'नोबेल पुरस्कार का ख्वाब देख रहे हैं नरेंद्र मोदी'

रक्षा मामलों के विश्लेषक मारूफ़ रज़ा ने बीबीसीहिंदीओआरजी से बातचीत में कहा है कि मोदी और भारत के अन्य जितने प्रधानमंत्री हुए हैं, वो नोबेल शांति पुरस्कार पाने का ख्वाब देखते रहे हैं.
वो मानते हैं कि नरेंद्र मोदी की 'लाहौर यात्रा पूरी तरह से ग़लत थी और उस समय भी उन्होंने कहा था कि ये पप्पी-झप्पी की कूटनीति नहीं चलेगी.'
उनका मानना है कि सोते-जागते, उठते-बैठते हर वक़्त पाकिस्तान के दिल में यही होता है कि कैसे भारत का मुकाबला करें, और पाकिस्तान का एकमात्र मकसद है कि किसी भी तरह भारत के लिए समस्या पैदा करे, क्योंकि इसी की बदौलत पाकिस्तान एक देश के तौर पर बना रह सकता है.
हालांकि, मारूफ़ रज़ा का दावा है कि पठानकोट और उड़ी के हमलों के तार सीधे पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं, लेकिन पाकिस्तान बार-बार इन आरोपों को ख़ारिज करता आया है. पाकिस्तान ने उड़ी के मामले में ये भी कहा है कि भारत ने मामले की जांच करने से पहले ही अपने चित-परिचित अंदाज़ में पाकिस्तान के सिर पर आरोप मढ़ दिए.
रविवार को भारत प्रशासित कश्मीर के उड़ी में सैना के कैंप पर चरमपंथी हमले में 18 भारतीय फ़ौजी मारे गए.
इस घटना और इससे जुड़े मुद्दों पर पढ़िए रक्षा मामलों के जानकार मारूफ़ रज़ा की राय , उन्ही की ज़ुबानी-
"भारत और पाकितान के परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र होने के बावजूद, कारगिल युद्ध हुआ था. परमाणु हथियार रहते हुए भी पूरी लड़ाई लड़े बिना, छोटी-मोटी फ़ौजी कार्रवाइयां की जा सकती हैं और पाकिस्तान को जवाब दिया जा सकता है.
अमरीका पाकिस्तान पर दबाव बना सकता है बशर्ते की भारत अमरीका पर दबाव बनाए. अमरीका पर दबाव बनाने का सबसे आसान तरीका तो यह है कि उससे बोला जाए कि हमने तो अब अमरीका से 15 बिलियन डॉलर का रक्षा सौदा किया है, क्या अमरीका भारत का समर्थन नहीं कर सकता....नहीं तो, बाकी के रक्षा सौदे भारत रूस से कर सकता है.
भारत के सामने किस तरह का विकल्प हो सकता है? भारत को अब पूरी दुनिया के सामने यह ऐलान कर देना चाहिए कि अगर कोई देश चरमपंथ के ख़िलाफ़ लड़ाई में भारत के साथ है, तो उसे पाकिस्तान के साथ अपने सारे आर्थिक संबंध तोड़ लेने चाहिए.
अमरीका दुनिया का सबसे ताकतवर देश है, इसलिए अब यह देखने वाली बात होगी कि वो पाकिस्तान को अपने प्रभाव में रखेगा या उसकी दुम दबाएगा.
पठानकोट के हमले और उड़ी हमले के बीच में एक संबंध है. वो यह है कि दोनों हमलों के तार पाकिस्तान से जुड़े हैं.
इन दोनों ही हमलों में प्रशिक्षण, हथियार, जीपीएस सिस्टम और जो मैप और दूसरी चीजें मिली हैं, उस पर पाकिस्तानी मिलिट्री एम्युनेशन की मार्किंग है.
इसे सुरक्षा में चूक कहना तो आसान है लेकिन पठानकोट में तो इससे भी ज्यादा बड़ी बात हुई थी. उस मामले में तो चरमपंथी पूरे बॉर्डर क्रॉस करने के बाद गाड़ियों में बैठकर पठानकोट तक पहुंचे.
सीमा और पठानकोट के बीच कई घंटे का सफर है. उस मामले में तो साबित हुआ था कि कुछ पुलिस के अधिकारी थे जो उनसे मिले हुए थे.
वो मानते हैं कि उड़ी का इलाका भले ही सीमा से लगा हो और वहां पर कई तरह की तकनीक भी लगाई गई हो सीमा पर नज़र रखने के लिए, लेकिन वो भौगोलिक रूप से एक मुश्किल इलाका है."
(ये रक्षा मामलों के विश्लेषक मारूफ रज़ा के निजी विचार हैं. ये मारूफ़ रज़ा से बातचीत पर आधारित है.)

(आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

Popular posts from this blog

वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप: न्यूज़ीलैंड की दमदार जीत, फ़ाइनल में भारत को 8 विकेट से हराया

सीबीएसई बोर्ड की 10वीं की परीक्षा रद्द, 12वीं की परीक्षा टाली गई

लता मंगेशकर नहीं रहीं, 92 साल की उम्र में निधन