‘पीएम मोदी 16 अक्टूबर को गुजरात जाकर जुमलेबाजी भरे वादे कर सकें, इसीलिए नहीं हुआ चुनाव का एलान’

कांग्रेस ने चुनाव आयोग की ओर से हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम एक साथ घोषित नहीं करने पर गुरुवार को सवाल उठाए और आरोप लगाया कि सरकार ने आयोग पर “दबाव” बनाया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि गुजरात चुनाव के कार्यक्रम घोषित करने में देरी इसलिए की गई ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 अक्तूबर को अपने गृह राज्य के दौरे के दौरान लोकलुभावन घोषणाएं कर “फर्जी सांता क्लॉज” के तौर पर पेश आएं और “जुमलों” का इस्तेमाल करें। पार्टी ने कहा कि यदि गुजरात चुनाव के कार्यक्रम अभी घोषित कर दिए गए होते तो राज्य में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गई होती ।
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने अपने टि्वटर अकाउंट पर डाले एक वीडियो संदेश में आरोप लगाया, ‘अब यह साफ है कि हिमाचल के साथ गुजरात चुनाव के कार्यक्रमों की घोषणा टालने के लिए मोदी सरकार और भाजपा चुनाव आयोग पर दबाव डाल रहे हैं ताकि उनके राजनीतिक हित पूरे हो सकें।’ साथ ही उन्होंने ट्वीट किया, ‘कारण यह है कि प्रधानमंत्री एक फर्जी सांता क्लॉज के तौर पर 16 अक्तूबर को गुजरात जा रहे हैं ताकि ऐसी लोक लुभावन घोषणाएं कर सकें और ऐसे जुमलों का इस्तेमाल कर सकें जो उन्होंने 22 साल से लागू नहीं किए।’
कांग्रेस नेता ने कहा कि गुजरात चुनाव की तारीखें घोषित कर और तत्काल आदर्श आचार संहिता लागू कर सभी को समान अवसर मुहैया कराने की जिम्मेदारी अब चुनाव आयोग पर है। उन्होंने कहा, ‘सवाल यह है कि क्या चुनाव आयोग सरकार के ऐसे दबाव में घुटने टेक सकता है। क्या यह परंपरा सही है और चुनाव आयोग को इस बाबत लोगों को विस्तार से जवाब देना चाहिए।’ सुरजेवाला ने दावा किया कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से भाजपा की पिछली 22 साल की नाकामियों की पोल खोल देने के बाद मोदी को हार का भान हो गया है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा को हार का डर सता रहा है और वह आखिरी समय में वोटरों को ललचाने की कोशिश में जुटी है ।
सुरजेवाला ने कहा, ‘हम मांग करते हैं कि गुजरात और हिमाचल में नवंबर में चुनाव कराए जाएं और आदर्श आचार संहिता तत्काल लागू की जाए। यह दोनों राज्यों के लोगों की मांग भी है और संवैधानिक दायित्व भी है। आप चाहे जो भी करें, लोगों ने अपना मन बना लिया है और वे भाजपा को हराएंगे।’ हिमाचल प्रदेश मामलों की प्रभारी सचिव रंजीत रंजन ने भी चुनाव आयोग पर ऐसे ही सवाल उठाए । उन्होंने दावा किया कि गुजरात में मुख्य विपक्षी कांग्रेस को समर्थन हासिल हो रहा है और इसलिए भाजपा को डर है कि गुजरात उसके हाथों से निकल जाएगा।
जानिए, क्या कहती है आदर्श चुनाव आचार संहिता?
-जब से निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन घोषित किए जाएं, तब से मंत्री और अन्य प्राधिकारी किसी भी रूप में कोई भी वित्तीय मंजूरी या वचन देने की घोषणा ना करें। इसके साथ ही किसी प्रकार की परियोजनाओं अथवा स्कीमों के लिये आधारशिलाएं आदि नहीं कर सकते (लोक सेवकों को छोड़कर)। इसके अलावा सड़कों के निर्माण का कोई वचन नहीं देंगे, पीने के पानी की सुविधाएं नहीं देंगे।
-मंत्रियों को अपने शासकीय दौरों को, निर्वाचन से संबंधित प्रचार के साथ नहीं जोड़ना चाहिए और निर्वाचन के दौरान प्रचार करते हुए शासकीय मशीनरी और कार्मिकों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
-सरकारी विमानों, गाड़ियों सहित सरकारी वाहनों, मशीनरी और कार्मिकों का सत्ताधारी दल के हित को बढ़ावा देने के लिए प्रयोग नहीं किया जाएगा।
-मंत्रियों और अन्य प्राधिकारियों को उस समय जब से निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन घोषित किये जाते है, विवेकाधीन निधि में से अनुदानों/अदायगियों की स्वीकृति नहीं देनी चाहिये।

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