बाबरी मस्जिद केस- आडवाणी, जोशी, उमा के ख़िलाफ़ आरोप तय करने का आदेश

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर और उमा भारती समेत 12 अभियुक्तों पर आपराधिक साज़िश के आरोप तय करने के आदेश दिए गए हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मंगलवार को लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने मुकदमा खारिज किए जाने की इन नेताओं की अपील को रद्द करते हुए ये आदेश दिए.
कोर्ट ने कहा कि आडवाणी, जोशी, उमा भारती और अन्य के ख़िलाफ़ आपराधिक साज़िश के चार्ज तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं.
इस सुनवाई के दौरन व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए भाजपा के वयोवृद्ध नेता एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती पहुंचे थे.
इसके अलावा बीजेपी नेता विनय कटियार, एक समय हिंदुत्व की फायरब्रांड नेता रहीं साध्वी रितंभरा और विश्वहिंदू परिषद के नेता विश्नू हरि डालमिया भी पेश होने के लिए मौजूद थे.
कोर्ट ने सभी छह अभियुक्तों को 50,000 रुपये के निजी बांड पर जमानत दे दी.
छह दिसंबर 1992 को भाजपा, विश्व हिंदू परिषद और कई हिंदुत्ववादी संगठनों के नेताओं की मौजूदगी में इन संगठनों के हज़ारों कार्यकर्ताओं ने फ़ैज़ाबाद के अयोध्या में बाबरी मस्जिद को घेर लिया था और सुरक्षा बलों की मौजूदगी के बावजूद मस्जिद को ढहा दिया था.
ये संगठन बाबरी मस्जिद परिसर में राममंदिर बनाने की मांग कर रहे थे और उस मांग पर कायम हैं.
इससे पहले उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दिया था कि बाबरी मस्जिद को नुकसान नहीं पहुँचने दिया जाएगा लेकिन वो इसे निभा नहीं पाए थे.

मुख्यमंत्री आडवाणी से मिलने पहुँचे

अभियुक्तों के ख़िलाफ़ आपराधिक साजिश के मामले को चलाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई कोर्ट में आरोप तय करने के लिए सुनवाई हो रही थी.
विशेष अदालत बाबरी मस्जिद के ढहाए जाने के दो अलग अलग मामलों की सुनावाई कर रही है.
इस महीने की शुरुआत में इसी अदालत ने दूसरे मामले में महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा प्रेम जी, चंपत राय बंसल, महंत धर्म दास और सतीश प्रधान को जमानत दी थी.
इससे पहले सरकारी गेस्ट हाउस में रुके आडवाणी से मिलने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचे थे.
पिछले महीने इस मामले सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा था कि इस मामले में रोज़ सुनवाई होगी और इस दौरान किसी जज का ट्रांसफ़र नहीं होगा.
सर्वोच्च अदालत ने आडवाणी, जोशी और अन्य के ख़िलाफ़ अतिरिक्त आरोप चार हफ्ते में तय करने के निर्देश दिए थे.
इस मामले में सीबीआई ने आडवाणी और 20 अन्य के खिलाफ धारा 153ए, 153बी और 505 समेत कई अन्य धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था.
इन लोगों पर धारा 120 बी के तहत आपराधिक साजिश का भी आरोप लगाया गया था जिसे सीबीआई की विशेष अदालत ने हटा दिया था. इसका इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी समर्थन किया था.

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