बाजार में झोंके 100 करोड़ के नकली चिल्लर, ऐसे बनाते थे 10 का सिक्का
पांच और 10 रुपये के नकली सिक्के बनाने वाले जिस मास्टर माइंड उपकार लूथरा को स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया है। उसने अपने धंधे की शुरुआत उत्तम नगर दिल्ली में जूलरी शॉप खोलने से की थी। लेकिन उसकी इस दुकान मे तीन-चार महीने बाद चोरी हो गई। बाद में उसने कई काम बदले, लेकिन कामयाब नहीं हो पाया। फिर उसने नकली सिक्के बनाने का धंधा शुरू कर दिया। माना जाता है कि उसने 1998 से अब तक करीब 100 करोड़ रुपये के नकली सिक्के भारत की अर्थव्यवस्था में उड़ेल दिए हैं।
स्पेशल सेल का कहना है कि नकली सिक्कों की बड़ी खेप को टोल कलेक्शन कलेक्ट करने वाले टोल प्लाजा पर खपाया जाता था। यह देशभर के अधिकतर टोल प्लाजा में खपाए जाते थे। स्पेशल सेल इस एंगल से भी जांच कर रही है कि सबसे अधिक नकली सिक्के कौन-कौन से टोल प्लाजा में खपाए गए। वहां किस स्तर के कर्मचारी इसमे शामिल रहे। टोल प्लाजा में नकली सिक्के खपाए जाने का बड़ा कारण दिन-रात वहां चेंज पैसे कस्टमर को देना था। इसके लिए उपकार और स्वीकार टोल प्लाजा में पांच और 10 रूपये के नकली सिक्के लेने वालों को अच्छा डिस्काउंट भी देते थे। डिमांड के हिसाब से सिक्कों को आधी दरों पर बेच दिया जाता था।
पुलिस का कहना है कि यह सिक्के इतनी अच्छी क्वॉलिटी के बनाता था कि देखने से नकली और असली में फर्क करना मुश्किल था। इसके सिंडिकेट में अब यह अकेला नहीं था बल्कि धंधा फैलने पर इसने अन्य लोगों के माध्यम से अपनी ब्रांच खोलनी शुरू कर दी थी। उनसे यह महीने के आधार पर कुछ पैसा लेता था और बदले में नकली सिक्के बनाने के लिए डाई आदि उन्हें उपलब्ध कराता था।
दिल्ली-एनसीआर के कुछ मॉल में भी इसने नकली सिक्के खपाए हैं। इस बात की जानकारी सेल को लगी है। इस धंधे में और कितने लोग शामिल हैं और कहां-कहां इसने नकली सिक्कों को बनाने की टकसाल लगा रखी थी। अभी इसका भी पता लगाया जा रहा है। पुलिस का कहना है कि देश में तो इसने कम से कम सात राज्यों में अपना धंधा फैला लिया था। नेपाल में भी इसने नकली सिक्कों को बनाने की फैक्ट्री लगा रखी थी। वहीं बैठकर यह भारत में नकली सिक्कों के धंधे को ऑपरेट करता था।
स्पेशल सेल का कहना है कि नकली सिक्कों की बड़ी खेप को टोल कलेक्शन कलेक्ट करने वाले टोल प्लाजा पर खपाया जाता था। यह देशभर के अधिकतर टोल प्लाजा में खपाए जाते थे। स्पेशल सेल इस एंगल से भी जांच कर रही है कि सबसे अधिक नकली सिक्के कौन-कौन से टोल प्लाजा में खपाए गए। वहां किस स्तर के कर्मचारी इसमे शामिल रहे। टोल प्लाजा में नकली सिक्के खपाए जाने का बड़ा कारण दिन-रात वहां चेंज पैसे कस्टमर को देना था। इसके लिए उपकार और स्वीकार टोल प्लाजा में पांच और 10 रूपये के नकली सिक्के लेने वालों को अच्छा डिस्काउंट भी देते थे। डिमांड के हिसाब से सिक्कों को आधी दरों पर बेच दिया जाता था।
पुलिस का कहना है कि यह सिक्के इतनी अच्छी क्वॉलिटी के बनाता था कि देखने से नकली और असली में फर्क करना मुश्किल था। इसके सिंडिकेट में अब यह अकेला नहीं था बल्कि धंधा फैलने पर इसने अन्य लोगों के माध्यम से अपनी ब्रांच खोलनी शुरू कर दी थी। उनसे यह महीने के आधार पर कुछ पैसा लेता था और बदले में नकली सिक्के बनाने के लिए डाई आदि उन्हें उपलब्ध कराता था।
दिल्ली-एनसीआर के कुछ मॉल में भी इसने नकली सिक्के खपाए हैं। इस बात की जानकारी सेल को लगी है। इस धंधे में और कितने लोग शामिल हैं और कहां-कहां इसने नकली सिक्कों को बनाने की टकसाल लगा रखी थी। अभी इसका भी पता लगाया जा रहा है। पुलिस का कहना है कि देश में तो इसने कम से कम सात राज्यों में अपना धंधा फैला लिया था। नेपाल में भी इसने नकली सिक्कों को बनाने की फैक्ट्री लगा रखी थी। वहीं बैठकर यह भारत में नकली सिक्कों के धंधे को ऑपरेट करता था।