निर्भया की कहानी किसी दूसरी दुनिया की लगती है: सुप्रीम कोर्ट
निर्भया गैंग रेप और मर्डर केस में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषियों ने बर्बरता, पैशाचिक प्रवृत्ति व निर्दयता की सारी सीमाएं पार की हैं। मुजरिमों ने जो माइंडसेट दिखाया है वह संभ्रात परिवेश की रीढ़ को तोड़ता है। निर्भया के चारों दोषियों को सुप्रीम कोर्ट में फांसी के फंदे तक ले जाने में उसका आखिरी बयान अहम रहा। फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के जजों ने इस बयान का जिक्र किया। निर्भया ने मौत से पहले कहा था, 'जिन्होंने मेरे साथ यह किया, उन्हें छोड़ना मत।'
निर्भया गैंग रेप और मर्डर की पूरी वारदात का
करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि ऐसा लगता है कि यह कहानी किसी दूसरी दुनिया की है जहां मानवता की कोई कद्र नहीं है। मुजरिमों ने पाशविक जानवर की तरह अपनी हवस व आनंद के लिए लड़की को मनोरंजन का साधन बनाया।
सदमे की सुनामी की तरह यह घटना
अदालत ने 429 पेज के अपने फैसले में कहा कि सेक्स की भूख, हिंसक ऐक्ट और कामविकृति के लिए इन्होंने सामूहिक चेतना को झकझोरा है। यह पूरा वाकया दिखाता है कि कैसे अनियंत्रित हवस के लिए इन्होंने घिनौना कृत्य किया है। घिनौने जूनून वाला जो माइंडसेट दोषियों ने दिखाया है वह स्तब्धकारी सदमे की सुनामी की तरह है जिसने संभ्रांत समाज की चेतना को झकझोरा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह कहते हुए चारों दोषियों की अपील खारिज कर दी कि हाई कोर्ट के फैसले में दखल की जरूरत नहीं है।
अपनी सनक के लिए लड़की को ट्रॉमा में डाला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जाड़े की रात 16 दिसंबर 2012 को जब लड़की अपने दोस्त के साथ PVR सिनेमा से निकली तो उसने सोचा भी नहीं होगा कि बस में मौजूद 6 लोगों की हवस का शिकार बनेगी। इन लोगों ने लड़की को मनोरंजन का साधन बनाया। इन दोषियों ने अपनी काम पिपासा के लिए लड़की के प्राइवेट पार्ट को क्षत-विक्षत किया। अपनी सनक में इन्होंने लड़की को ट्रॉमा में धकेल दिया। लड़की के साथ दरिंदगी करने के बाद इन्होंने उसे उसके दोस्त के साथ बिना कपड़ों के सड़क पर फेंक दिया और उन पर बस चढ़ाने की कोशिश की। दोनों जाड़े की रात बीच सड़क पर बिना कपड़ों के पड़े रहे। इस दौरान लोगों ने उन्हें कपड़े और चादर दिए और फिर अस्पताल पहुंचाया।
बर्बरता की सारी सीमाएं लांघी गईं
इस मामले में अपराध का जो नेचर है उस पर सरकारी वकील सिद्धार्थ लूथरा का कहना था कि इस मामले में दोषियों ने समाज के विश्वास को तार-तार किया है। इस तरह का अपराध समाज में एक डर पैदा करता है और जो घिनौना और बर्बर कृत्य किया गया है उसमें रेयरेस्ट ऑफ रेयर का केस बनता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निश्चित तौर पर दोषियों ने पैशाचिक, बर्बर और निर्दयता वाली हरकत की है। इन्होंने न सिर्फ पीड़िता को रॉड से पीटा बल्कि उसके कपड़े फाड़े, उसे किक किया और फिर उसकी इज्जत को तार-तार किया।
अदालत ने कहा कि इस दौरान इन लोगों ने अत्यंत हिंसक कृत्य किया। ऐनल सेक्स के लिए इन लोगों ने वहशी व क्रूर हरकत की। इसके बाद इन्होंने ओरल सेक्स किया। कोर्ट ने जजमेंट में लिखा कि इसके बाद दोषियों ने लड़की के शरीर पर जगह-जगह दांत से काटा। उसके शरीर का कोई ऐसा भाग नहीं था जहां इन्होंने नहीं काटा हो। इसके बाद रॉड को लड़की के प्राइवेट पार्ट में डाला गया। इस दौरान लड़की का इंटेस्टाइन डैमेज हुआ। मेडिकल रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि बार-बार हाथ और रॉड प्राइवेट पार्ट में डालने की वजह से इंटेस्टाइज डैमेज हुआ और वह ओपन हो गया। बाद में यह मौत की वजह बनी। दोषियों की ये तमाम हरकतें उनके मानसिक विकार को दिखाती हैं जो कल्पना से परे हैं और बर्बरता की सीमा पार करती हैं।
