इमैनुएल मैक्रों होंगे फ़्रांस के नए राष्ट्रपति
यूरोप समर्थक मध्यमार्गी नेता इमैनुएल मैक्रों फ़्रांस के अगले राष्ट्रपति होंगे.
39 साल के युवा मैक्रों ने इससे पहले कोई निर्वाचित पद नहीं संभाला है.
अब तक 90 फ़ीसदी से ज़्यादा मतपत्रों की गणना हो चुकी है जिसमें मैक्रों को 65 फ़ीसदी वोट मिले हैं और उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी धुर दक्षिणपंथी नेता मरी ल पेन को अच्छी तरह हरा दिया है.
ल पेन को 34 फ़ीसदी वोट मिले.
अपने पहले संबोधन में मैक्रों ने वादा किया कि वो देश में मौजूद भेदभाव वाली शक्तियों से लड़ेंगे ताकि यूरोपीय संघ और उनके देशवासियों के बीच संपर्क को पुनर्स्थापित किया जा सके.
उन्होंने ये भी कहा कि चरमपंथ और जलवायु परिवर्तन के ख़तरों से भी वो मुकाबला करेंगे.
उसके बाद उन्होंने मध्य पेरिस में विख्यात लूव्र म्यूज़ियम के बाहर जश्न मना रहे समर्थकों की एक रैली को संबोधित किया और कहा कि उनकी जीत फ़्रांस के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत है.
मैक्रों को अब एक नई सरकार बनानी होगी. हालांकि उनके राजनीतिक आंदोलन एन मार्श का कोई निर्वाचित प्रतिनिधि नेशनल एसेंबली में नहीं है.
जून में होनेवाले संसदीय चुनाव में वो अपना राजनीतिक आधार बनाने की कोशिश करेंगे.
मैक्रों द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहले ऐसे नेता होंगे जो फ़्रांस के दो प्रमुख दलों - सोशलिस्ट और सेंटर राइट रिपब्लिकन पार्टी से नहीं होंगे.
ल पेन ने दी बधाई
मैक्रों की टीम का कहना है कि 'नए राष्ट्रपति' ने विरोधी उम्मीदवार मरी ल पेन से टेलीफ़ोन पर बातचीत की जो सौहार्दपूर्ण रही.
एक भाषण में मरी ल पेन ने उन एक करोड़ 10 लाख मतदाताओं का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने उनके लिए मतदान किया था.
उन्होंने कहा कि चुनाव ने दिखा दिया है कि फ़्रांस 'देशभक्तों और वैश्वीकरण के हिमायतियों' में विभाजित है.
ल पेन ने कहा कि उनकी नेशनल फ़्रंट पार्टी को पुनर्विचार करने की ज़रूरत है और उसकी शुरुआत वो तुरंत करेंगी ताकि आगामी संसदीय चुनाव में उन्हें जीत हासिल हो सके.
उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने मैक्रों को शुभकामनाएं दी हैं कि वो फ़्रांस के सामने मौजूद चुनौतियों पर विजय हासिल करें.
राष्ट्रपति फ़्रांस्वां ओलांद ने भी इमैनुएल मैक्रों को बधाई दी और कहा कि चुनाव परिणामों ने दर्शाया है कि फ़्रांस के लोग 'गणतंत्र के मूल्यों' के लिए एकजुट होना चाह रहे थे.
पेरिस में मौजूद बीबीसी संवाददाता ह्यूज शोफ़िल्ड का कहना है कि मैक्रों की जीत सफलता की एक शानदार कहानी है. एक ऐसे व्यक्ति की कहानी जिसे तीन साल पहले फ़्रांस के लोग जानते तक नहीं थे. केवल आत्मविश्वास, ऊर्जा और लोगों से जुड़ाव की बदौलत मैक्रों ने एक ऐसा राजनीतिक आंदोलन खड़ा किया जिसने फ़्रांस की सभी स्थापित राजनीतिक पार्टियों को धराशायी कर दिया.
बधाई संदेश
जर्मन चांसलर एंगेला मर्केल के प्रवक्ता ने इमैनुएल मैक्रों की कामयाबी पर बधाई दी और कहा कि मैक्रों की सफलता एक मज़बूत और एकीकृत यूरोप की जीत है.
चुनाव में जीत पक्की होने के बाद मैक्रों ने जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल से टेलिफ़ोन पर बात की. उनके सलाहकारों ने इस बातचीत को गर्मजोशी भरी बातचीत बताया.
ख़बरों के मुताबिक मैक्रों ने पुष्टि की है कि जल्दी ही वो चांसलर मर्केल से बर्लिन में मुलाकात करेंगे.
