अंतरराष्ट्रीय अदालत ने जाधव की मौत की सज़ा पर रोक लगाई
हेग की अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पाकिस्तान की जेल में बंद भारत के कुलभूषण जाधव की मौत की सज़ा पर रोक लगा दी है.
अदालत ने कहा कि जब तक उनके मामले में अंतिम फैसला नहीं आ जाता उन्हें फांसी नहीं दी जा सकती.
कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी के आरोप में फांसी की सज़ा सुनाई है.
जाधव की फ़ांसी टालने को लेकर भारत ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस यानी आईसीजे का दरवाज़ा खटखटाया था.
अदालत ने पाकिस्तान की उस आपत्ति को खारिज कर दिया कि ये मामला उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता. हांलाकि अदालत ने ये भी कहा कि इस पर मतभेद हैं.
अदालत ने भारत और पाकिस्तान के बीच संधियों का हवाला दिया और कहा कि कहा कि 1977 से ही भारत और पाकिस्तान वियना संधि का हिस्सा हैं.
जाधव के मामले में अदालत ने कहा कि जाधव को काउंसलर मदद मिलनी चाहिए.
जानें, जाधव पर ICJ ने पाक को क्या-क्या सुनाया
ICJ के अध्यक्ष रॉनी अब्राहम ने फैसला पढ़ा। ICJ ने अपने फैसले में कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों ने विएना संधि पर हस्ताक्षर किया है। जाधव मामले में अंतिम निर्णय आने तक जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगाई जाए और किसी भी तरह की दुर्भावना की कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। भारत ने विएना संधि के तहत ही ICJ में अपील की थी। भारत की विएना संधि के तहत मांग जायज है। इस संधि के तहत भारत को अपने नागरिक के पास पहुंच का अधिकार है। पाकिस्तान भारत को जाधव के लिए राजनयिक मदद देने का अधिकार दे। प्राथमिक तौर पर जाधव को जासूस बताने वाली हम तय नहीं कर सकते हैं। इस मामले को तय होने तक जाधव की फांसी की रोक लगा सकते हैं। ICJ को जाधव मामले की हर बात सुनने का अधिकार है। जाधव को भारत का जासूस बताने का पाकिस्तान का दावा साबित नहीं हुआ है।
भारत जहां अपने पक्ष में फैसला आने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त था, वहीं कुलभूषण की सुरक्षित वापसी को लेकर देश में दुआओं का दौर जारी रहा। वाराणसी में कुलभूषण की सलामती को लेकर पूजा की गई थी।
जाधव के लिए राजनयिक पहुंच की मांग कर रहे भारत ने 16 बार दरख्वास्त ठुकराए जाने के बाद ICJ का रुख किया था। नीदरलैंड्स के हेग में स्थित ICJ में मामले की सुनवाई बीते सोमवार को हुई थी। इसमें भारत और पाकिस्तान के वकीलों ने अपना पक्ष रखा था। सुनवाई के दौरान भारत ने पाकिस्तान पर विएना संधि के घोर उल्लंघन का आरोप लगाते हुए अंतरराष्ट्रीय अदालत से भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव की मौत की सजा पर रोक लगाने की मांग की थी।
वहीं, पाकिस्तान ने अपनी दलील में कहा था कि भारत को कुलभूषण मामले को आईसीजे में लाने का अधिकार नहीं है, क्योंकि विएना संधि जासूसों, आतंकवादियों और जासूसी से जुडे़ लोगों पर लागू नहीं होती। पाकिस्तान की तरफ से पेश हुए वकील खवार कुरैशी ने यह भी कहा कि भारत ने इस साल जनवरी में पाकिस्तान के उस संदेश का कोई जवाब नहीं दिया, जिसमें जाधव से संबंधित मामले की जांच के लिए उससे सहयोग मांगा गया था।
वहीं, पाकिस्तान ने अपनी दलील में कहा था कि भारत को कुलभूषण मामले को आईसीजे में लाने का अधिकार नहीं है, क्योंकि विएना संधि जासूसों, आतंकवादियों और जासूसी से जुडे़ लोगों पर लागू नहीं होती। पाकिस्तान की तरफ से पेश हुए वकील खवार कुरैशी ने यह भी कहा कि भारत ने इस साल जनवरी में पाकिस्तान के उस संदेश का कोई जवाब नहीं दिया, जिसमें जाधव से संबंधित मामले की जांच के लिए उससे सहयोग मांगा गया था।
साल्वे ने की थी जोरदार पैरवी
भारत के टॉप वकीलों में शुमार हरीश साल्वे ने जाधव की गिरफ्तारी, उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने तथा मामले की सुनवाई से संबंधित तमाम कार्रवाई को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और विएना संधि का उल्लंघन करार दिया था। उन्होंने कहा कि मनगढ़ंत आरोपों के संदर्भ में कुलभूषण को अपना बचाव करने के लिए कानूनी सहायता मुहैया नहीं कराई गई। साल्वे ने अदालत से कहा कि 16 मार्च, 2016 को ईरान में जाधव का अपहरण किया गया और फिर पाकिस्तान लाकर कथित तौर पर भारतीय जासूस के तौर पर पेश किया गया। इसके बाद, सैन्य हिरासत में एक अफसर के सामने उनसे कबूलनामा लिया गया। उन्हें किसी से संपर्क नहीं करने दिया गया और सुनवाई भी एकतरफा की गई।
भारत के टॉप वकीलों में शुमार हरीश साल्वे ने जाधव की गिरफ्तारी, उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने तथा मामले की सुनवाई से संबंधित तमाम कार्रवाई को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और विएना संधि का उल्लंघन करार दिया था। उन्होंने कहा कि मनगढ़ंत आरोपों के संदर्भ में कुलभूषण को अपना बचाव करने के लिए कानूनी सहायता मुहैया नहीं कराई गई। साल्वे ने अदालत से कहा कि 16 मार्च, 2016 को ईरान में जाधव का अपहरण किया गया और फिर पाकिस्तान लाकर कथित तौर पर भारतीय जासूस के तौर पर पेश किया गया। इसके बाद, सैन्य हिरासत में एक अफसर के सामने उनसे कबूलनामा लिया गया। उन्हें किसी से संपर्क नहीं करने दिया गया और सुनवाई भी एकतरफा की गई।