India Vs Australia : वो 5 चीज़, जो इस टेस्ट सिरीज़ में पहली बार हुई

'सबसे पहले मैं कहना चाहता हूं कि मुझे इस टीम का हिस्सा होने पर गर्व है. यहीं बदलाव की शुरुआत हुई थी, जब मैंने कप्तानी संभाली थी और अब यक़ीन नहीं हो रहा कि चार साल बाद हम यहीं जीते हैं.'
बारिश की वजह से सिडनी टेस्ट धुलने और टेस्ट सिरीज़ में 2-1 से जीत दर्ज करने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली प्रेजेंटेशन में बोल रहे थे. वो चार साल पहले का ज़िक्र कर रहे थे, जब भारतीय टीम ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था.
टेस्ट सिरीज़ जारी थी, जब बीच में ही धोनी ने कप्तानी छोड़ने का ऐलान कर दिया था और टीम का ज़िम्मा कोहली को सौंपा गया. उस सिरीज़ में कोहली का बल्ला जमकर बोला था. उन्होंने 692 रन बनाए थे लेकिन ऑस्ट्रेलिया चार टेस्ट की सिरीज़ 2-0 से जीता था.
कोहली ने बार-बार एक शब्द इस्तेमाल किया, 'गर्व!' उन्होंने कहा, ''इस टीम की कप्तानी करना सम्मान और गर्व की बात है. सारे लड़के इतना अच्छा खेले हैं कि मैं बतौर कप्तान अच्छा दिखने लगा हूं. ये मेरी अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है.''
ये जीत वाक़ई ख़ास है क्योंकि भारतीय टीम ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया को उसी की धरती पर टेस्ट सिरीज़ में हराने में कामयाबी हासिल की है. इससे पहले के कप्तानों की अगुवाई में टीम वहां टेस्ट मैच जीत चुकी है, लेकिन सिरीज़ में जीत पहली बार नसीब हुई है.

कौन-कौन से रिकॉर्ड बने?

1. पहली सिरीज़ जीत

भारतीय टीम साल 1947-48 से ऑस्ट्रेलिया का दौरा कर रही है, लेकिन उसे पहली बार वहां टेस्ट सिरीज़ में जीत मिली है. इस सिरीज़ के पहले मैच में एडिलेड में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराया, दूसरे मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पर्थ में वापसी की और सिरीज़ 1-1 पर आ गई.
तीसरा टेस्ट मैच मेलबर्न में खेला गया और टीम इंडिया ने एक बार धमाकेदार टीम अफ़र्ट दिखाया और फिर मैच जीता. सिरीज़ का चौथा मैच सिडनी में खेला गया और बारिश ख़लल ना डालती तो इस मैच में भी टीम इंडिया के जीतने की संभावनाएं कहीं ज़्यादा थीं.
1947-48 में ऑस्ट्रेलिया ने टेस्ट सिरीज़ 4-0, 1967-68 में 4-0, 1977-78 में 3-2, 1991-92 में 4-0, 1999-2000 में 3-0, 2007-08 में 2-1, 2011-12 में 4-0, 2014-15 में 2-0 से जीती थी. ये पहला मौका है, जब ऑस्ट्रेलिया में खेली गई टेस्ट सिरीज़ में भारत का नाम विजेता के रूप में है, और कंगारू टीम का हारने वालों के रूप में.

2. 31 साल बाद फ़ालोऑन

आम तौर पर जब ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सिरीज़ खेली जाती है तो सामने वाली टीम को कई बार फ़ालोऑन का सामना करना पड़ता है. फ़ालोऑन का मतलब है कि अगर टेस्ट की पहली पारी में कोई टीम 500 रन बनाए तो दूसरी टीम को कम से कम 301 रन बनाने होते हैं. ऐसा ना करने की स्थिति में बल्लेबाज़ी करने वाली टीम को ऑलआउट होने पर दोबारा बल्लेबाज़ी करने के लिए बुलाया जाता है, जिसे फ़ालोऑन कहा जाता है.
ऑस्ट्रेलिया ने इस सिरीज़ में 31 साल बाद फ़ालोऑन का सामना किया. चौथे टेस्ट की पहली पारी में भारतीय टीम ने 622 रन बनाए और जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने 300 रन बनाए. कोहली ने ऑस्ट्रेलिया को फ़ालोऑन दिया और दोबारा बल्लेबाज़ी के लिए उतारा. दूसरी पारी में कंगारू टीम ने 6 रन बनाए थे कि बारिश ने मैच में ख़लल डाला.
इससे पहले साल 1988 में इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को सिडनी में खेले गए टेस्ट मैच में फ़ालोऑन दिया था. इस मैच में पहले खेलते हुए इंग्लैंड ने 425 रन बनाए थे और ऑस्ट्रेलिया 214 रनों पर सिमट गया था. फ़ालोऑन के लिए बुलाए जाने पर दूसरी पारी में कंगारू टीम ने दो विकेट पर 328 रन बनाए और मैच ड्रॉ हो गया.

