उपराष्ट्रपति चुनाव: विपक्षी एकता को दोबारा झटका देंगे नीतीश कुमार!
राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी एकता की कोशिशों को करारा झटका दे चुके उपराष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर मंगलवार को होने वाली गैर-एनडीए दलों की मीटिंग से नीतीश कुमार ने दूर रहने का फैसला लिया है। इससे पहले वह गैर-बीजेपी दलों की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर चर्चा करने के लिए आयोजित मीटिंग से भी दूरी बना चुके हैं। हालांकि हाल ही में जेडीयू की ओर से कहा गया था कि उपराष्ट्रपति चुनाव में पार्टी यूपीए के कैंडिडेट का साथ दे सकती है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक मुख्यमंत्री इन दिनों वायरल इन्फेक्शन से उबर रहे हैं। हालांकि उनकी चुप्पी के राजनीतिक निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि मंगलवार को गैर-बीजेपी दलों ने उपराष्ट्रपति कैंडिडेट को लेकर मीटिंग का आयोजन किया है और उसी दिन जेडीयू ने अपने विधायकों और सांसदों की पटना में बैठक बुलाई है। इसके अलावा बिहार सरकार में गठबंधन सहयोगी आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव और उनके परिजनों के ठिकानों पर सीबीआई के छापों पर भी वह अब तक चुप ही रहे हैं।
खबर है कि नीतीश कुमार की तबीयत खराब है। इस बीच 4 दिन के बाद रविवार को राजगीर से पटना लौटे नीतीश कुमार ने कोई सार्वजनिक बयान जारी नहीं किया। कहा जा रहा है कि वह राजगीर में स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे। वह उसी वक्त पटना से राजगीर चले गए थे, जब विपक्षी दलों की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मीरा कुमार राजधानी पहुंची थीं। नीतीश के इस रवैये को विपक्षी दलों की ओर से संयुक्त मोर्चा बनाने की कोशिशों को झटका देने वाला माना जा रहा है।
इस बीच लालू यादव पर करप्शन के आरोप और उन पर सीबीआई एवं ईडी की कार्रवाई के बाद जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस का महागठबंधन खतरे में दिखने लगा है। वाइस-प्रेजिडेंट को लेकर होने वाली मीटिंग से नीतीश के नदारद रहने को राजनीतिक हल्कों में गंभीरता से जरूर लिया जाएगा, लेकिन वह अपने किसी वरिष्ठ सांसद को इसमें हिस्सा लेने के लिए भेज सकते हैं। लालू यादव के बेटे और सूबे की सरकार में डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव का नाम सीबीआई की चार्जशीट में आने के बाद नीतीश पर भी उन्हें सरकार में बनाए रखने या बाहर करने को लेकर दबाव का सामना करना पड़ेगा।
बिहार के मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम से इस बात के कयास तेजी से लगाए जाने लगे हैं कि नीतीश कुमार वापस उस बीजेपी के साथ जा सकते हैं, जिससे उन्होंने नरेंद्र मोदी की पीएम उम्मीदवारी के विरोध में दामन छुड़ा लिया था। पिछले महीने 17 विपक्षी दलों की प्रेजिडेंट कैंडिंडेट को लेकर हुई मीटिंग में नीतीश नहीं गए थे, जबकि उस दिन वह दिल्ली में ही थे और पीएम मोदी से मुलाकात की थी। जेडीयू ने मीरा कुमार के नाम को फाइनल करने के लिए आयोजित मीटिंग से एक दिन पहले ही राम नाथ कोविंद को अपना समर्थन देने का ऐलान कर दिया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक मुख्यमंत्री इन दिनों वायरल इन्फेक्शन से उबर रहे हैं। हालांकि उनकी चुप्पी के राजनीतिक निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि मंगलवार को गैर-बीजेपी दलों ने उपराष्ट्रपति कैंडिडेट को लेकर मीटिंग का आयोजन किया है और उसी दिन जेडीयू ने अपने विधायकों और सांसदों की पटना में बैठक बुलाई है। इसके अलावा बिहार सरकार में गठबंधन सहयोगी आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव और उनके परिजनों के ठिकानों पर सीबीआई के छापों पर भी वह अब तक चुप ही रहे हैं।
खबर है कि नीतीश कुमार की तबीयत खराब है। इस बीच 4 दिन के बाद रविवार को राजगीर से पटना लौटे नीतीश कुमार ने कोई सार्वजनिक बयान जारी नहीं किया। कहा जा रहा है कि वह राजगीर में स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे। वह उसी वक्त पटना से राजगीर चले गए थे, जब विपक्षी दलों की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मीरा कुमार राजधानी पहुंची थीं। नीतीश के इस रवैये को विपक्षी दलों की ओर से संयुक्त मोर्चा बनाने की कोशिशों को झटका देने वाला माना जा रहा है।
इस बीच लालू यादव पर करप्शन के आरोप और उन पर सीबीआई एवं ईडी की कार्रवाई के बाद जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस का महागठबंधन खतरे में दिखने लगा है। वाइस-प्रेजिडेंट को लेकर होने वाली मीटिंग से नीतीश के नदारद रहने को राजनीतिक हल्कों में गंभीरता से जरूर लिया जाएगा, लेकिन वह अपने किसी वरिष्ठ सांसद को इसमें हिस्सा लेने के लिए भेज सकते हैं। लालू यादव के बेटे और सूबे की सरकार में डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव का नाम सीबीआई की चार्जशीट में आने के बाद नीतीश पर भी उन्हें सरकार में बनाए रखने या बाहर करने को लेकर दबाव का सामना करना पड़ेगा।
बिहार के मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम से इस बात के कयास तेजी से लगाए जाने लगे हैं कि नीतीश कुमार वापस उस बीजेपी के साथ जा सकते हैं, जिससे उन्होंने नरेंद्र मोदी की पीएम उम्मीदवारी के विरोध में दामन छुड़ा लिया था। पिछले महीने 17 विपक्षी दलों की प्रेजिडेंट कैंडिंडेट को लेकर हुई मीटिंग में नीतीश नहीं गए थे, जबकि उस दिन वह दिल्ली में ही थे और पीएम मोदी से मुलाकात की थी। जेडीयू ने मीरा कुमार के नाम को फाइनल करने के लिए आयोजित मीटिंग से एक दिन पहले ही राम नाथ कोविंद को अपना समर्थन देने का ऐलान कर दिया था।