'99 देशों में' ज़बरदस्त साइबर हमला, मांगी फ़िरौती

यूरोप और बाक़ी दुनिया के 99 देशों में कुछ संगठनों पर साइबर हमला हुआ है.

ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) इससे बुरी तरह प्रभावित हुई है और मरीजों के ऑनलाइन रिकॉर्ड पहुंच के बाहर हो गए हैं.
इन हमलों के बाद एक प्रोग्राम ने हज़ारों जगहों के कंप्यूटर्स लॉक कर दिए और पेमेंट नेटवर्क 'बिटकॉइन' के ज़रिये 230 पाउंड (करीब 19 हज़ार रुपये) की फ़िरौती मांगी.
ब्रिटेन, अमरीका, चीन, रूस, स्पेन, इटली, वियतनाम और कई अन्य देशों में 'रैनसमवेयर' साइबर हमलों की खबर है. प्रभावित कई संगठनों ने कंप्यूटर्स के लॉक होने और फ़िरौती की मांग वाले स्क्रीनशॉट्स साझा किए हैं.
ब्रिटेन की स्वास्थ्य सेवाएं निशाने पर
एक साइबर सुरक्षा शोधकर्ता ने ट्वीट किया कि उन्होंने इसके बदले में बिटकॉइन मांगने के 36,000 मामलों का पता लगाया है. ये 'वॉनाक्राइ' या इससे मिलते-जुलते नाम से किए गए हैं.
उन्होंने कहा, "ये बहुत बड़ा है."
कई अस्पतालों ने शिकायत की है कि वे मरीज़ों के डेटा तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. एनएचएस पर इस हमले का सबसे बुरा असर हुआ है तो इसकी कई वजहें हो सकती हैं.
सबसे संभव वजह यही है कि यह एक बहुत बड़े आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर के सहारे चलने वाली एक बड़ी संस्था है. इसके कई पार्टनर और सप्लायर हैं, जिनके ज़रिए इसके 'कोर नेटवर्क' तक पहुंचा जा सकता है.
लिवरपूल के एक मेडिकल सेंटर पर काम करने वाले डॉक्टर क्रिस मिमनाग का कहना है कि हमले से उनका काम नामुमकिन हो गया है.
उन्होंने कहा, 'हमारे मरीज़ों का पूरा रिकॉर्ड- ख़ून की रिपोर्टें, हिस्ट्री, दवाइयां वगैरह कंप्यूटर से ही देखा किया जाता है. हम दवाइयां भी इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से ही लिखते हैं. ये सीधे फार्मेसी तक चला जाता है. इस वक़्त यह पूरा सिस्टम हमारे हाथ से निकल गया है.'

यह एक अंतरराष्ट्रीय हमला है: थेरेसा मे

माना जा रहा है कि यह हमला अमरीकी सुरक्षा एजेंसी के बनाए टूल्स की मदद से किया गया है. बीबीसी को अब तक स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी 40 संस्थाओं के इससे प्रभावित होने की ख़बर मिली है.
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने कहा, 'यह नेशनल हेल्थ सर्विस पर ही निशाना नहीं है. यह एक अंतरराष्ट्रीय हमला है और कई देश और संस्थाएं इससे प्रभावित हुई हैं.'
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक इंग्लैंड के कई अस्पतालों का कहना है कि उन्हें अपने कंप्यूटर खोलने में परेशानी हो रही है. जो कंप्यूटर्स हैक हुए हैं उन्हें खोलने पर एक मैसेज दिखाई दे रहा है जिसमें कहा गया है कि फ़ाइल रिकवर करना चाहते हो तो पैसे चुकाने होंगे.
इंग्लैंड की नेशनल हेल्थ सर्विस की तरफ से कहा गया है कि मरीज़ इलाज के लिए इमरजेंसी सेवाओं तक पहुंचें. एनएचएस के इंसीडेंट डायरेक्टर डॉक्टर ऐनी रेन्सबेरी ने कहा, 'जब तक हम इस बड़ी घटना से निपट रहे हैं, हमने लोगों से बुद्धिमानी से एनएचएस का इस्तेमाल करने की अपील की है.'

क्या है रेनसमवेयर

रैनसमवेयर एक कंप्यूटर वायरस है जो कंप्यूटर्स फ़ाइल को बर्बाद करने की धमकी देता है. धमकी दी जाती है कि अगर अपनी फ़ाइलों को बचाना है तो फीस चुकानी होगी.
ये वायरस कंप्यूटर में मौजूद फ़ाइलों और वीडियो को इनक्रिप्ट कर देता है और उन्हें फिरौती देने के बाद ही डिक्रिप्ट किया जा सकता है.
ख़ास बात ये है कि इसमें फिरौती चुकाने के लिए समयसीमा निर्धारित की जाती है और अगर समय पर पैसा नहीं चुकाया जाता है तो फिरौती की रकम बढ़ जाती है.
अमरीकी खुफ़िया एजेंसियों ने साइबर हमलों को देश के लिए सबसे बड़े खतरे में शामिल किया है.
इसे आतंकवाद से भी बड़ा खतरा माना गया है.
दुनिया भर के लिए खतरों के सालाना आकलन में यह बात कही गई है.
अमरीका के राष्ट्रीय खुफ़िया निदेशक के दफ़्तर ने कहा है कि इन हमलों से बुनियादी ढांचे की बड़ी तबाही तो नहीं होगी.
हालांकि उनका ये भी कहना है कि विदेशी सरकारें और वैचारिक प्रेरणा से भरे हैकर अमरीका की आर्थिक प्रतियोगितात्मकता और राष्ट्रीय सुरक्षा को लगातार कमज़ोर करेंगे.
इन ख़तरों के लिए रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया को प्रमुख स्रोत के रूप में शामिल किया गया है.
अनुमान जताया गया है कि भविष्य में हमले का स्वरूप कैसा होगा.
इसके मुताबिक सूचनाओं को गायब या जारी करने की बजाय उन्हें ख़राब करने की कोशिश होगी जिससे कि उनकी विश्वसनीयता को कमज़ोर किया जा सके.

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