क्या सऊदी अरब में मौलवियों का असर होगा कम?

सऊदी अरब के क्राउंन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा है कि खाड़ी देश को आधुनिक बनाने की योजना के तहत वो उदार इस्लाम की वापसी चाहते हैं.
संवाददाताओं से बात करते हुए शाह सलमान ने कहा, ''सऊदी की 70 फीसदी जनसंख्या की उम्र 30 से कम है और वो एक ऐसी ज़िंदगी चाहते हैं, जिसमें हमारा धर्म सहिष्णुता सिखाए.''
प्रिंस सलमान ने उग्रवाद के बचे-खुचे असर को जल्द खत्म करने पर ज़ोर दिया. सलमान ने ये एलान एक न्यू सिटी और बिज़नेस ज़ोन में क़रीब 324 लाख करोड़ रुपये (500 बिलियन डॉलर) के निवेश के बाद किया.
ये निवेश मिस्र और जॉर्डन के पास सऊदी अरब के उत्तरी पश्चिमी लाल सागर के तट पर 26500 वर्ग किलोमीटर पर होगा.
सऊदी अरब का शाही परिवार और धार्मिक प्रतिष्ठान सुन्नी इस्लाम के एक रूप वहाबी को मानते हैं. शाही परिवार में इस्लामिक नियमों का सख्ती से पालन किया जाता है.

सऊदी अरब का विजन 2030

बीते साल प्रिंस सलमान ने सऊदी अरब में सामाजिक और आर्थिक बदलाव लाने के लिए विस्तृत योजना पेश की. इसे विजन 2030 कहा गया.
इन्ही सुधारों के तहत प्रिंस ने सरकारी तेल कंपनी सऊदी अरामाको के निजीकरण और दुनिया के सबसे बड़े संप्रभु वित्त फंड बनाए जाने का प्रस्ताव रखा.
बीते सितंबर में प्रिंस के पिता किंग सलमान ने महिलाओं के गाड़ी चलाए जाने पर लगे प्रतिबंध पर रोक हटाई थी. धार्मिक कट्टरपंथियों से आलोचना झेलने के बावजूद अगले साल तक सऊदी अरब में महिलाओँ को कार चलाने के लिए लाइसेंस देना शुरू कर दिया जाएगा.
सऊदी में मनोरंजन क्षेत्र में भी सरकार निवेश करना चाहती है. इसके तहत कॉन्सर्ट कराए जा रहे हैं और उम्मीद है कि मुल्क में सिनेमा की वापसी होगी.

'उधर लौटेंगे, जहां पहले थे'

रियाद में एक आर्थिक सम्मेलन के दौरान इन सुधारों की वकालत करते हुए प्रिंस ने कहा, ''हम उस तरफ लौट रहे हैं, जहां हम पहले थे- एक उदार इस्लाम वाला मुल्क. जो सभी धर्मों, परंपराओं और दुनिया भर के लोगों के लिए खुला है.
  • हम एक साधारण जीवन जीना चाहते हैं. एक ऐसा जीवन जिसमें हमारा धर्म हमें सहिष्णु होना और हमारी परंपराओं के प्रति दयालु होना सिखाए.
  • सऊदी अरब की 70 फीसदी जनसंख्या की उम्र 30 से कम है और ईमानदारी से हम अगले 30 साल तबाह करने वाली सोच के साथ जीते हुए नहीं खर्च करेंगे. हम ऐसी सोच को खत्म करेंगे.''
प्रिंस ज़ोर देकर कहते हैं कि सऊदी अरब आज जैसा है, साल 1979 से पहले ऐसा नहीं था, जब ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई थी तब लड़ाकों ने मक्का की विशाल मस्जिद पर कब्ज़ा कर लिया था.
इसके बाद ही सऊदी अरब में मनोरंजन पर रोक लगाई गई थी और मौलवियों को लोगों की ज़िंदगी पर नियंत्रण दे दिया गया था.

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