अरुण जेटली ने बेड़ा ग़र्क कर दिया- यशवंत सिन्हा

अटल बिहारी सरकार में वित्त मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा ने मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है.
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में लिखे लेख में उन्होंने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था गर्त की ओर जा रही है. भाजपा में कई लोग ये बात जानते हैं लेकिन डर की वजह से कुछ कहेंगे नहीं.
इस लेख का शीर्षक 'I need to speak up now'(मुझे अब बोलना ही होगा) है. उन्होंने लिखा है, ''देश के वित्त मंत्री ने अर्थव्यवस्था की हालत जो बिगाड़ दी है, ऐसे में अगर मैं अब भी चुप रहूं तो ये राष्ट्रीय कर्तव्य के साथ अन्याय होगा.''

'चुनाव हारे फिर भी जेटली को मौका'

यशवंत ने लिखा है, ''मुझे इस बात का भी भरोसा है कि मैं जो कुछ कह रहा हूं, यही भाजपा के और दूसरे लोग मानते हैं लेकिन डर की वजह से ऐसा कहेंगे नहीं.''
उन्होंने लिखा है कि अरुण जेटली को सरकार में बेस्ट माना जाता रहा है. साल 2014 चुनावों से पहले ये पता चल गया था कि वो नई सरकार में वित्त मंत्री होंगे. हालांकि वो अमृतसर से लोकसभा चुनाव हार गए थे. लेकिन ये बात भी उनकी नियुक्ति के आड़े नहीं आ सकी.
सिन्हा ने याद किया, ''अटल बिहारी वाजपेयी ने इन्हीं हालात में अपने करीबी सहयोगी जसवंत सिंह और प्रमोद महाजन को कैबिनेट में जगह नहीं दी थी.''

एक साथ चार मंत्रालयों पर सवाल

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में जेटली कितने ज़रूरी है, इस बात का पता इससे चलता है कि जेटली को चार मंत्रालय दिए गए, जिनमें से तीन अब भी उनके पास हैं.
सिन्हा ने लिखा है, ''मैं वित्त मंत्री रहा हूं इसलिए जानता हूं कि अकेले वित्त मंत्रालय में कितना काम होता है. कितनी मेहनत की ज़रूरी होती है. कितनी चुनौतियां होती हैं. हमें ऐसे शख़्स की ज़रूरत होती है, जो सिर्फ़ वित्त मंत्रालय का काम देखे. ऐसे में जेटली जैसे सुपरमैन भी इस काम को नहीं कर सकते थे.''
पूर्व वित्त मंत्री ने लिखा है कि अरुण जेटली कई मायनों में खुशकिस्मत वित्त मंत्री थे क्योंकि उन्हें माकूल हालात मिले. लेकिन सब ज़ाया कर दिया गया.

नोटबंदी, जीएसटी पर हमला

उन्होंने लिखा है, ''आज अर्थव्यवस्था की क्या हालत है? निजी निवेश गिर रहा है. इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन सिकुड़ रहा है. कृषि संकट में है, कंस्ट्रक्शन और दूसरे सर्विस सेक्टर धीमे पड़ रहे हैं, निर्यात मुश्किल में है, नोटबंदी नाकाम साबित हुआ और गफ़लत में लागू किए गए जीएसटी ने कइयों को डुबो दिया, रोज़गार छीन लिए. नए मौके नहीं दिख रहे.''
सिन्हा के मुताबिक, ''तिमाही दर तिमाही ग्रोथ रेट धीमी पड़ रही है. सरकार के लोग कह रहे हैं कि इसकी वजह नोटबंदी नहीं है. वो सच कह रहे हैं. ये तो पहले से शुरू हो गया था. नोटबंदी ने आग में घी का काम किया.''
पूर्व वित्त मंत्री ने आगे भी अर्थव्यवस्था के धीमे पड़ने की तकनीकी वजह बताई हैं. साथ ही ये भी कहा है कि प्रधानमंत्री भी इस बात से चिंतित हैं.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी अरुण जेटली पर निशाना लगाने में ज़रा देर नहीं लगाई. टि्वटर पर यही लेख पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा, ''लेडीज़ एंड जेंटलमैन, मैं आपका को-पायलट और वित्त मंत्री बोल रहा हूं. अपनी सीट बेल्ट बांध लें और ब्रेस पोज़िशन में आ जाएं. हमारे विमान के पंख गायब हो गए हैं.''

कांग्रेस ने लिया हाथोंहाथ

ज़ाहिर है, यशवंत सिन्हा ने अरुण जेटली पर सीधा हमला बोला है, सो सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा शुरू हो गई. कांग्रेस ने भी इस लेख को हाथोंहाथ लपका.
यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम ने इस लेख को पढ़ने के बाद ट्वीट की झड़ी लगा दी.
उन्होंने लिखा, ''यशवंत सिन्हा ने सत्ता को सच बता दिया है. क्या अब सत्ता ये सच स्वीकार करेगी कि अर्थव्यवस्था डूब रही है. सिन्हा ने कहा, पहला सच: 5.7% का ग्रोथ रेट दरअसल 3.7% या उससे कम है. दूसरा सच: लोगों के दिमाग में डर भरना नए खेल का नाम है.''

मनीष तिवारी ने किया समर्थन

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने एक वीडियो पोस्ट करके कहा, ''सिन्हा सही कह रहे हैं कि अर्थव्यवस्था मुशिकल में है. मोदी की अगुवाई में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने भारतीय अर्थव्यवस्था को डुबो दिया है. किसी को तो शहंशाह को बताना था कि क्या हो रहा है और यशवंत सिन्हा ने ठीक यही किया है.''
सोशल मीडिया पर दूसरे लोग भी यशवंत सिन्हा के पक्ष-विपक्ष में दलीलें दे रहे हैं.
अभिषेक सिंह ने लिखा है, ''यशवंत सिन्हा ने लिखा है, 'प्रधानमंत्री ने गरीबी को करीब से देखा है. उनके वित्त मंत्री ने सुनिश्चित कर रहे हैं कि सारे भारतीय इसे करीब से देख सकें.'''

सोशल पर क्या चर्चा?

जीतेंद्र ने लिखा है, ''शुक्रिया यशवंत सिन्हा जी, जीएसटी के बाद सब कुछ महंगा हो गया है...सरकार लूट रही है.''
रुद्र ने ट्वीट किया, ''ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने विपक्ष का कामकाज छोड़ दिया है. यशवंत सिन्हा एक लेख में आर्थिक हादसे के बारे में बता रहे हैं.''
मुकुल लिखते हैं, ''वो लोग हमें यशवंत सिन्हा को सुनने के लिए कह रहे हैं जिन्होंने खुद साल 2004 में उनकी कोई बात नहीं सुनी.''

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