3. गेंदबाज़ी, बल्लेबाजी, दोनों में टॉप


ऑस्ट्रेलिया की तेज़ पिचों पर टेस्ट सिरीज़ खेली जाए और सबसे ज़्यादा विकेट लेने वालों में उनके तेज़ गेंदबाज़ों का नाम ना हो, ऐसा कम ही होता है. लेकिन इतिहास बदलने वाली सिरीज़ में ठीक ऐसा ही हुआ है.
साल 2018-19 की इस टेस्ट सिरीज़ को भारत ने लगभग एकतरफ़ा क्रिकेट खेलकर जीता है और सिरीज़ के रिकॉर्ड इसी गवाही दे रहे हैं. इस सिरीज़ में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले शीर्ष पांच बल्लेबाज़ों में तीन भारतीय हैं. चेतेश्वर पुजारा ने इस सिरीज़ में सात पारियों में 74.42 की औसत से 521 रन बनाए. तीन शतक और एक फ़िफ़्टी बनाने वाले चेतेश्वर ने सिडनी में 193 रनों की पारी खेली. दूसरे पायदान पर 350 रन बनाकर ऋषभ पंत रहे और तीसरे नंबर पर 282 रन बनाने वाले कप्तान विराट कोहली.
गेंदबाज़ों की बात करें तो चार मैचों की आठ पारियों में 21 विकेट लेकर जसप्रीत बुमराह सबसे आगे रहे. उन्होंने 17 की औसत से विकेट चटकाए और जब-जब कोहली ने उन्हें बॉल थमाई, बुमराह ने निराश नहीं किया. सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों की सूची में दूसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया के नाथन लायन हैं. इन्हें भी 21 विकेट मिले हैं. लायन वो स्पिनर हैं. तीसरे नंबर पर फिर भारत के मोहम्मद शामी हैं, जिन्हें 16 विकेट मिले हैं.

4. सबसे बड़ी लीड

भारतीय टीम के लिए इस सिरीज़ में बल्लेबाज़ों, ख़ास तौर ने चेतेश्वर पुजारा ने गज़ब खेल दिखाया है. और यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया पर भारत एक और रिकॉर्ड बना पाया. ये ऑस्ट्रेलिया में खेली गई ऐसी पहली सिरीज़ है, जिसमें भारतीय टीम ने दो सबसे बड़ी लीड लेने में कामयाबी हासिल की.
सिडनी टेस्ट में पहले खेलने वाली भारतीय टीम को 322 रनों की लीड मिली थी. ये ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ दूसरी सबसे बड़ी और ऑस्ट्रेलिया में सबसे बड़ी लीड है. साल 1998 में कोलकाता के ईडन गार्डंस में खेले गए टेस्ट में भारतीय टीम ने कंगारुओं के ख़िलाफ़ 400 रनों की लीड हासिल की थी.
इसके अलावा इसी टेस्ट सिरीज़ का तीसरा मैच मेलबर्न में खेला गया, जहां भारतीय टीम ने 292 रनों की लीड हासिल की थी, जो ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ भारत की चौथी सबसे बड़ी लीड है. इस तरह भारत को विरोधी टीम पर अपनी दो सबसे बड़ी लीड इसी सिरीज़ में हासिल हुईं.

5. कुलदीप का कमाल

ऑस्ट्रेलिया की पिचों पर आम तौर पर तेज़ गेंदबाज़ों की चांदी रहती है, लेकिन ऐसा नहीं कि स्पिनर यहां कमाल नहीं दिखाते. शेन वॉर्न का नाम कौन भूल पाएगा, जो कई साल ऑस्ट्रेलिया और दुनिया के दूसरे मैदानों पर बल्लेबाज़ों को छकाते रहे हैं.
इस टेस्ट सिरीज़ के आख़िरी मैच में कप्तान कोहली ने कुलदीप यादव को मैदान में उतारा और एक मौका मिलते ही कुलदीप अपना नाम रिकॉर्ड बुक में लिखवाने में कामयाब रहे.
उन्होंने सिडनी टेस्ट की पहली पारी में 99 रन देकर पांच विकेट चटकाए, जो ऑस्ट्रेलिया में किसी भी विदेशी रिस्टस्पिनर का दूसरा सबसे शानदार प्रदर्शन है. इससे पहले 1955 में जॉनी वार्डले ने सिडनी में ही 79 रन देकर पांच विकेट लिए थे. टेस्ट मैच में कुलदीप ने दूसरी बार पांच विकेट लिए.

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