मोदी के 8 बड़े U-Turn, जहाँ वो अपनी ही बात से मुकर गए
जब नरेंद्र मोदी को पूर्ण बहुमत से जिताया गया तो लोगों को उनसे बहुत सारी उमीदें थी. हालांकि अभी ‘अच्छे दिन’ का इंतज़ार ही हो रहा है. अब तक की बी.जे .पी की सरकार कई बार अपनी बात से पलट चुकी है. जब यू.पी.ए सरकार थी तो उनके लिए फैसलों पर मोदी जी और उनकी पार्टी ने हमेशा विरोध किया. लेकिन अपनी सरकार बनते ही उन्हीं फैसलों पर अमल किया गया. चाहे वो काला धन हो या FDI, हर फैसले पर विरोधाभास देखा जा सकता है. सरकार बनने के पहले और बाद के बदलाव पर एक नज़र डालते हैं.
1. आधार कार्ड –
लोक सभा चुनाव के दौरान, बीजेपी ने आधार को ज़रूरी नहीं माना था पर पावर में आते ही मोदी सरकार ने आधार को ज़रूरी बताया और सबसे इसे बनवाने की गुज़ारिश भी की.
2. FDI –
2013 में जब BJP ऑपोज़िशन में थी तब वो FDI को बढ़ाने के खिलाफ थी लेकिन सरकार में आते ही उन्होंने FDI कैप को 49 % बढ़ा देने के बिल को पेश किया. हालांकि इसे राज्य सभा में रोक दिया गया.
3. भूमि की अदला-बदली का सौदा –
बांग्लादेश के साथ भूमि की अदला-बदली के सौदे पर बीजेपी ने विपक्ष में रहते हुए हमला बोला मगर सरकार बनने पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम जाकर इस सौदे पर हस्ताक्षर किये और इसे असम की सुरक्षा के लिए ज़रूरी बताया.
4. बांग्लादेशी प्रवासी –
इलेक्शन के दौरान दिए भाषणों में बीजेपी ने बंगलादेशी प्रवासियों को हटाने की बात कही पर सरकार बनते ही उन्हें सपोर्ट किया गया और तो और फ्री वीसा भी उपलब्ध कराये गए.
5. काला धन –बीजेपी के इस यू-टर्न के बारे में तो सबको पता है. चुनावी वादों में कहा गया था की काला धन रखने वालों का नाम घोषित किया जायेगा और स्विस बैंक से आया काला धन सबके बैंक अकाउंट में दे दिया जायेगा. लेकिन काला धन हटाने के नाम पर नोट बंदी कर दी गयी और कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया.
6. सिविल न्यूक्लियर सौदा –यूनाइटेड स्टेट्स के साथ इस सौदे पर बीजेपी ने सरकार बनने के पहले कहा था की ये देशहित में नहीं है मगर सरकार बनते ही मोदी सरकार ने इसे गर्व की बात कही और इस सौदे पर हस्ताक्षर कर दिया.
7. नोट बंदी –
जब 2014 में आर. बी. आई ने सुझाव दिया था की 2005 के पहले के नोटों को बंद कर दिए जायें तब बीजेपी ने इसे ‘गरीबों के खिलाफ’ वाला फैसला बताया था लेकिन सत्ता में आने के बाद साल 2015 में 8 नवंबर से 500 और 1000 के नोटों को बंद करवा दिया और इसे काले धन पर नकेल कसने के लिए ज़रूरी बताया.
8. रेलवे टिकट भाड़ा –
यूपीए सरकार के समय 2 % रेल भाड़ा बढ़ा दिया गया था तो मोदी जी ने इसका बहुत विरोध किया था और आंदोलन भी चलाये थे लेकिन बीजेपी सरकार के सत्ता में आते ही रेल भाड़ा 14% तक बढ़ा दिया गया.
1. आधार कार्ड –
लोक सभा चुनाव के दौरान, बीजेपी ने आधार को ज़रूरी नहीं माना था पर पावर में आते ही मोदी सरकार ने आधार को ज़रूरी बताया और सबसे इसे बनवाने की गुज़ारिश भी की.
2. FDI –
2013 में जब BJP ऑपोज़िशन में थी तब वो FDI को बढ़ाने के खिलाफ थी लेकिन सरकार में आते ही उन्होंने FDI कैप को 49 % बढ़ा देने के बिल को पेश किया. हालांकि इसे राज्य सभा में रोक दिया गया.
3. भूमि की अदला-बदली का सौदा –
बांग्लादेश के साथ भूमि की अदला-बदली के सौदे पर बीजेपी ने विपक्ष में रहते हुए हमला बोला मगर सरकार बनने पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम जाकर इस सौदे पर हस्ताक्षर किये और इसे असम की सुरक्षा के लिए ज़रूरी बताया.
4. बांग्लादेशी प्रवासी –
इलेक्शन के दौरान दिए भाषणों में बीजेपी ने बंगलादेशी प्रवासियों को हटाने की बात कही पर सरकार बनते ही उन्हें सपोर्ट किया गया और तो और फ्री वीसा भी उपलब्ध कराये गए.
5. काला धन –बीजेपी के इस यू-टर्न के बारे में तो सबको पता है. चुनावी वादों में कहा गया था की काला धन रखने वालों का नाम घोषित किया जायेगा और स्विस बैंक से आया काला धन सबके बैंक अकाउंट में दे दिया जायेगा. लेकिन काला धन हटाने के नाम पर नोट बंदी कर दी गयी और कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया.
6. सिविल न्यूक्लियर सौदा –यूनाइटेड स्टेट्स के साथ इस सौदे पर बीजेपी ने सरकार बनने के पहले कहा था की ये देशहित में नहीं है मगर सरकार बनते ही मोदी सरकार ने इसे गर्व की बात कही और इस सौदे पर हस्ताक्षर कर दिया.
7. नोट बंदी –
जब 2014 में आर. बी. आई ने सुझाव दिया था की 2005 के पहले के नोटों को बंद कर दिए जायें तब बीजेपी ने इसे ‘गरीबों के खिलाफ’ वाला फैसला बताया था लेकिन सत्ता में आने के बाद साल 2015 में 8 नवंबर से 500 और 1000 के नोटों को बंद करवा दिया और इसे काले धन पर नकेल कसने के लिए ज़रूरी बताया.
8. रेलवे टिकट भाड़ा –
यूपीए सरकार के समय 2 % रेल भाड़ा बढ़ा दिया गया था तो मोदी जी ने इसका बहुत विरोध किया था और आंदोलन भी चलाये थे लेकिन बीजेपी सरकार के सत्ता में आते ही रेल भाड़ा 14% तक बढ़ा दिया गया.