ईरानी संसद और खमैनी मकबरे में गोलीबारी, 7 की मौत, ISIS ने ली जिम्मेदारी
ईरान की संसद समेत देश के तीन बड़े स्थानों पर सिलसिलेवार हमला हुआ है। बुधवार को 3 आत्मघाती हमलावर संसद परिसर में घुस गए और गोलीबारी शुरू कर दी। इसमें एक गार्ड समेत सात लोगों की मौत हो गई है और 6 से 8 लोगों के घायल होने की खबर है। कुछ लोगों को बंधक बनाए जाने की भी खबर है। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन आइएसआइएस ने ली है।
ईरानी संसद के साथ ही दक्षिणी तेहरान के इमाम खमैनी मकबरे पर भी हमला किया गया। यहां एक आत्मघाती हमलावर ने खुद को उड़ा दिया। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, खुद को उड़ाने वाली यह हमलावर एक महिला थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, खमैनी मकबरे पर हमला करने वाले 3 लोग थे।
इनमें से एक आत्मघाती हमलावर ने खुद को उड़ा लिया और बाकी 2 हमलावरों को सुरक्षाकर्मियों ने जिंदा गिरफ्तार कर लिया, लेकिन बाद में इनमें से एक ने सायनाइड खाकर अपनी जान दे दी। सेंट्रल तेहरान के इमाम खमैनी मेट्रो स्टेशन पर भी धमाके की आवाज सुनी गई है। धमाके के कारणों का पता नहीं चल पाया है।
ताजा खबरों के मुताबिक, हमले के बावजूद ईरान की संसद में सामान्य तरीके से कामकाज चल रहा है। लोकल मीडिया का कहना है कि संसद सत्र फिर शुरू हो गया है। हमले के बावजूद नैशनल रेडियो पर संसद सत्र का सीधा प्रसारण किया जा रहा है।
ईरान की संसद के स्पीकर अली लरिजानी ने संसद के अंदर हुई गोलीबारी को 'मामूली घटना' बताया है। उन्होंने कहा कि सुरक्षाबल इस तरह के 'कायराना हमलों' से निपटने में पूरी तरह सक्षम हैं। हमले के बावजूद ईरान की संसद ने अपने सत्र को जारी रखा। सुरक्षा के मद्देनजर संसद के हॉल के दरवाजे बंद रखे गए। इस सत्र की अध्यक्षता कर रहे लरिजानी ने कहा कि यह हमला संकेत है कि आतंकवादी ईरान के अंदर मुश्किलें पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'आतंकवाद से लड़ने में ईरान बेहद सक्रिय और प्रभावी है।' ईरान की खुफिया मंत्रालय का कहना है कि बुधवार को हुए तीनों आतंकी हमलों को राजधानी तेहरान में अंजाम देने की विशेष योजना तैयार की गई थी। इसमें से एक हमले को नाकाम कर दिया गया और इससे पहले कि आतंकी अपने इरादों को अंजाम दे पाते, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
ईरान की स्थानीय मीडिया के मुताबिक, संसद पर हुए हमले में बंदूकधारी हमलावर ने 7 लोगों की हत्या कर दी है। संसद की इमारत के अंदर एक धमाके की भी खबरें आ रही हैं। बताया जा रहा है कि हमलावरों ने आत्मघाती विस्फोटक बेल्ट पहने हुए थे। मालूम हो कि ईरान इस्लाम में प्रचलित शिया मत को मानता है, जबकि ISIS कट्टरपंथी इस्लामिक विचारधारा वहाबी मत में यकीन करता है। सऊदी भी वहाबी मत को ही मानता है। सऊदी और ईरान एक-दूसरे के धुर-विरोधी माने जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो ब्रिटेन में ISIS को मिल रही फंडिंग से जुड़ी एक रिपोर्ट में कथित तौर पर दावा किया गया है कि सऊदी ISIS को आर्थिक मदद दे रहा है। ब्रिटेन में पिछले हफ्ते हुए आतंकी हमले के बाद वहां की विपक्षी पार्टियां इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने और सऊदी के साथ ब्रिटेन के संबंधों पर पुनर्विचार करने की अपील कर रही हैं।
ईरान के आंतरिक मंत्री रहमानी फाजली ने एक आदेश जारी कर तेहरान की सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी और बुधवार को हुए आतंकी हमलों की जांच के लिए एक सुरक्षा सत्र बुलाया है। खुफिया मंत्रालय ने संसद और इमाम खमैनी मकबरे पर हुए हमलों को आतंकी हमला बताया है। तेहरान के गर्वनर सैयद होसैन हाशमी ने बताया कि मकबरे पर अटैक करने वाले हमलावरों में से एक सुरक्षाबलों की गोली से मारा गया, वहीं एक अन्य आत्मघाती हमलावर ने खुद को उड़ा लिया। बाकी को सुरक्षाबलों ने जिंदा पकड़ लिया है। जो आतंकी पुलिस की गोली से मरा, उसके पास से 6 हथगोले बरामद किए गए। मकबरे पर हुए इस हमले में 5 लोग घायल हो गए, जबकि एक शख्स की मौत हो गई। कुछ खबरों में यह भी कहा जा रहा है कि खमैनी मकबरे पर हमला करने वालों में शामिल एक आतंकी ने सायनाइड खाकर जान दे दी।
खमैनी मकबर में गोलीबारी के बाद एहतियात बरतते हुए वहां मौजूद सभी लोगों को अंदर बंद कर दिया गया। घायलों के इलाज के लिए यहां कुछ ऐम्बुलेंस भी पहुंच गए हैं। इमाम खमैनी मकबरे तक जाने वाले सब-वे स्टेश को फिलहाल बंद कर दिया गया है। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि खमैनी मकबरे में एक जिंदा बम मिला है, जिसे पुलिस और सुरक्षाबल मिलकर डिफ्यूज करने की कोशिश कर रहे हैं।
ISIS का अस्तित्व सबसे पहली बार लीबिया में सामने आया था। इसके बाद इस आतंकवादी संगठन ने सीरिया और इराक को अपना गढ़ बनाया। इसका मुख्य गढ़ इराक के मोसुल शहर में था। पिछले साल अक्टूबर में इराकी फौज और अमेरिकी गठबंधन सेना ने मोसुल में ISIS के खिलाफ सैन्य अभियान शुरू किया। पिछले कुछ समय में मोसुल के कई हिस्सों से ISIS को खदेड़ दिया गया है और अब उसके पास पश्चिमी मोसुल का बहुत थोड़ा हिस्सा ही बचा है। सैन्य जानकारों का कहना है कि जल्द ही मोसुल से ISIS का खात्मा हो जाएगा।
ISIS का अस्तित्व सबसे पहली बार लीबिया में सामने आया था। इसके बाद इस आतंकवादी संगठन ने सीरिया और इराक को अपना गढ़ बनाया। इसका मुख्य गढ़ इराक के मोसुल शहर में था। पिछले साल अक्टूबर में इराकी फौज और अमेरिकी गठबंधन सेना ने मोसुल में ISIS के खिलाफ सैन्य अभियान शुरू किया। पिछले कुछ समय में मोसुल के कई हिस्सों से ISIS को खदेड़ दिया गया है और अब उसके पास पश्चिमी मोसुल का बहुत थोड़ा हिस्सा ही बचा है। सैन्य जानकारों का कहना है कि जल्द ही मोसुल से ISIS का खात्मा हो जाएगा।