चीन ने भारतीय सेना के बंकर पर चलाया बुलडोजर

चीन ने भारतीय सेना के एक बंकर पर बुलडोजर चला दिया है। समाचार एजंसी पीटीआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि भारत, चीन और भूटान के जंक्‍शन पर सेना के एक बंकर को हटाने की गुजारिश चीन की तरफ से हुई थी। भारत ने मना किया तो चीन ने जबरन बंकर ढहा दिया। यह घटना जून के पहले हफ्ते में सिक्‍क‍िम के डोका ला जनरल क्षेत्र में हुई, जिसके बाद भारत-चीन बॉर्डर पर तनाव बढ़ गया है। सिक्‍किम से लगी सीमा पर भारत कई नए बंकर बना रहा है और पुराने बंकरों को दुरुस्‍त कर रहा है, यह कवायद चीन को रास नहीं आई। भारत-चीन के बीच जम्‍मू-कश्‍मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3,488 किलोमीटर की सीमा है। इसमें से 220 किलोमीटर सिक्किम में आता है। बीजिंग बीते दिनों तिब्‍बती धर्मगुरु दलाई लामा के अरुणाचल दौरे को लेकर पहले ही नाराजगी जता चुका है। पीटीआई के मुताबिक, चीनी सैनिक सिक्किम के अलावा आगे के क्षेत्रों में तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि सीमांकन हो चुका है। सिक्किम सरकार ने केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट भेजकर डोका-ला की घटना के बाद पैदा हुए हालातों की जानकारी दी है। बढ़ते तनाव को देखते हुए गुरुवार को सेनाध्‍यक्ष जनरल बिपिन रावत सिक्किम जाएंगे। वे वहां पर फॉरमेशन कमांडर्स से मुलाकात करेंगे।
भारत और चीन के बीच जारी तनाव के चलते कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर निकले करीब 50 श्रद्धालुओं को नाथू ला बॉर्डर से वापस लौटा दिया गया था। तीन दिन तक नाथू ला में चीन की तरफ से इजाजत मिलने का इंतजार करने के बाद तीर्थयात्री 23 जून केा वापस गंगटोक आ गए। दूसरी तरफ, भूटान ने चीनी राजदूत को डिमार्श जारी करते हुए कहा है कि वह डोकलाम क्षेत्र में पहले जैसी स्थिति बहाल करे जहां चीनी सैनिक अपनी मर्जी से सड़क बना रहे हैं।
चीन ने भारतीय सैनिकों पर अपनी सीमा के ‘उल्लंघन’ का आरोप लगाया है और उन्हें वापस लौटने को कहा है। लु ने कहा, “वहां के हालात पर आपात प्रतिक्रिया के रूप में तीर्थयात्रा रोकनी पड़ी। मैं कहना चाहता हूं कि तीर्थयात्रा शुरू करने के लिए आवश्यक माहौल तथा हालात की जरूरत है।” उन्होंने कहा, “इसलिए इसकी पूरी जवाबदेही भारतीय पक्ष की है और यह कब पुन: शुरू होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि भारतीय पक्ष अपनी गलती सुधारता है या नहीं।”

