राष्ट्रपति के तौर पर रामनाथ कोविंद के पहले भाषण की 10 बड़ी बातें

राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद मंगलवार को रामनाथ कोविंद ने अपने पहले भाषण में अपनी जीवन यात्रा, देश के मौजूदा हालात और भविष्य की संभावनाओं को लेकर अपनी बातें रखीं। उन्होंने गांव और गरीबों की बात की तो डिजिटल भारत का भी जिक्र किया। कोविंद ने कहा कि सभी को मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण करना है जो आर्थिक नेतृत्व देने के साथ ही नैतिक आदर्श भी प्रस्तुत करे। 
1. सेंट्रल हॉल में आकर मेरी पुरानी यादें ताजा हो गईं। सांसद के तौर पर इसी सेंट्रल हॉल में कई लोगों के साथ विचार विमर्श किया..कई बार हम एक दूसरे से सहमत-असहमत हुए, पर विचारों का सम्मान किया। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है।

2. मैं एक छोटे से गांव में मिट्टी के घर में पला बढ़ा हूं। मेरी यात्रा बहुत लंबी रही है, लेकिन यह यात्रा अकेले सिर्फ मेरी नहीं रही है, हमारे देश और हमारे समाज की यही गाथा रही है। हर चुनौती के बावजूद हमारे देश में संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूलमंत्र का पालन किया जाता है और मैं इस मूलमंत्र का सदैव पालन करता रहूंगा।

3. मैं इस महान राष्ट्र के 125 करोड़ लोगों को नमन करता है। मुझे अहसास है कि मैं डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणव मुखर्जी जैसी विभूतियों के पद्चिह्नों पर चलने जा रहा हूं।

4. बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने हमारे अंदर मानवीय गरिमा और लोकतांत्रिक मूल्यों का संचार किया। हमें एक ऐसे भारत का निर्माण करना है जो आर्थिक नेतृत्व देने के साथ ही नैतिक आदर्श भी प्रस्तुत करे। हमारे लिए ये दोनों मापदंड कभी अलग नहीं हो सकते। ये दोनों जुड़े हुए हैं और इन्हें हमेशा जुड़े ही रहना होगा।

5. देश की सफलता का मंत्र उसकी विविधता है। विविधता ही वह आधार है जो हमें अद्वितीय बनाता है। हम अलग हैं, लेकिन एक हैं, एकजुट हैं। 21वीं सदी का भारत चौथी औद्योगिक क्रांति को भी विस्तार देगा।

6. एक तरफ ग्राम पंचायत स्तर पर सामुदायिक भावना से विचार विमर्श करके समस्याओं का निस्तारण होगा, वहीं दूसरी तरफ डिजिटल राष्ट्र विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में सहायता करेगा। ये हमारे राष्ट्रीय प्रयासों के दो महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। राष्ट्र निर्माण का काम अकेले सरकारों द्वारा नहीं किया जा सकता। सरकार सहायक हो सकती है, वह दिशा दिखा सकती है, प्रेरक बन सकती है।

7. हमें गर्व है भारत की मिट्टी और पानी पर, हमें गर्व है भारत की विविधता, सर्वधर्म समभाव और समावेशी विचारधारा पर, हमें गर्व है भारत की संस्कृति परंपरा एवं अध्यात्म पर, हमें गर्व है देश के प्रत्येक नागरिक पर , हमें गर्व है अपने कर्तव्यों के निर्वहन पर और हमें गर्व है हर छोटे से छोटे काम पर जो हम प्रतिदिन करते हैं।

8. देश का हर नागरिक राष्ट्र निर्माता है। देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले और हमें सुरक्षित रखने वाले सशस्त्र बल राष्ट्र निर्माता हैं। जो पुलिस और अर्धसैनिक बल आतंकवाद और अपराधों से लड़ रहे हैं, वे राष्ट्रनिर्माता हैं। जो किसान तपती धूप में लोगों के लिए अन्न उपजा रहा है, वह राष्ट्रनिर्माता है और हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए कि महिलाएं भी बड़ी संख्या में खेतों में काम करती हैं।

9. आज पूरे विश्व में भारत के दृष्टिकोण का महत्व है। वैश्विक परदृश्य में हमारी जिम्मेदारियां भी वैश्विक हो गई हैं। यह उचित होगा कि भगवान बुद्ध की यह धरती शांति की स्थापना और पर्यावरण का संतुलन बनाने में विश्व का नेतृत्व करे।

10. एक राष्ट्र के तौर पर हमने बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन अभी और प्रयास किए जाने की जरूरत है। हमारे प्रयास आखिरी गांव के आखिरी घर तक पहुंचने चाहिए। इस देश के नागरिक ही हमारी ऊर्जा का मूल स्रोत हैं।

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