पाक ने नकारा ICJ का फैसला, जानें अब भारत के पास क्या विकल्प
पाकिस्तान में फांसी की सजा पाए भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) का फैसला भारत के पक्ष में आ चुका है। कोर्ट ने कहा है कि भारत की जाधव तक राजनयिक पहुंच की मांग पूरी की जाए। साथ ही कोर्ट ने मामले में आखिरी फैसला आने तक जाधव की फांसी पर रोक भी लगा दी है। उधर, पाकिस्तान ने ICJ के फैसले को पूरी तरह से नकार दिया है। पाक ने कहा है कि वह ICJ के अधिकार क्षेत्र को नहीं मानता है। पाकिस्तान की जिद के बाद अब भारत क्या करेगा? यह बड़ा सवाल है जिसका जवाब हम आपको दे रहे हैं।
पाक के रुख पर भारत की नजर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने पाकिस्तान के इस रुख पर सीधा जवाब तो नहीं दिया, लेकिन उम्मीद जाहिर की कि पाक ICJ का फैसला मानेगा। उन्होंने कहा भारत कानून का पालन करने वाला देश है, हम मानकर चल रहे हैं कि इस आदेश कोअंतरराष्ट्रीय समुदाय के सभी लोग पालन करेंगे।
अड़ा रहा पाक तो क्या हैं रास्ते
पाकिस्तान के अड़ियल रवैये के बाद अब भारत के पास सुरक्षा परिषद में जाने का रास्ता है। संयुक्त राष्ट्र का अधिकारपत्र (जिसे इसका संविधान माना जाता है) के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र का हर सदस्य इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का फैसला मानने के लिए प्रतिबद्ध है। यदि कोई सदस्य देश ऐसा नहीं करता है तो दूसरा पक्ष रखने वाला देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मदद ले सकता है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हालांकि इंटरनैशनल कोर्ट के फैसला घरेलू अदालतों के फैसलों की तरह अनिवार्य रूप से लागू नहीं किया जा सकता है। इंटरनैशनल कोर्ट के फैसले केवल तब तक ही मान्य होते हैं, जब तक फैसले से जुड़े देश उस फैसले का पालन करना चाहें। ऐेसे में यदि पाकिस्तान इस फैसले का पालन नहीं करता है तो सुरक्षा परिषद में जाकर भारत अपने पड़ोसी पर प्रतिबंध की मांग कर सकता है।
अगर मामला सुरक्षा परिषद में गया तब
अगर सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों या फिर किसी स्थायी सदस्य के मित्र देश के खिलाफ मामला सामने आता है तो इस बात की संभावना ज्यादा होती है कि स्थायी सदस्य देश इस मसले पर वीटो कर दे। इस तरह का मामला रिपब्लिक ऑफ निकारगुआ बनाम अमेरिका में सामने आया था। ICJ ने निकारगुआ के पक्ष में फैसला सुनाया था। अमेरिका ने कोर्ट की सुनवाई में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया और सुरक्षा परिषद में इस फैसले को अमल में लाने पर ही रोक लगा दी।
चीन भी सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और वह जाधव मामले में पाकिस्तान के पक्ष में वीटो कर सकता है। दूसरा, यह हो सकता है कि सुरक्षा परिषद खुद ही इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दे। ऐसे में ICJ के फैसले को पालन कराने का रास्ता ही नहीं बचेगा। तीसरा, सुरक्षा परिषद कोई प्रतिरोधी फैसला तभी ले सकता है जब, उसे लगे कि इससे अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा है। सुरक्षा परिषद ने अभी तक ऐसा नहीं किया है।