पनामागेटः अयोग्य ठहराए गए नवाज ने छोड़ा प्रधानमंत्री पद

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में पनामागेट मामले में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को दोषी करार दिया। इसके साथ ही उन्हें जीवन भर के लिए प्रधानमंत्री पद के अयोग्य भी घोषित कर दिया गया। देश की सर्वोच्च अदालत के इस फैसले के बाद नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से नवाज का राजनीतिक भविष्य एक तरह से खत्म हो गया है। पाक की शीर्ष अदालत ने शरीफ और उनके परिवार के खिलाफ मामले दर्ज करने के भी आदेश दिए हैं।
प्रधानमंत्री के तौर पर नवाज का यह तीसरा कार्यकाल है। तीनों बार वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं। पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के कोर्टरूम संख्या 1 में पांच-सदस्यों की खंडपीठ ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया। पांचों जजों ने सर्वसम्मति से नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य करार दिया। साथ ही, उन्हें पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) का अध्यक्ष पद छोड़ने को भी कहा गया है। कोर्ट ने कहा कि नवाज पार्टी अध्यक्ष होने के योग्य नहीं हैं। मालूम हो कि 14 अगस्त को पाकिस्तान की स्थापना के 70 साल पूरे हो जाएंगे, लेकिन इतने सालों में लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया पाकिस्तान का कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है।

फैसला सुनाते हुए जजों ने कहा कि नवाज पाकिस्तानी संसद और अदालतों के प्रति ईमानदार नहीं रहे हैं और इसीलिए वह PM पद पर नहीं बने रह सकते हैं। पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 62 और 63 के आधार पर सुप्रीम कोर्ट बेंच ने 5-0 बहुमत से नवाज को PM पद के लिए अयोग्य घोषित किया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 18 जुलाई को की गई टिप्पणी में ही इस फैसले का संकेत मिल गया था। कोर्ट ने नवाज के सामने 2 विकल्प रखे थे- एक तो यह है कि इस केस से जुड़े तथ्यों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट खुद फैसला सुनाए या फिर यह मामला नैशनल अकाउंटबिलिटी ब्यूरो (NAB) को सौंप दिया जाए। 
फैसला सुनाते हुए जस्टिस एजाज अफजल खान ने कहा, 'नवाज शरीफ अब पाकिस्तानी संसद के ईमानदार और समर्पित सदस्य होने के योग्य नहीं हैं। उन्हें प्रधानमंत्री का पद छोड़ना होगा।' पाकिस्तान चुनाव आयोग ने तत्काल नवाज की योग्यता को खारिज करने का आदेश दिया है। आयोग कोर्ट ने मरियम, हसन, हुसैन और इसाक डार के खिलाफ दायर मामलों की जांच का काम NAB को सौंपा है। NAB पाकिस्तान की सबसे बड़ी भ्रष्टाचार निरोधी संस्था है। यह एक स्वायत्त और संवैधानिक बॉडी है, जिसका काम भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की सुनवाई करना है। जस्टिस एजाज ने कहा कि JIT द्वारा इस केस से जुड़ी जो भी चीजें जमा की गई हैं उन्हें 6 हफ्तों के भीतर NAB के पास भेजा जाए। नवाज के खिलाफ दायर मामलों में आगे की जांच भी NAB को सौंपी गई है। कोर्ट ने NAB को सुनवाई शुरू होने के 30 दिनों के भीतर फैसला सुनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि मरियम नवाज (शरीफ की बेटी), कप्तान मुहम्मद सफदर (मरियम के पति), हसन और हुसैन नवाज (प्रधानमंत्री शरीफ के बेटों) के साथ-साथ प्रधानमंत्री शरीफ के खिलाफ मामलों पर कार्रवाई होनी चाहिए और 30 दिनों के भीतर कोई फैसला सुनाया जाएगा।
अभी यह साफ नहीं हो सका है कि अगला चुनाव होने तक सत्ता की बागडोर किसे सौंपी जानी है। पाकिस्तान में अगले साल आम चुनाव होने हैं। जानकारों का मानना है कि नवाज के जाने का असर भारत पर पड़ेगा। सुरक्षा संबंधी मामलों में यह असर ज्यादा महसूस किया जा सकेगा। सत्ता में परिवर्तन का मतलब है कि इस्लामाबाद में नए 'खिलाड़ी' और नए मुद्दे होंगे। गवर्नेंस और विदेशी नीति का काम रावलपिंडी में सेना के हवाले हो जाएगा। सेना को गवर्नेंस में आगे लाना जाहिर तौर पर भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। पाकिस्तानी सेना किस तरह भारत के खिलाफ पूर्वाग्रहों से भरी है, यह तथ्य किसी से भी नहीं छुपा। 
इस फैसले की संवेदनशीलता को देखते हुए गुरुवार रात से ही इस्लामाबाद और रावलपिंडी को एहतियातन हाई अलर्ट पर रखा गया है। सुप्रीम कोर्ट और पाकिस्तानी संसद के बाहर ही काफी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। किसी भी अप्रिय वारदात की स्थिति से निपटने के लिए कोर्ट के बाहर करीब 3,000 पुलिसकर्मियों व अर्धसैनिक बलों को ड्यूटी पर लगाया गया है। गुरुवार शाम सुप्रीम कोर्ट ऑफिस ने शुक्रवार की कार्य सूची के अंतर्गत पनामागेट पर फैसला सुनाए जाने की जानकारी दी थी। इससे पहले बताया गया था कि फिलहाल अगले 2 हफ्तों तक इस केस पर सुनवाई नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन की पूर्व अध्यक्ष असमा जहांगीर ने अदालती प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसे 'अस्वभाविक और अनुचित' बताया। उन्होंने कहा कि JIT द्वारा जमा की गई रिपोर्ट पर दोनों पक्षों की दलीलों को 3 जजों की बेंच ने सुना, लेकिन निर्णायक फैसला सुनाने के लिए 5 सदस्यों की खंडपीठ गठित की गई। जस्टिस आसिफ सईद खोसा के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यों की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। 
खोसा ने इससे पहले 20 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई के दौरान नवाज को पाकिस्तान के प्रति ईमानदारी न दिखाने का दोषी मानते हुए प्रधानमंत्री पद के लिए 'अयोग्य' बताया था। खोसा ने पाकिस्तान चुनाव आयोग को भी नवाज की अयोग्यता पर नोटिफिकेशन जारी करने का निर्देश दिया था। पैनल में शामिल जस्टिस गुलजार अहमद ने भी जस्टिस खोसा के साथ सहमति जताई थी। इन दोनों के अलावा इस खंडपीठ में शामिल बाकी तीनों जज नवाज और उनके बच्चों को अपनी सफाई पेश करने के लिए एक और मौका देने के पक्ष में थे। बाद में इन्हीं तीन जजों की बेंच को इस मामले की जांच के लिए गठित JIT के कामकाज पर नजर रखने की जिम्मेदारी मिली। JIT ने 10 जुलाई को अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि शरीफ और उनके बच्चों का रहन-सहन उनके आय के ज्ञात स्रोतों के मुकाबले काफी अच्छा है। रिपोर्ट में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का नया मामला दर्ज करने का भी सुझाव दिया गया था। JIT की रिपोर्ट को देखने-पढ़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट बेंच ने 21 जुलाई को इस मामले में चल रही कार्यवाही बंद कर दी। 

