उपराष्ट्रपति के लिए गांधी के सामने नायडू

वेंकैया नायडू: छात्र संघ से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार तक


एनडीए ने वेंकैया नायडू को उप राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार चुन लिया है. उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी के सामने बीजेपी के वेंकैया नायडू होंगे.
मंगलवार को उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन की आख़िरी तारीख है. बीजेपी संसदीय दल की मीटिंग के बाद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने इसकी घोषणा की.
उन्होंने कहा, "केंद्रीय मंत्री वेंकया नायडू एनडीए की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं. वेंकैया जी एक अनुभवी नेता हैं और एनडीए के सभी घटक दलों ने इस फैसले का स्वागत किया है."
68 वर्षीय वेंकैया नायडू फिलहाल आवास और शहरी मामलों के मंत्री हैं. इसके अलावा सूचना और प्रसारण मंत्रालय भी उन्हीं के जिम्मे है.
पार्टी अध्यक्ष रह चुके वेंकैया ने कभी अपना सियासी सफर अपने होम टाउन नेल्लूर के कॉलेज यूनियन चुनावों से किया था.

मीसा में गिरफ्तारी

ये 1971 की बात है तब वेंकैया नेल्लूर के वीआर कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए. इसके दो साल के भीतर वे आंध्र विश्वविद्यालय के कॉलेजों के छात्र संघ अध्यक्ष बने.
लगभग इसी दौरान देश में जनता आंदोलन की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी और वेंकैया 1974 में आंध्र प्रदेश में लोक नायक जय प्रकाश नारायाण छात्र संघर्ष समिति से जुड़ गए.
इमरजेंसी के दौरान वेंकैया मीसा (मेनटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट) के तहत गिरफ्तार भी किए गए.
बाद में उन्हें राज्य में जनता पार्टी की यूथ विंग की कमान दी गई.
इस बीच वेंकैया राज्य विधानसभा में कदम रख चुके थे. आंध्र प्रदेश विधान सभा में वे 1978 से 1985 तक रहे.

संसदीय पारी

छात्रों को संगठित करने वाले वेंकैया अब पार्टी के संगठन में सक्रिय दिख रहे थे.
1980 में उन्हें बीजेपी की यूथ विंग का वाइस प्रेसिडेंट और विधानसभा में पार्टी के विधायक दल का नेता बना दिया गया.
संगठन की अलग-अलग जिम्मेदारियों से गुजरते हुए वेंकैया की संसदीय पारी की शुरुआत राज्यसभा से हुई.
1998 में वे कर्नाटक से राज्यसभा पहुंचे. वे फिलहाल राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं.
वाजपेयी सरकार में वेंकैया ग्रामीण विकास मंत्री बनाए गए और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क जैसी लोकप्रिय योजनाओं की कामयाबी का सेहरा उनके सिर बंधा.

दक्षिण भारतीय चेहरा

पार्टी अध्यक्ष पद से जनाकृष्णमूर्ति की विदाई के बाद वेकैंया को 2002 में बीजेपी अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली.
साल 2004 का लोकसभा चुनाव बीजेपी ने वेंकैया के नेतृत्व में लड़ा और पार्टी सत्ता में वापस नहीं लौट पाई और उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.
हालांकि संगठन की कमान चाहे जिसके हाथों में रही हो, वेंकैया की अहमियत पार्टी में बनी रही. वेंकैया पार्टी ही नहीं सरकार के लिए भी अपरिहार्य बने रहे.
वेंकैया पार्टी के दक्षिण भारतीय चेहरों में से हैं जो अच्छी हिंदी बोलते हैं और उत्तर भारत में पार्टी के लिए चुनाव प्रचार भी करते हैं.


नॉन-वेज के शौकीन वेंकैया नायडू को क्‍यों बनाया गया उपराष्‍ट्रपति उम्‍मीदवार? ये हो सकते हैं कारण

