निजता अब मौलिक अधिकार, SC के फैसले की 7 बड़ी बातें

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिए फैसले में निजता को मौलिक अधिकार माना है। सुप्रीम कोर्ट की 9 सदस्यीय बेंच ने राइट टु प्रिवेसी के मुद्दे पर छह फैसले लिखे, लेकिन गुरुवार को कोर्ट में सभी फैसलों का एक सारांश पढ़ा गया। 7 बिंदुओं में जानें क्या है इस फैसले का असली मतलब और आपकी निजी जिंदगी पर क्या होने वाला है असर 
सुप्रीम कोर्ट का निजता को मौलिक अधिकार बताना ऐतिहासिक फैसला है। इस फैसले के बाद अब सरकार का एक-एक कानून निजता की कसौटी पर टेस्ट होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निजता का अधिकार जीवन के अधिकार जैसा मौलिक अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी मौलिक अधिकार संपूर्ण अधिकार नहीं होता, इसलिए निजता का अधिकार भी संपूर्ण नहीं हो सकता।सरकार को निजता के अधिकार पर तर्कपूर्ण रोक का अधिकार दिया। इसका मतलब यह है कि सरकार के हर कानून को अब इस चश्मे से देखा जाएगा कि उसमें तर्कपूर्ण रोक का प्रावधान है कि नहीं। कानून तर्कपूर्ण रोक के दायरे में है या नहीं। आधार कार्ड के तहत दी जाने वाली निजी सूचनाओं पर असर पड़ सकता है। हालांकि, आधार के मामले पर पांच जजों की बेंच अलग से फैसला करेगी। बेंच देखेगी कि आधार में लिया गया डेटा कहीं निजता के अधिकार का उल्लंघन तो नहीं? सरकार के लिए यह झटका है, क्योंकि आधार को लेकर सरकार ने निजता के अधिकार की बात को खारिज किया था। सरकार को अब यह दिखाना होगा कि वह निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं कर रही है। सरकार को अब साबित करना होगा कि उसके द्वारा ली गई जानकारी तर्कपूर्ण रोक के दायरे में है। निजता का अधिकार अभी तक मौलिक नहीं था, इसलिए सरकार के अधिकार असीमित थे। इसका पहला असर तो यही है किआपकी निजी जानकारी बिना सहमति सार्वजनिक नहीं हो सकेगी। यानी आधार, पैन, क्रेडिट कार्ड आदि में दर्ज जानकारी सार्वजनिक नहीं होगी। निजता का हनन होने के बाद अब कोर्ट जाने का अधिकार होगा।

Popular posts from this blog

सीबीएसई बोर्ड की 10वीं की परीक्षा रद्द, 12वीं की परीक्षा टाली गई

वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप: न्यूज़ीलैंड की दमदार जीत, फ़ाइनल में भारत को 8 विकेट से हराया