यूरोपीयन कमीशन के प्रमुख ज्यां क्लॉड युंकर ने भी मैक्रों के बारे में ऐसी ही राय व्यक्त की है.
अमरीकी रोष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इमैनुएल मैक्रों को सोशल मीडिया के ज़रिए बधाई दी और कहा कि वो उनके साथ मिलकर काम करने का इंतज़ार कर रहे हैं.
कितना मतदान हुआ?
आंतरिक मंत्रालय के मुताबिक फ़्रांस के स्थानीय समय अनुसार शाम पांच बजे तक करू 66 फ़ीसदी मतदान हुआ जबकि 2012 में 72 फ़ीसदी और 2007 में 75.1 फ़ीसदी मतदान हुआ था.
इस बार का मतदान 1981 से अब तक के सभी चुनावों से काफ़ी कम था.
इमैनुअल मैक्रों उदारवादी विचारधारा के नेता हैं जो व्यवसायियों और यूरोपीय संघ के समर्थक हैं और मरी ल पेन 'फ़्रांस पहले' और अप्रवासन विरोधी कार्यक्रम की समर्थक हैं.
शुक्रवार को प्रचार ख़त्म होने से पहले मैक्रों की टीम ने दावा किया था कि उनका प्रचार अभियान बड़े पैमाने पर हैकिंग का शिकार हुआ है. मैक्रों रूस पर हैकिंग में शामिल होने का आरोप भी लगा चुके हैं.
मैक्रों की तात्कालिक चुनौतियां
राष्ट्रपति बनने के बाद इमैनुएल मैक्रों के सामने कई चुनौतियां भी मौजूद हैं.
मैक्रों की पार्टी एन मार्शे के पास संसद में एक भी सीट नहीं है.
राष्ट्रपति चुनाव के बाद बहुत जल्द 11 और 18 जून को संसदीय चुनाव होने हैं.
एन मार्शे को चुनाव लड़ना होगा, लेकिन मैक्रों को अपनी स्थिति मज़बूत करने के लिए मज़बूत गठबंधन का सहारा लेना पड़ सकता है.
कई पार्टियों ने राष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का समर्थन सिर्फ ल पेन को हराने के मकसद से किया था.
उन्हें अपनी राजनीति को लेकर असहमत लोगों को अपनी तरफ़ करना होगा.
वामपंथी वोटर राष्ट्रपति पद के लिए मैक्रों और ल पेन की उम्मीदवारी से कटा कटा महसूस कर रहे थे.
39 साल के युवा मैक्रों ने इससे पहले कोई निर्वाचित पद नहीं संभाला है.
अब तक 90 फ़ीसदी से ज़्यादा मतपत्रों की गणना हो चुकी है जिसमें मैक्रों को 65 फ़ीसदी वोट मिले हैं और उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी धुर दक्षिणपंथी नेता मरी ल पेन को अच्छी तरह हरा दिया है.
ल पेन को 34 फ़ीसदी वोट मिले.
अपने पहले संबोधन में मैक्रों ने वादा किया कि वो देश में मौजूद भेदभाव वाली शक्तियों से लड़ेंगे ताकि यूरोपीय संघ और उनके देशवासियों के बीच संपर्क को पुनर्स्थापित किया जा सके.
उन्होंने ये भी कहा कि चरमपंथ और जलवायु परिवर्तन के ख़तरों से भी वो मुकाबला करेंगे.
उसके बाद उन्होंने मध्य पेरिस में विख्यात लूव्र म्यूज़ियम के बाहर जश्न मना रहे समर्थकों की एक रैली को संबोधित किया और कहा कि उनकी जीत फ़्रांस के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत है.
मैक्रों को अब एक नई सरकार बनानी होगी. हालांकि उनके राजनीतिक आंदोलन एन मार्श का कोई निर्वाचित प्रतिनिधि नेशनल एसेंबली में नहीं है.
जून में होनेवाले संसदीय चुनाव में वो अपना राजनीतिक आधार बनाने की कोशिश करेंगे.
मैक्रों द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहले ऐसे नेता होंगे जो फ़्रांस के दो प्रमुख दलों - सोशलिस्ट और सेंटर राइट रिपब्लिकन पार्टी से नहीं होंगे.
ल पेन ने दी बधाई
मैक्रों की टीम का कहना है कि 'नए राष्ट्रपति' ने विरोधी उम्मीदवार मरी ल पेन से टेलीफ़ोन पर बातचीत की जो सौहार्दपूर्ण रही.
एक भाषण में मरी ल पेन ने उन एक करोड़ 10 लाख मतदाताओं का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने उनके लिए मतदान किया था.
