DSP अयूब को भीड़ ने समझा था खुफिया एजेंट


जामिया मस्जिद के बाहर सुरक्षा में तैनात डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित को शुक्रवार को भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने की घटना के बाद अब कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं। बताया जा रहा है कि अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक के मस्जिद के अंदर ही मौजूद थे और बाहर मौजूद भीड़ ने पाकिस्तान समर्थित नारे लगाने शुरू कर दिए थे जिसकी अयूब विडियो रिकॉर्डिंग कर रहे थे। इसी के चलते भीड़ ने उन्हें खुफिया एजेंसियों का एजेंट समझते हुए उन पर हमला बोल दिया।
बताया जा रहा है कि आधी रात के वक्त मीरवाइज मस्जिद के अंदर तकरीर दे रहे थे। मस्जिद के बाहर भारी भीड़ जमा थी जिसने पाकिस्तान और अल-कायदा के आतंकवादी जाकिर मूसा के समर्थन में जोर-जोर से नारे लगाने शुरू कर दिए। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, इस दौरान सिविल ड्रेस में ड्यूटी पर तैनात डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित नारेबाजी की विडियो रिकॉर्डिंग कर रहे थे। उन्हें ऐसा करते देखकर भीड़ और उग्र हो गई। अयूब को IB और RAW का एजेंट बताते हुए भीड़ उन पर टूट पड़ी। अयूब ने अपनी सर्विस पिस्टल से फायरिंग करते हुए वहां से निकलने की कोशिश की। लेकिन कुछ भी देर में भीड़ उन पर हावी हो गई। 

भीड़ ने कपड़े फाड़ दिए गए। उन पर पत्थरों, धारदार हथियारों और लाठियों से हमला किया गया। उन्हें तब तक पीटा गया जब तक कि उनकी मौत नहीं हो गई। यह सब कुछ उस वक्त हो रहा था जब मीरवाइज मस्जिद के अंदर अल्लाह से 'माफ करने' की दुआ मांग रहे थे। 

देर रात तक पुलिस अयूब के शव की शिनाख्त तक नहीं कर पाई। सुबह काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने मस्जिद के प्रांगण से उनका शव बरामद किया। अयूब के शव की हालत इतनी खराब कर दी गई थी कि उनका बेटा उसे देखकर बेहोश हो गया। बांग्लादेश में रहकर पढ़ाई कर रही उनकी बेटी सानिया परिवार के साथ ईद मनाने घर आई थी, लेकिन उसे अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होना पड़ा। डीएसपी अयूब की एक भतीजी को रोते हुए यह कहते सुना गया, 'हां, हम भारतीय हैं, हम भारतीय हैं। उन्होंने एक मासूम इंसान को मार डाला, हमारे मासूम अंकल को मार दिया।'
सूत्रों के मुताबिक, यह जानकारी भी सामने आ रही है कि डीएसपी अयूब पंडित का परिवार मीरवाइज उमर फारूक के परिवार का समर्थक माना जाता है। इसके अलावा पेशे से वकील अयूब का एक कजन मोहम्मद अब्दुल्लाह पंडित पत्थरबाजों और अलगाववादियों के लिए केस लड़ता रहा है। अब्दुल्लाह के बारे में यह भी बताया जा रहा है कि वह हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के कट्टर सहयोगी मियां कयूम का करीबी रहा है।

2015 में डीएसपी अब्दुल पंडित ने भी हुर्रियत नेता फिरदौस अहमद शाह का उस वक्त बचाव किया था जब उन पर पाकिस्तान से 2008 के मुंबई हमलों में मदद के लिए 3 करोड़ रुपये लेने का आरोप लगा था। बाद में प्रवर्तन निदेशालय ने उन पर केस दर्ज किया था।

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