भारत के इस हिस्से को हथियाने का प्रयास कर रहा चीन, बना रहा है सड़क

चीन ने सिक्किम सेक्टर में सड़क निर्माण को ‘‘वैध’’ करार दिया और कहा कि यह निर्माण चीन के उस इलाके में किया जा रहा है जो न तो भारत का है और न ही भूटान का और किसी अन्य देश को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। चीन ने इशारा किया कि भारत भूटान की ओर से सिक्किम क्षेत्र के दोंगलांग में सड़क निर्माण के प्रयासों का विरोध कर रहा है जिसका चीन के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ल्यू कांग ने यहां मीडिया से कहा , ‘‘दोंगलांग चीनी क्षेत्र में आता है। यह अविवादित है।दोंगलांग क्षेत्र प्राचीन काल से चीन का हिस्सा है भूटान का नहीं।’’ एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, ‘‘ भारत इस क्षेत्र के साथ मुद्दा उठाना चाहता है। मेरा कहना है कि यह भूटान का हिस्सा नहीं है, और न ही यह भारत का हिस्सा है। तो हमारे पास इसके लिए पूरा कानूनी आधार है। चीन की सड़क निर्माण परियोजना वैध है और उसके क्षेत्र के भीतर यह सामान गतिविधि है। किसी भी देश को इसमें हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है।’’ भारत पर निशाना साधते हुए ल्यू ने कहा कि भूटान वैश्विक मान्यता प्राप्त संप्रभु देश है।
उन्होंने कहा, ‘‘ उम्मीद है कि अन्य देश दूसरे देश की संप्रभुता को सम्मान देंगे। चीन -भूटान सीमा निरूपित नहीं है, किसी भी तीसरे पक्ष को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और न ही कोई गैरजिम्मेदाराना कार्य करना चाहिए और न ही बयानबाजी।’’ चीन का कहना है कि भारत चीन सीमा का सिक्किम भाग निर्धारित है इसलिए भारत को सड़क निर्माण में आपत्ति उठाने का अधिकार नही है। उन्होंने कहा कि चीन ने इसी कारण कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए सिक्किम क्षेत्र में नाथूला दर्रे को भारतीय श्रद्धालुओं के लिए खोला था। चीनी विचारकों का मानना है कि भारत ने भूटान की ओर से सड़क निर्माण का कार्य रोका है। इससे पहले चीन ने सिक्किम में सड़क निर्माण को जायज ठहराते हुए कहा था कि 1890 में हुई चीन ब्रिटेन संधि के अनुसार ‘‘निसंदेह’’ वह क्षेत्र उसकी सीमा में आता है।
ल्यू कांग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया था, सिक्किम का प्राचीन नाम ‘झी’ था। उन्होंने कहा, ‘‘ भारतीय सेना ने जिस क्षेत्र पर आपत्ति उठाई है वह इस संधि के मुताबिक निसंदेह चीन की सीमा की ओर स्थित है। चीन की ओर से यह बयान भारतीय सेना द्वारा सड़क निर्माण पर रोक लगाए जाने के चीनी सेना के आरोपों के एक दिन बाद आया है। चीन भारत- चीन सीमा के सिक्किम को अपना ‘संप्रभु क्षेत्र’ मानता है। ल्यू ने कहा कि भारत -चीन सीमा के सिक्किम प्रखंड को चीन और भारत दोनों ने मान्यता दी थी।
उन्होंने कहा, ‘‘ भारतीय नेताओं, भारत सरकार में संबंधित दस्तावेज , चीन भारत सीमा मुद्दे के विशेष प्रतिनिधियों की बैठक ने इस बात की पुष्टि की कि दोनो पक्षों ने 1890 में ‘चीन-ब्रिटेन संधि’ पर हस्ताक्षर किए थे और सिक्किम की चीन भारत सीमा को आम सहमति के अनुसार देखने के निर्देश दिए थे। प्रवक्ता ने कहा , ‘‘ इन संधियों और दस्तावेजों का पालन अंतरराष्ट्रीय बाध्यता है और भारतीय पक्ष इससे बच नहीं सकता।’’ वहीं चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से सोमवार रात जारी एक बयान में कहा गया , ‘‘भारतीय सीमा प्रहरियों ने भारत चीन सीमा के सिक्किम क्षेत्र की सीमा को पार किया और चीनी क्षेत्र में घुस आए और उन्होंने दोंगलांग क्षेत्र में चीन के अग्रिम बलों की सामान्य गतिविधियों को बाधित किया , जिसके बाद चीन ने रक्षात्मक कदम उठाए।’’ इससे पहले कल ल्यू ने कहा था कि चीन ने भारतीय सैनिकों के सिक्किम में घुस आने का आरोप लगाते हुए तथा उन्हें तत्काल वापस बुलाने की मांग करते हुए भारत के समक्ष राजनयिक विरोध दर्ज करा दिया है। उन्होंने यह भी कहा था कि सीमा गतिरोध के कारण चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नाथूला दर्रे को बंद कर दिया है।

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