उन्होंने कहा कि चुनाव ने दिखा दिया है कि फ़्रांस 'देशभक्तों और वैश्वीकरण के हिमायतियों' में विभाजित है.
ल पेन ने कहा कि उनकी नेशनल फ़्रंट पार्टी को पुनर्विचार करने की ज़रूरत है और उसकी शुरुआत वो तुरंत करेंगी ताकि आगामी संसदीय चुनाव में उन्हें जीत हासिल हो सके.
उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने मैक्रों को शुभकामनाएं दी हैं कि वो फ़्रांस के सामने मौजूद चुनौतियों पर विजय हासिल करें.
राष्ट्रपति फ़्रांस्वां ओलांद ने भी इमैनुएल मैक्रों को बधाई दी और कहा कि चुनाव परिणामों ने दर्शाया है कि फ़्रांस के लोग 'गणतंत्र के मूल्यों' के लिए एकजुट होना चाह रहे थे.
पेरिस में मौजूद बीबीसी संवाददाता ह्यूज शोफ़िल्ड का कहना है कि मैक्रों की जीत सफलता की एक शानदार कहानी है. एक ऐसे व्यक्ति की कहानी जिसे तीन साल पहले फ़्रांस के लोग जानते तक नहीं थे. केवल आत्मविश्वास, ऊर्जा और लोगों से जुड़ाव की बदौलत मैक्रों ने एक ऐसा राजनीतिक आंदोलन खड़ा किया जिसने फ़्रांस की सभी स्थापित राजनीतिक पार्टियों को धराशायी कर दिया.
बधाई संदेश
जर्मन चांसलर एंगेला मर्केल के प्रवक्ता ने इमैनुएल मैक्रों की कामयाबी पर बधाई दी और कहा कि मैक्रों की सफलता एक मज़बूत और एकीकृत यूरोप की जीत है.
चुनाव में जीत पक्की होने के बाद मैक्रों ने जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल से टेलिफ़ोन पर बात की. उनके सलाहकारों ने इस बातचीत को गर्मजोशी भरी बातचीत बताया.
ख़बरों के मुताबिक मैक्रों ने पुष्टि की है कि जल्दी ही वो चांसलर मर्केल से बर्लिन में मुलाकात करेंगे.
यूरोपीयन कमीशन के प्रमुख ज्यां क्लॉड युंकर ने भी मैक्रों के बारे में ऐसी ही राय व्यक्त की है.
अमरीकी रोष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इमैनुएल मैक्रों को सोशल मीडिया के ज़रिए बधाई दी और कहा कि वो उनके साथ मिलकर काम करने का इंतज़ार कर रहे हैं.
कितना मतदान हुआ?
आंतरिक मंत्रालय के मुताबिक फ़्रांस के स्थानीय समय अनुसार शाम पांच बजे तक करू 66 फ़ीसदी मतदान हुआ जबकि 2012 में 72 फ़ीसदी और 2007 में 75.1 फ़ीसदी मतदान हुआ था.
इस बार का मतदान 1981 से अब तक के सभी चुनावों से काफ़ी कम था.
इमैनुअल मैक्रों उदारवादी विचारधारा के नेता हैं जो व्यवसायियों और यूरोपीय संघ के समर्थक हैं और मरी ल पेन 'फ़्रांस पहले' और अप्रवासन विरोधी कार्यक्रम की समर्थक हैं.
शुक्रवार को प्रचार ख़त्म होने से पहले मैक्रों की टीम ने दावा किया था कि उनका प्रचार अभियान बड़े पैमाने पर हैकिंग का शिकार हुआ है. मैक्रों रूस पर हैकिंग में शामिल होने का आरोप भी लगा चुके हैं.
मैक्रों की तात्कालिक चुनौतियां
राष्ट्रपति बनने के बाद इमैनुएल मैक्रों के सामने कई चुनौतियां भी मौजूद हैं.
मैक्रों की पार्टी एन मार्शे के पास संसद में एक भी सीट नहीं है.
राष्ट्रपति चुनाव के बाद बहुत जल्द 11 और 18 जून को संसदीय चुनाव होने हैं.
एन मार्शे को चुनाव लड़ना होगा, लेकिन मैक्रों को अपनी स्थिति मज़बूत करने के लिए मज़बूत गठबंधन का सहारा लेना पड़ सकता है.
कई पार्टियों ने राष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी का समर्थन सिर्फ ल पेन को हराने के मकसद से किया था.
उन्हें अपनी राजनीति को लेकर असहमत लोगों को अपनी तरफ़ करना होगा.
वामपंथी वोटर राष्ट्रपति पद के लिए मैक्रों और ल पेन की उम्मीदवारी से कटा कटा महसूस कर रहे थे.