निर्भया गैंग रेप और मर्डर की पूरी वारदात का
करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि ऐसा लगता है कि यह कहानी किसी दूसरी दुनिया की है जहां मानवता की कोई कद्र नहीं है। मुजरिमों ने पाशविक जानवर की तरह अपनी हवस व आनंद के लिए लड़की को मनोरंजन का साधन बनाया।
सदमे की सुनामी की तरह यह घटना
अदालत ने 429 पेज के अपने फैसले में कहा कि सेक्स की भूख, हिंसक ऐक्ट और कामविकृति के लिए इन्होंने सामूहिक चेतना को झकझोरा है। यह पूरा वाकया दिखाता है कि कैसे अनियंत्रित हवस के लिए इन्होंने घिनौना कृत्य किया है। घिनौने जूनून वाला जो माइंडसेट दोषियों ने दिखाया है वह स्तब्धकारी सदमे की सुनामी की तरह है जिसने संभ्रांत समाज की चेतना को झकझोरा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह कहते हुए चारों दोषियों की अपील खारिज कर दी कि हाई कोर्ट के फैसले में दखल की जरूरत नहीं है।
अपनी सनक के लिए लड़की को ट्रॉमा में डाला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जाड़े की रात 16 दिसंबर 2012 को जब लड़की अपने दोस्त के साथ PVR सिनेमा से निकली तो उसने सोचा भी नहीं होगा कि बस में मौजूद 6 लोगों की हवस का शिकार बनेगी। इन लोगों ने लड़की को मनोरंजन का साधन बनाया। इन दोषियों ने अपनी काम पिपासा के लिए लड़की के प्राइवेट पार्ट को क्षत-विक्षत किया। अपनी सनक में इन्होंने लड़की को ट्रॉमा में धकेल दिया। लड़की के साथ दरिंदगी करने के बाद इन्होंने उसे उसके दोस्त के साथ बिना कपड़ों के सड़क पर फेंक दिया और उन पर बस चढ़ाने की कोशिश की। दोनों जाड़े की रात बीच सड़क पर बिना कपड़ों के पड़े रहे। इस दौरान लोगों ने उन्हें कपड़े और चादर दिए और फिर अस्पताल पहुंचाया।
बर्बरता की सारी सीमाएं लांघी गईं
इस मामले में अपराध का जो नेचर है उस पर सरकारी वकील सिद्धार्थ लूथरा का कहना था कि इस मामले में दोषियों ने समाज के विश्वास को तार-तार किया है। इस तरह का अपराध समाज में एक डर पैदा करता है और जो घिनौना और बर्बर कृत्य किया गया है उसमें रेयरेस्ट ऑफ रेयर का केस बनता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निश्चित तौर पर दोषियों ने पैशाचिक, बर्बर और निर्दयता वाली हरकत की है। इन्होंने न सिर्फ पीड़िता को रॉड से पीटा बल्कि उसके कपड़े फाड़े, उसे किक किया और फिर उसकी इज्जत को तार-तार किया।
अदालत ने कहा कि इस दौरान इन लोगों ने अत्यंत हिंसक कृत्य किया। ऐनल सेक्स के लिए इन लोगों ने वहशी व क्रूर हरकत की। इसके बाद इन्होंने ओरल सेक्स किया। कोर्ट ने जजमेंट में लिखा कि इसके बाद दोषियों ने लड़की के शरीर पर जगह-जगह दांत से काटा। उसके शरीर का कोई ऐसा भाग नहीं था जहां इन्होंने नहीं काटा हो। इसके बाद रॉड को लड़की के प्राइवेट पार्ट में डाला गया। इस दौरान लड़की का इंटेस्टाइन डैमेज हुआ। मेडिकल रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि बार-बार हाथ और रॉड प्राइवेट पार्ट में डालने की वजह से इंटेस्टाइज डैमेज हुआ और वह ओपन हो गया। बाद में यह मौत की वजह बनी। दोषियों की ये तमाम हरकतें उनके मानसिक विकार को दिखाती हैं जो कल्पना से परे हैं और बर्बरता की सीमा पार करती हैं।