गोरखपुर: कई बच्चों की जान बचाने वाले डॉ कफील खान BRD मेडिकल कॉलेज के NICU से हटाए गए
उत्तर प्रदेश सरकार ने गोरखपुर के डॉ कफील अहमद को बाबा राघव दास (BRD) मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक्स विभाग के नोडल अफसर पद से हटा दिया गया है। उनकी जगह डॉ भूपेन्द्र शर्मा को पीडियाट्रिक्स विभाग का नया नोडल अफसर नियुक्त किया गया है।
वहीं अम्बेडकर नगर के राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल, डॉ पीके सिंह को बीआरडी मेडिकल कॉलेज का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। गोरखपुर के इस सरकारी अस्पताल में पिछले दिनों तीन दिन के भीतर 65 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी। कई अखबारों में छपी खबर के मुताबिक, डॉ कफील ने अपनी तरफ से ऑक्सीजन के सिलेंडरों का जुगाड़ कर कई बच्चों की जान बचाई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ‘डॉ कफील अपने जानपहचान के डॉक्टरों के पास पहुंचे और ऑक्सीजन के तीन सिलेंडर अपनी गाड़ी में लेकर शुक्रवार की रात तीन बजे सीधे बीआरडी अस्पताल पहुंचे। इन तीन सिलिंडरों से बालरोग विभाग में सिर्फ 15 मिनट ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सकी। रातभर किसी तरह से काम चल पाया, लेकिन सुबह सात बजे ऑक्सीजन खत्म होते ही एक बार फिर स्थिति गंभीर हो गई। वे अपनी पूरी क्षमता से स्थिति को संभालने में लगे रहे। उन्होंने शहर के गैस सप्लायर से फोन पर बात की। बड़े अधिकारियों को भी फोन लगाया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। डॉ. कफील अहमद एक बार फिर अपने डॉक्टर मित्रों के पास मदद के लिए पहुंचे और करीब एक दर्जन ऑक्सीजन सिलेंडर का जुगाड़ किया। कफील अहमद ने अपने कर्मचारी को अपना एटीएम कार्ड दिया और पैसे निकालकर ऑक्सीजन सिलेंडर लाने को भी कहा। पूरे वक्त डॉ मरीजों के पास इधर से उधर दौड़ते रहे। वहां मौजूद लोगों ने डॉक्टर के कोशिसों की काफी प्रशंसा की।”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को उस अस्पताल का दौरा किया, जहां पांच दिनों में 60 बच्चों की मौत हो गई है। उन्होंने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। इस दौरान योगी को आम जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा के साथ बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज पहुंचे मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सरकार द्वारा बनाई गई जांच समिति की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। अगर इसमें अस्पताल की तरफ से किसी लापरवाही की बात पता चलती है तो उनकी सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी। उन्होंने शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में कही गई अपनी बात को दोहराया, “किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।” आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार से राज्य के पूर्वी हिस्से में एक वायरस शोध केंद्र स्थापित करने की मांग की, ताकि विषाणुओं से फैलने वाली बीमारियों जैसे एनसेफेलाइटिस आदि से लड़ा जा सके, जिससे हर साल कई मौतें होती हैं।
आदित्यनाथ ने कहा, “पूर्वी उत्तर प्रदेश का माहौल ही ऐसा है कि यहां एनफेलाइटिस जैसी कई बीमारियां फैलती रहती हैं। इसे रोकने के लिए हमें केंद्रीय वायरस शोध संस्थान स्थापित करने की जरूरत है।” नड्डा ने कहा कि केंद्र ने गोरखपुर में वायरस शोध संस्थान स्थापित करने के लिए 85 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। नड्डा ने कहा, “केंद्रीय स्तर का वायरस शोध केंद्र स्थापित करने को मंजूरी दे दी गई है। इसके स्थापित होने से क्षेत्र में वारयस जनित बीमारियों की असली वजह का पता चल सकेगा और स्थायी समाधान किया जा सकेगा।”
वहीं अम्बेडकर नगर के राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल, डॉ पीके सिंह को बीआरडी मेडिकल कॉलेज का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। गोरखपुर के इस सरकारी अस्पताल में पिछले दिनों तीन दिन के भीतर 65 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी। कई अखबारों में छपी खबर के मुताबिक, डॉ कफील ने अपनी तरफ से ऑक्सीजन के सिलेंडरों का जुगाड़ कर कई बच्चों की जान बचाई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ‘डॉ कफील अपने जानपहचान के डॉक्टरों के पास पहुंचे और ऑक्सीजन के तीन सिलेंडर अपनी गाड़ी में लेकर शुक्रवार की रात तीन बजे सीधे बीआरडी अस्पताल पहुंचे। इन तीन सिलिंडरों से बालरोग विभाग में सिर्फ 15 मिनट ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सकी। रातभर किसी तरह से काम चल पाया, लेकिन सुबह सात बजे ऑक्सीजन खत्म होते ही एक बार फिर स्थिति गंभीर हो गई। वे अपनी पूरी क्षमता से स्थिति को संभालने में लगे रहे। उन्होंने शहर के गैस सप्लायर से फोन पर बात की। बड़े अधिकारियों को भी फोन लगाया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। डॉ. कफील अहमद एक बार फिर अपने डॉक्टर मित्रों के पास मदद के लिए पहुंचे और करीब एक दर्जन ऑक्सीजन सिलेंडर का जुगाड़ किया। कफील अहमद ने अपने कर्मचारी को अपना एटीएम कार्ड दिया और पैसे निकालकर ऑक्सीजन सिलेंडर लाने को भी कहा। पूरे वक्त डॉ मरीजों के पास इधर से उधर दौड़ते रहे। वहां मौजूद लोगों ने डॉक्टर के कोशिसों की काफी प्रशंसा की।”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को उस अस्पताल का दौरा किया, जहां पांच दिनों में 60 बच्चों की मौत हो गई है। उन्होंने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। इस दौरान योगी को आम जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा के साथ बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज पहुंचे मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सरकार द्वारा बनाई गई जांच समिति की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। अगर इसमें अस्पताल की तरफ से किसी लापरवाही की बात पता चलती है तो उनकी सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी। उन्होंने शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में कही गई अपनी बात को दोहराया, “किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।” आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार से राज्य के पूर्वी हिस्से में एक वायरस शोध केंद्र स्थापित करने की मांग की, ताकि विषाणुओं से फैलने वाली बीमारियों जैसे एनसेफेलाइटिस आदि से लड़ा जा सके, जिससे हर साल कई मौतें होती हैं।
आदित्यनाथ ने कहा, “पूर्वी उत्तर प्रदेश का माहौल ही ऐसा है कि यहां एनफेलाइटिस जैसी कई बीमारियां फैलती रहती हैं। इसे रोकने के लिए हमें केंद्रीय वायरस शोध संस्थान स्थापित करने की जरूरत है।” नड्डा ने कहा कि केंद्र ने गोरखपुर में वायरस शोध संस्थान स्थापित करने के लिए 85 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। नड्डा ने कहा, “केंद्रीय स्तर का वायरस शोध केंद्र स्थापित करने को मंजूरी दे दी गई है। इसके स्थापित होने से क्षेत्र में वारयस जनित बीमारियों की असली वजह का पता चल सकेगा और स्थायी समाधान किया जा सकेगा।”