इसरो की बड़ी कामयाबी, देश के सबसे वजनी रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 का प्रक्षेपण
भारत के सबसे वजनी रॉकेट को सोमवार को शाम 5:28 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया। इसका वजन करीब 640 टन है। जीएसएलवी मार्क-3 अन्य देशों के चार टन श्रेणी के उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की दिशा में भारत के लिए अवसर खोलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सफलता के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट के जरिए कहा, 'जीएसएलवी एमके-3 डी1/जीएसएटी-19 मिशन भारत को नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च वीइकल के नजदीक पहुंचाया है। देश को गर्व है।'
यह रॉकेट अपने साथ 3,136 किलोग्राम वजन का संचार उपग्रह जीसैट-19 लेकर गया है। अब तक 2,300 किलो से ज्यादा वजन वाले संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए इसरो को विदेशी प्रक्षेपकों पर निर्भर रहना पड़ता था। जीएसएलवी एमके3-डी1 भूस्थैतिक कक्षा में 4000 किलो तक के और पृथ्वी की निचली कक्षा में 10,000 किलो तक के पेलोड (या उपग्रह) ले जाने की क्षमता रखता है।
इसरो के अध्यक्ष ए एस किरण कुमार ने कहा था कि यह अभियान अहम है क्योंकि ''देश से प्रक्षेपित किया जाने वाला यह अब तक का सबसे भारी रॉकेट और उपग्रह है।' इससे पहले इसरो ने 3,404 किलो के संचार उपग्रह जीसैट-18 को फ्रेंच गुयाना स्थित एरियाने से प्रक्षेपित किया था। जीएसएलवी मार्क-3 लॉन्च करने के लिए उच्च गति वाले क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया है। बता दें कि करीब 30 साल की रिसर्च के बाद इसरो ने यह इंजन बनाया था। यह अभियान भारत के संचार संसाधनों को बढ़ावा देगा क्योंकि अकेला एक जीसैट-19 उपग्रह पुरानी किस्म के 6-7 संचार उपग्रहों के बराबर होगा।
इसरो के पूर्व प्रमुख के राधाकृष्णन ने कहा कि यह प्रक्षेपण बड़ा मील का पत्थर है क्योंकि इसरो प्रक्षेपण उपग्रह की क्षमता 2.2-2.3 टन से करीब दोगुना करके 3.5- 4 टन कर रहा है। उन्होंने कहा कि आज अगर भारत को 2.3 टन से अधिक के संचार उपग्रह का प्रक्षेपण करना हो तो हमें इसके प्रक्षेपण के लिए विदेश जाना पड़ता है। जीएसएलवी मार्क तीन के कामकाज शुरू करने के बाद हम संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण में आत्मनिर्भर हो जाएंगे और विदेशी ग्राहकों को लुभाने में भी सफल होंगे।
उन्होंने कहा कि यह ज्यादा साधारण और बेहतर पेलोड भाग वाला प्रक्षेपण यान है। यह भविष्य में इसरो का मजबूत प्रक्षेपण यान होने वाला है। राधाकृष्णन 2000 में मंजूर जीएसएलवी मार्क तीन कार्यक्रम से करीबी रूप से जुड़े रहे हैं। वह वीएसएससी के निदेशक रहे और फिर इसरो के अध्यक्ष बने। वह अब इसरो के सलाहकार हैं।
जीएसएलवी मिशन के डायरेक्टर जी अय्यप्पन ने कहा, 'यह जीएसएलवी मार्क-5 लॉन्च 'मैक इन इंडिया' स्पेस प्रॉजेक्ट की सफलता के साथ-साथ सामग्री, डिजाइन और प्रौद्योगिकी के मामले में भी पूरी तरह से स्वदेशी लॉन्च होगा।' उन्होंने बताया कि इसकी खासियतों में दोहरा अतिरेक, स्वास्थ्य निगरानी और दोष का पता लगाकर उसे ठीक करना शामिल हैं।
यह रॉकेट अपने साथ 3,136 किलोग्राम वजन का संचार उपग्रह जीसैट-19 लेकर गया है। अब तक 2,300 किलो से ज्यादा वजन वाले संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए इसरो को विदेशी प्रक्षेपकों पर निर्भर रहना पड़ता था। जीएसएलवी एमके3-डी1 भूस्थैतिक कक्षा में 4000 किलो तक के और पृथ्वी की निचली कक्षा में 10,000 किलो तक के पेलोड (या उपग्रह) ले जाने की क्षमता रखता है।
इसरो के अध्यक्ष ए एस किरण कुमार ने कहा था कि यह अभियान अहम है क्योंकि ''देश से प्रक्षेपित किया जाने वाला यह अब तक का सबसे भारी रॉकेट और उपग्रह है।' इससे पहले इसरो ने 3,404 किलो के संचार उपग्रह जीसैट-18 को फ्रेंच गुयाना स्थित एरियाने से प्रक्षेपित किया था। जीएसएलवी मार्क-3 लॉन्च करने के लिए उच्च गति वाले क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया है। बता दें कि करीब 30 साल की रिसर्च के बाद इसरो ने यह इंजन बनाया था। यह अभियान भारत के संचार संसाधनों को बढ़ावा देगा क्योंकि अकेला एक जीसैट-19 उपग्रह पुरानी किस्म के 6-7 संचार उपग्रहों के बराबर होगा।
इसरो के पूर्व प्रमुख के राधाकृष्णन ने कहा कि यह प्रक्षेपण बड़ा मील का पत्थर है क्योंकि इसरो प्रक्षेपण उपग्रह की क्षमता 2.2-2.3 टन से करीब दोगुना करके 3.5- 4 टन कर रहा है। उन्होंने कहा कि आज अगर भारत को 2.3 टन से अधिक के संचार उपग्रह का प्रक्षेपण करना हो तो हमें इसके प्रक्षेपण के लिए विदेश जाना पड़ता है। जीएसएलवी मार्क तीन के कामकाज शुरू करने के बाद हम संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण में आत्मनिर्भर हो जाएंगे और विदेशी ग्राहकों को लुभाने में भी सफल होंगे।
उन्होंने कहा कि यह ज्यादा साधारण और बेहतर पेलोड भाग वाला प्रक्षेपण यान है। यह भविष्य में इसरो का मजबूत प्रक्षेपण यान होने वाला है। राधाकृष्णन 2000 में मंजूर जीएसएलवी मार्क तीन कार्यक्रम से करीबी रूप से जुड़े रहे हैं। वह वीएसएससी के निदेशक रहे और फिर इसरो के अध्यक्ष बने। वह अब इसरो के सलाहकार हैं।
जीएसएलवी मिशन के डायरेक्टर जी अय्यप्पन ने कहा, 'यह जीएसएलवी मार्क-5 लॉन्च 'मैक इन इंडिया' स्पेस प्रॉजेक्ट की सफलता के साथ-साथ सामग्री, डिजाइन और प्रौद्योगिकी के मामले में भी पूरी तरह से स्वदेशी लॉन्च होगा।' उन्होंने बताया कि इसकी खासियतों में दोहरा अतिरेक, स्वास्थ्य निगरानी और दोष का पता लगाकर उसे ठीक करना शामिल हैं।