सत्ता का साथी बदल नीतीश फिर छठी बार बने बिहार के मुख्यमंत्री

नीतीश कुमार बिहार के 22वें मुख्यमंत्री बन गए हैं. राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने पटना के राजेंद्र मंडप हॉल में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.
नीतीश के साथ सुशील कुमार मोदी ने भी उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली है.
इससे पहले बुधवार को लालू प्रसाद यादव की प्रेस कॉन्फ्रेंस के कुछ घंटों बाद नीतीश ने "इस माहौल में काम करना मुमकिन नहीं" कहते हुए मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
इसके बाद देर रात भाजपा और जदयू विधायकों के साथ नीतीश राजभवन गए और उन्होंने राज्यपाल को इस्तीफ़ा सौंप दिया.
साथ ही उन्होंने राज्यपाल को 132 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी भी सौंपी.
नीतीश के इस कदम को उनका महागठबंधन को धोखा देने और जनता के जनादेश को ठुकराने के तौर पर देखा जा रहा है.
नीतीश का जन्म 01 मार्च 1951 में पटना के बख्तियारपुर में हुआ. बिहार कॉलेज ऑफ इजीनियरिंग, पटना से अपनी पढ़ाई पूरी कर 1985 में वो राजनीति में आए.

राहुल गांधी ने नीतीश कुमार को बताया धोखेबाज, कहा-पहले से पता था

बीजेपी की मदद से छठी बार बिहार के सीएम बने नीतीश कुमार पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जोरदार हमला बोला है। उन्होंने नीतीश कुमार को 'धोखेबाज' करार दिया है। राहुल ने यह भी कहा कि सत्ता के लिए कोई कुछ भी कर सकता है। बता दें कि आरजेडी और जेडीयू में तनातनी के बीच कांग्रेस ने इस टकराव को खत्म करने की हर मुमकिन कोशिश की। इसी क्रम में राहुल और नीतीश कुमार ने मुलाकात भी की थी। हालांकि, नीतीश तेजस्वी के इस्तीफे के मुद्दे पर अड़े हुए थे। 
राहुल ने कहा कि नीतीश ने बहुत बड़ा धोखा दिया है। राहुल के मुताबिक, उनकी जब नीतीश से मुलाकात हुई थी, तभी से उन्हें इस बारे में अंदेशा हो गया था। राहुल ने कहा, 'राजनीति में यह पता चल जाता है कि आदमी के दिमाग में क्या चल रहा है। मुझे तीन चार महीने से पता था कि इस तरह की प्लानिंग चल रही है।' नीतीश के एनडीए के पाले में जाने पर राहुल ने कहा, 'हिंदुस्तान की राजनीति में यही प्रॉब्लम है। अपने स्वार्थ के लिए व्यक्ति कुछ भी कर जाता है। कोई नियम नहीं है, कोई क्रेडिबिलिटी नहीं है, सत्ता के लिए कोई कुछ भी कर सकता है।' राहुल ने कहा कि नीतीश को सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए जनादेश मिला था, लेकिन अब उन्होंने अपने निजी राजनीतिक हित के लिए ऐसी ताकतों से हाथ मिला लिया है। 
बिहार के सीएम नीतीश कुमार के इस्तीफे से सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सियासत में भी हलचल मच गई है। इस नए घटनाक्रम की वजह से उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले नीतीश कुमार की ओर से विपक्ष को दूसरा जोरदार झटका लगा है। राष्ट्रपति चुनाव में भी नीतीश ने एनडीए कैंडिडेट रामनाथ कोविंद को समर्थन दिया था। बता दें कि जेडीयू ने विपक्ष के कैंडिडेट गोपाल गांधी को समर्थन देने की बात कही थी। अब उम्मीद कम ही है कि जेडीयू विपक्ष के उम्मीदवार के पक्ष में खड़ी होगी। वहीं, 2019 चुनाव में बीजेपी के खिलाफ संयुक्त गठबंधन खड़ा करने का कांग्रेस का सपना भी बिखरता दिख रहा है। 

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