...अगर न माना भारत तो सैन्य ताकत का इस्तेमाल करेगा चीन

सिक्किम में डोकलाम इलाके को लेकर जारी तनातनी के चलते भारत और चीन के बीच शुरू हुई जुबानी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। अब चीन के एक विशेषज्ञ ने कहा है कि अगर भारत, चीन की बात नहीं सुनता है तो चीन अपनी सैन्य ताकत का इस्तेमाल करने को मजबूर हो जाएगा। डोकलाम में दोनों देशों के बीच कायम हुए गतिरोध का यह तीसरा सप्ताह है। चीन का सरकारी मीडिया और थिंक टैंक यहां तक कह चुके हैं कि अगर दोनों देशों के बीच पैदा हुए विवाद को सही तरीके से संभाला नहीं गया, तो 'युद्ध भी हो सकता है'।

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स से बातचीत में शंघाई अकैडमी ऑफ सोशल साइंसेज के रिसर्च फेलो हू झियोंग ने कहा, 'इतिहास का हवाला देते हुए चीन, भारत को समझाने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा है और शांति से समस्या के समाधान के लिए ईमानदारी से काम रहा है। अगर भारत नहीं सुनता है, तो फिर चीन के पास समस्या को सुलझाने के लिए सैन्य तरीका आजमाने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचेगा।'

हू ने दावा किया कि भारत चीन को इसलिए उकसा रहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के वक्त ट्रंप के सामने यह साबित करना चाहता था कि भारत, चीन से टक्कर लेने का माद्दा रखता है। हू ने कहा कि ट्रंप ओबामा की तरह नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'ओबामा का मानना था कि भारत उनके लिए इसलिए अहम है क्योंकि दोनों देशों के मूल्य एक जैसे हैं, लेकिन ट्रंप बहुत व्यवहारिक हैं। वह भारत को एक महत्वपूर्ण साथी के तौर पर नहीं देखते, क्योंकि उनकी नजर में भारत, चीन से टक्कर लेने के लिए बहुत कमजोर है।'

अपनी राष्ट्रवादी छवि के लिए मशहूर चीनी अखबार ने चीन के एक सैन्य विशेषज्ञ के हवाले से लिखा, 'हालांकि भारत हमेशा से चीन को अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मानता आया है, लेकिन चीन ऐसा नहीं मानता क्योंकि भारत चीन से काफी पीछे है।' अखबार की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जब भारत के रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि 2017 का भारत, 1962 के भारत से अलग है, तो एक्सपर्ट्स ने इस 'धमकी को हंसी में उड़ा दिया।
हू ने कहा, 'भारत और चीन की सेनाओं के बीच का अंतर 1962 से कहीं ज्यादा बड़ा हो चुका है। मैं उम्मीद करता हूं कि अपनी भलाई के लिए भारत शांत हो जाए।'

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