कहा है कि 'इससे इलाक़े में अंशांति फैलेगी.'
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीज़ा मे ने कहा कि' ब्रिटेन की सरकार अमरीकी फैसले से असहमत है, जोकि इलाक़े में शांति के लिहाज से बिल्कुल भी मददगार नहीं है.'
उन्होंने कहा कि 'यरूशलम की स्थिति अंततः एक साझा राजधानी के रूप में तय की जानी चाहिए.'
उन्होंने कहा, "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के मुताबिक, हम पूर्वी यरूशलम को कब्ज़े वाले फ़लस्तीनी इलाक़े के रूप में देखते हैं."