राम रहीम बलात्कारी करार पर, उनसे बड़े हैं ये पांच गुनहगार

डेरा सच्चा सौदा समिति के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को पंचकूला की सीबीआई कोर्ट ने बलात्कारी क्या ठहराया उनके समर्थक रूपी गुंडे पंजाब और हरियाणा में कहर बरपाने लगे।
पंचकूला में ही अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। दो दिन पहले से पंचकूला में डेरा जमाए डेरा समर्थकों ने जैसे ही सुना कि अदालत ने उसके गुरू को बलात्कार का दोषी ठहराया है, वे उग्र हो गए। जगह-जगह तोड़फोड़ और आगजनी करने लगे। मीडिया वालों को भी नहीं बख्शा। तीन चैनलों के ओबी वैन तोड़े गए और फिर उनमें आग लगा दी गई। ऐसा नहीं है कि यह सब अप्रत्याशित ढंग से हुआ। बता दें कि इसकी आशंका पहले से ही थी लेकिन सिरसा, पंचकूला से लेकर चंडीगढ़ और दिल्ली तक बैठे हुक्मरानों के कान पर जूं नहीं रेंग रही थी। वो हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे और शायद बाबा के उन्मादी समर्थकों से हिंसा की जगह मौन शांति जुलूस की उम्मीद करने लगे। बहरहाल, पंजाब-हरियाणा से निकली यह आग अब दिल्ली और उत्तर प्रदेश तक फैल चुकी है। अगर वहां भी देर हुई तो इसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ सकता है। दरअसल, इन पांच स्तरों पर भारी चूक हुई है, जिन्हें राम रहीम से कम गुनहगार नहीं ठहराया जा सकता है।

मनोहर लाल खट्टर: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर आखिरी समय में जागे। ऐसा हो नहीं सकता कि राज्य इंटेलिजेंस ने उनके मातहत विभागों को इस तरह के उपद्रव की आशंका से संबंधित रिपोर्ट नहीं सौंपी हो। बावजूद इसके खट्टर सरकार ने पंचकूला में लाखों लोगों को एकत्रित होने दिया। ऊपर से उनकी सरकार के मंत्री रामबिलास शर्मा यह कहते दिखे कि समर्थकों का जमा होना चिंता की बात नहीं है क्योंकि उनलोगों ने एक पत्ते भी नहीं तोड़े। शायद मंत्री को यह आभास ही नहीं कि उन्मादी और अंधभक्तों की भीड़ कब आक्रामक होती है। इनके अलावा सरकार के प्रवक्ता भी टीवी चैनलों पर धारा 144 की नई परिभाषा समझाते दिखे। ऐसा लग रहा था जैसे मनोहर लाल खट्टर सरकार जान बूझकर डेरा समर्थकों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाना चाह रही। ऐसा हो भी सकता है क्योंकि हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान बाबा राम रहीम के एक इशारे पर करोड़ों समर्थकों ने भाजपा को वोट दिया था।

कैप्टन अमरिंदर सिंह: हरियाणा के पड़ोसी राज्य पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी डेरा समर्थक गुंडों द्वारा की गई हिंसा और आगजनी के लिए कमोबेश उतने ही जिम्मेदार हैं, जितने मनोहर लाल खट्टर। सेना में रह चुके कैप्टन को भी यह भांपने और फिर उस पर ऐक्शन लेने में लंबा वक्त लग गया। पंजाब सरकार को भी इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर संगरूर, मुक्तसर, मानसा, बठिंडा, फिरोजपुर जैसे इलाकों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने चाहिए थे। सरकार के पास इस बात की पूरी रिपोर्ट रही होगी कि राज्य के किन हिस्सों में बाबा राम रहीम का प्रभाव ज्यादा है और किन इलाकों में वो उपद्रव कर सकते हैं लेकिन अफसोस ऐसा करने में सरकार ने बहुत देर कर दी। नतीजतन ना सिर्फ जान-माल का नुकसान हुआ बल्कि अभी भी हजारों-लाखों जिदगियां सांसत में जीने को मजबूर हैं।

राजनाथ सिंह: केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह अक्सर ऐसे आशंकित उन्माद को लेकर सचेत रहे हैं लेकिन उन्होंने इस बार शिथिलता दिखाई है। पंचकूला समेत कई इलाकों में हिंसा फैलने के बाद उन्होंने आपात बैठक की और हालात से निपटने की योजना पर चर्चा की। बेहतर होता कि इंटेलिजेंस की सूचना पर केंद्रीय गृह मंत्रालय पहले ही हरकत में आता तो शायद ना तो इतने बड़े पैमाने पर पंचकूला में उपद्रवी जमा होते और ना ही इतने लोगों की जान जाती या फिर निजी-सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचता। ऊपर से सेना को भी इसमें नहीं कूदना पड़ता।

हरियाणा-पंजाब के डीजीपी: हरियाणा के डीजीपी बी एस संधू ने त्वरित और कारगर कदम उठाने के साथ-साथ उपद्रवियों से निपटने की कारगर रणनीति अपनाई होती तो पहली बात कि पंचकूला में इतने अनुयायी इकट्ठा नहीं होते। ऊपर से उनके हाथों में हथियार नहीं होते। इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक डेरा समर्थकों को इस बात का एहसास पहले से ही था कि कोर्ट उनके गुरू को जेल भेज सकती है, शायद इसी वजह से उनके समर्थक वहां पूरी तैयारी से पहुंचे थे। उन लोगों ने पेट्रोल बम, पत्थर लाठी-डंडे और हॉकी स्टिक जमा कर रखे थे। पंचकूला के अलावा पंजाब-हरियाणा के अन्य हिस्सों की पहचान करने में देर हुई, जहां हिंसा की लपटें फैली हैं।

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