चारा घोटाले में लालू यादव दोषी, हिरासत में लिए गए

सीबीआई की विशेष अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में दोषी क़रार दिया है. 1991 से 1994 के बीच देवघर राजकोष से 85 लाख रुपए ग़बन के मामले में लालू प्रसाद को दोषी ठहराए गए हैं.
उन्हें अदालत परिसर में ही पुलिस कस्टडी में ले लिया गया है. अदालत तीन जनवरी को सज़ा सुनाएगी.
अपने छोटे बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ लालू यादव शनिवार सुबह ही कोर्ट पहुंच गए थे. उन्होंने अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने की अपील की थी. लालू के समर्थक अदालत के बाहर जुटे हुए थे. आरजेडी प्रमुख ने फ़ैसला आने से पहले कहा था कि बीजेपी उन्हें बदनाम करना चाहती है.
स्थानीय पत्रकार नीरज सिन्हा के अनुसार कोर्ट ने इसमें कुल 15 लोगों को दोषी ठहराया है जिसमें लालू प्रसाद भी हैं. इसके साथ ही 6 लोगों को बरी कर दिया गया है और इसमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा शामिल हैं.
अदालत के इस फ़ैसले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं. बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा, ''जो बोया वो पाया! बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होई. यह तो होना ही था.''
वहीं राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा है अदालत के फ़ैसले पर कहा, ''जगन्नाथ को बेल, लालू को जेल यही है खेल. लड़ेंगे आखिरी दम तक.''
इस केस में लालू यादव पर यह भी आरोप था कि बिहार के मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री तौर पर इस घपले के साज़िशकर्ताओं के ख़िलाफ़ जांच की फाइलें अपने क़ब्जे में रखी थीं.
इसके साथ ही यह भी आरोप था कि नौकरशाहों की आपत्तियों के बावजूद लालू प्रसाद ने तीन अधिकारियों को एक्सटेंशन दिया था. सीबीआई का कहना है कि लालू यादव को ग़बन के बारे में पता था फिर भी उन्होंने इस लूट को रोका नहीं था.
इस केस में लालू यादव के साथ बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जग्गनाथ मिश्रा और 19 अन्य लोग अभियुक्त थे. जग्गनाथ मिश्रा को अदालत ने बरी कर दिया है.
शुरू में इस केस में 34 लोगों पर आरोप तय किए गए थे, लेकिन इनमें से 11 लोगों की केस की सुनवाई के दौरान मौत हो गई. सीबीआई के विशेष जज शिवपाल सिंह ने 13 दिसंबर को केस की सुनवाई कर ली थी.
अक्टूबर 2013 में लालू यादव को एक मामले में दोषी ठहराया गया था. इस मामले में 37 करोड़ ग़बन का मामला था. अदालत के इस फ़ैसले के कारण लालू प्रसाद को लोकसभा सांसद के रूप में अयोग्य ठहरा दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिलने से पहले लालू को इस मामले में दो महीने जेल में भी रहना पड़ा था.
2014 में झारखंड हाई कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव और अन्य लोगों को राहत देते हुए आपराधिक साज़िश के मामले को वापस ले लिया था. अदालत का कहना था कि जिस शख़्स को जिस मामले में दोषी ठहरा दिया गया है उसे उसकी केस में उन्हीं गवाहों और चश्मदीदों के आधार पर फिर से जांच नहीं की जा सकती है.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव घपले से जुड़े अन्य मामलों में भी अभियुक्त हैं. उन पर नक़ली दवाई और पशुओं के चारे में 900 करोड़ ग़बन के आरोप तय हैं. सीबीआई ने इन मामलों की जांच 1996 में ही शुरू कर दी थी.

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