नवाज पर प्रधानमंत्री पद पर रहने के दौरान लंदन में बेनामी संपत्ति बनाने के आरोप हैं। इसका खुलासा पिछले साल पनामा पेपर लीक में हुआ था। लंदन में शरीफ परिवार द्वारा खरीदे गए फ्लैट्स के लिए पैसे कहां से आए, इसपर नवाज और उनकी टीम द्वारा दिए गए जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं था। जजों ने कहा था कि अगर शरीफ परिवार ने लंदन के फ्लैट्स की खरीद के समय सभी जरूरी कागजात लिए होते तो यह विवाद खड़ा ही नहीं होता। JIT ने अपनी रिपोर्ट में नवाज और उनके परिवार पर धोखाधड़ी, फर्जी कागजात बनाना, अपने आय के स्रोतों को छुपाना और आय से कहीं ज्यादा आलीशान जीवन जीने जैसे कई संगीन आरोप लगाए थे। इस मामले में शुरू से ही नवाज विपक्षी दलों के निशाने पर थे। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) तो लंबे समय से नवाज पर इस्तीफा देने का दबाव बना रही थी। 
पनामागेट मामले की सुनवाई पाकिस्तान की राजनीति में एक ऐतिहासिक घटना है। पिछले कुछ समय से पूरा देश सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहा था। कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। अफवाहों का दौर भी जारी था। कोर्ट के निर्णायक फैसले को लेकर कई तरह के अनुमान लगाए जा रहे थे। सबसे बड़ा सवाल यही था कि क्या नवाज प्रधानमंत्री की अपनी कुर्सी बचा पाएंगे? और अगर उन्हें इस पद के लिए अयोग्य ठहरा दिया जाता है, तो इस स्थिति में उनकी जगह कौन लेगा? 
पाकिस्तान में पहले भी कई प्रधानमंत्रियों को पद से हटाया जा चुका है और कई प्रधानमंत्रियों ने खराब से खराब स्थितियों का सामना कर वापसी की है, लेकिन इससे पहले किसी भी पाकिस्तानी PM पर भ्रष्टाचार से जुड़े इस तरह के मामले में जनता और कानून का इतना दबाव नहीं पड़ा। इस पूरे मामले के कारण पहली बार एक सत्तारूढ़ प्रधानमंत्री और उसके परिवार को अपनी संपत्ति और आय के स्रोतों पर जनता के सामने सफाई देनी पड़ी। लोगों को उम्मीद है कि इस मामले के बाद पाकिस्तान में नेताओं और सरकारी अधिकारियों के बीच पारदर्शिता कायम करने के लिए दबाव बढ़ेगा। 

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