वेंकैया नायडू का अब उपराष्‍ट्रपति बनना लगभग तय है। भाजपा संसदीय बोर्ड ने उन्‍हें उम्‍मीदवार चुन ल‍िया है। आंकड़े उनके पक्ष में हैं और संख्‍या बल के मुताब‍िक वह व‍िपक्ष के उम्‍मीदवार गोपाल गांधी को आसानी से हरा देंगे। राष्‍ट्रपति उम्‍मीदवार के ल‍िए भी वेंकैया का नाम चल रहा था, लेकिन तब अटकलें गलत न‍िकलीं। इस बार कयास सच साबित हुए। वेंकैया का चयन कई कारणों से क‍िया गया हो सकता है। इनमें इतिहास, भूगोल, व्‍यक्तित्‍व सब कुछ शाम‍िल है।
दक्ष‍िण फैक्‍टर: राष्‍ट्रपति के ल‍िए उत्‍तर भारतीय उम्‍मीदवार चुना गया, तो उपराष्‍ट्रपति के ल‍िए दक्ष‍िण भारतीय नेता का चयन कर भौगोल‍िक संतुलन बनाने की कोशिश की गई हो सकती हो। वेंकैया आंध्र प्रदेश के हैं। वह चार बार राजस्‍थान से राज्‍यसभा सांसद बने हैं। दक्ष‍िण मूल के साथ-साथ राजस्‍थान कनेक्‍शन होना उनके हक में गया।
अनुभव: वेंकैया नायडू को संसदीय काम काज का बड़ा अनुभव रहा है। संसदीय कार्य मंत्री के रूप में भूम‍िका न‍िभाने के अलावा उन्‍होंने बतौर राज्‍यसभा सांसद चार बार न‍िर्वाच‍ित होने का सौभाग्‍य पाया है। अभी भी वह राजस्‍थान से ही राज्‍यसभा सांसद हैं। वह 1998, 2004,2010 और 2016 में राजस्‍थान से राज्‍यसभा सांसद बने। यह अनुभव उन्‍हें बतौर राज्‍यसभा सभापत‍ि (जो भूम‍िका पदेन रूप से उपराष्‍ट्रपति न‍िभाते हैं) काफी काम आएगा।
पुराने भाजपाई, संघ से भी करीबी, गैर व‍िवाद‍ित छ‍व‍ि: वेंकैया नायडू भाजपा के पुराने स‍िपाही रहे हैं। इतने लंबे समय से पार्टी में रहते हुए भी कभी क‍िसी बड़े व‍िवाद में नहीं पड़े। हर मौके पर उन्‍हें अच्‍छा पद म‍िलता रहा। पार्टी में भी और सरकार में भी। वेंकैया 1980 से 1983 के बीच भाजपा युवा मोर्चा के राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष थे। 1980 से 1985 तक वह आंध्र प्रदेश में भाजपा व‍िधायक दल के नेता भी रहे। 1988 से 1993 तक उन्‍हें आंध्र भाजपा का अध्‍यक्ष बनाया गया। इसके बाद वह केंद्रीय स्‍तर पर पार्टी में आए। 1993 से 2000 तक वह भाजपा के राष्‍ट्रीय महासच‍िव रहे। जुलाई 2002 में पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष भी बने। तब उनका कार्यकाल काफी छोटा रहा। द‍िसंबर 2002 में उन्‍हें अध्‍यक्ष पद से हटा द‍िया गया। उन्‍होंने चुपचाप फैसला माना। जनवरी 2004 में उन्‍हें फ‍िर मौका म‍िला, लेकिन इस बार भी अक्‍टूबर तक ही उनके पास पार्टी अध्‍यक्ष की कुर्सी रही। इस बीच अप्रैल 2005 और जनवरी 2006 में भाजपा के वरिष्‍ठ राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष भी रहे। 1996 से 2000 के बीच उन्‍होंने भाजपा के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता की भी भूमिका न‍िभाई।
वरिष्‍ठता: वेंकैया नायडू अनुभवी होने के साथ नरेंद्र मोदी के वर‍िष्‍ठ सहयोग‍ियों में से एक है। बताया जाता है क‍ि राजनाथ स‍िंह, सुषमा स्‍वराज, अरुण जेटली के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्‍हें ही वैल्‍यू देते हैं। उनकी उम्र भी 70 के करीब होने वाली है (जन्‍मतिथ‍ि: 1 जुलाई, 1949)। इस ल‍िहाज से भी उनके ल‍िए यह मुफीद वक्‍त है उपराष्‍ट्रपत‍ि बनने का। देश में कई ऐसे उदाहरण हैं क‍ि उपराष्‍ट्रपति ही राष्‍ट्रपति बनाए गए हैं। इस ल‍िहाज से भी उनके ल‍िए संभावना बनती देखी जा सकती है। अगले राष्‍ट्रपति चुनाव के वक्‍त वह 73 साल के होंगे। जैसा क‍ि कुछ लोग राष्‍ट्रपति भवन को ‘र‍िटायरमेंट होम’ मानते हैं तो उनके नजर‍िए से वेंकैया वहां के ल‍िए तब योग्‍य उम्‍मीदवार होंगे। बशर्ते उन्‍हें पार्टी उम्‍मीदवार बनाए और तब भी संख्‍याबल के मामले में एनडीए की स्‍थ‍ित‍ि आज जैसी ही हो।
नॉन-वेज के शौकीन: वेंकैया नायडू को मांसाहारी भोजन विशेष रूप से पसंद हैं। हालांकि इस बात का उनके उपराष्‍ट्रपति पद का उम्‍मीदवार चुने जाने से कोई लेना-देना नहीं है। एक बार बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह ने रविवार को लंच का आयोजन किया था, जिसमें पहुंचे नायडू यह कहते सुने गए कि ‘संडे मतलब बिरयानी डे’ होता है। बीफ पर प्रतिबंध को लेकर छिड़ी बहस के बीच नायडू ने साफ स्‍वीकार था कि वे मांसाहारी हैं। उन्‍होंने कहा था, ”कुछ पागल लोग ऐसी बातें करते रहते हैं कि भाजपा सभी को शाकाहारी बनाना चाहती है। यह लोगों की पसंद है कि वह क्या खाना चाहते हैं और क्या नहीं।”

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